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तालिया मैकग्रा : लीडरशिप के चलते मैं कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आ गई हूं

तालिया इन दिनों बेंगलुरु में स्थानीय कल्चर से रूबरू भी हो रही हैं

Tahlia McGrath gives the ball a good thwack, Royal Challengers Bangalore vs UP Warriorz, WPL, Bengaluru, February 24, 2024

तालिया ने अपने प्लान बी के बारे में भी बताया है  •  BCCI

तालिया मैक्ग्रा को बंद कमरे में रहना पसंद नहीं है। WPL 2024 के दौरान भी जब वह ट्रेनिंग या मैच नहीं खेल रही होती हैं तब उनका ज़्यादातर समय बेंगलुरु को एक्सप्लोर करने में ही बीतता है। मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ यूपी वॉरियर्स को मिली जीत के अगली सुबह तालिया ने ESPNcricinfo से चर्चा की।
यह आपका दूसरा WPL सीज़न है। अब तक का अनुभव कैसा रहा?
बेहद मज़ेदार। इस तरह के क्राउड के सामने खेलने का अपना अलग मज़ा है। हमारे आसपास काफ़ी हाइप है। इस सीज़न की पहली जीत के बाद होटल स्टाफ़ ने हमारी तारीफ़ की, केक और जश्न हमारा इंतज़ार कर रहे थे। भारत की युवा खिलाड़ी हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहती हैं, यह बेहद शानदार अनुभव है।
बेंगलुरु मुझे काफ़ी पसंद आ रहा है। मैं पांचवीं बार भारत आई हूं और यह पहली बार है जब मैं मुंबई के बाहर आई हूं। यहां पर कई अच्छे कैफ़े हैं, खाने के लिए भी कई अच्छी जगह हैं। टीम की साथियों के साथ समय बिताने में भी आनंद आ रहा है। श्वेता (सहरावत) और अंजलि (सरवानी) के साथ बातचीत करने में काफ़ी आनंद आता है। युवा खिलाड़ी सवालों से भरी हैं और हर समय कुछ नया जानने को लेकर काफ़ी उत्सुक रहती हैं। उन्होंने मुझे बॉलीवुड के गानों पर नाचना सिखाया है। नृत्य एक ऐसी चीज़ है जिसमें मैं उतनी अच्छी नहीं हूं।
क्रिकेट में अब तक की आपकी यात्रा कैसी रही और आप कितनी संतुष्ट हैं? क्या आपके पास कोई प्लान बी था?
Matildas (ऑस्ट्रेलियाई महिला फ़ुटबॉल टीम) के लिए खेलना मेरा सपना था। लेकिन 16 वर्ष की उम्र के दौरान मुझे यह एहसास हुआ कि मैं क्रिकेट में ज़्यादा बेहतर हूं तो इसलिए मैंने अपना पूरा ध्यान क्रिकेट पर केंद्रित करना मुनासिब समझा। जब मैं बड़ी हो रही थी तो हमारे परिवार में शिक्षा का अलग महत्व था। मेरे पास टीचिंग की डिग्री भी है। जब भी मैं चोटिल होती हूं या परिस्थितियां मेरे अनुकूल नहीं होती तो यह मेरे ऊपर से दबाव हटाने के काम आता है। हालांकि मुझे विश्वास है कि मुझे इसकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
आपको हाल ही में ऑस्ट्रेलिया का उपकप्तान बनाया गया है, महिला क्रिकेट में आप क्या बड़ा बदलाव देखती हैं?
कप्तानी ने मुझे कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आने में मदद की है। मैंने एक प्लेयर के तौर पर ग्रो किया है। गेम के प्रति मेरा नज़रिया, टीम मेट्स के साथ रिश्ता बनाने की मेरी कला बेहतर हुई है। जब मैं बड़ी हो रही थी तब महिलाओं और लड़कियों के लिए क्रिकेट खेलना उतना आसान नहीं था। MCG में टी20 विश्व कप फ़ाइनल देखने आए 88 हज़ार दर्शकों को देखकर इतना तो स्पष्ट था कि अब महिला क्रिकेट को अलग पहचान मिल गई है।
करियर की शुरुआत में आपको काफ़ी इंजरी हुई, क्या उस दौर में आपके भीतर कोई बदलाव आया?
उस दौरान क्रिकेट के प्रति मेरी सोच में बदलाव आया। उस समय मेरे लिए सबकुछ क्रिकेट ही था। हालांकि अब मैं गेम और ट्रेनिंग के बाद अलग अलग चीज़ें भी करती हूं। मैं तीन साल तक क्रिकेट से बाहर थी लेकिन इस दौरान मैंने दबाव झेलने और आनंद उठाने के बीच संतुलन बनाना सीखा। इससे फ़ील्ड पर मेरे प्रदर्शन में भी काफ़ी बड़ा प्रभाव आया। साउथ ऑस्ट्रेलिया ने मुझे बेलिंडा क्लार्क के साथ लीडरशिप पर मेंटोरशिप के लिए नॉमिनेट किया था और यह संभवतः मेरे लिए सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था।
ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम से हर किसी को ईर्ष्या क्यों होती है?
यह माइंडसेट की बात है। हम हमेशा बेहतर करना चाहते हैं। हम ट्रेनिंग में भी एक दूसरे को चैलेंज देते हैं और इसने हमारे स्तर को और ऊपर उठाने में अहम भूमिका अदा की है। हम कभी भी अपनी सफलता से संतुष्ट नहीं होते।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं