पिच की पेंच को सुलझाते हुए सीरीज़ बराबरी का प्रयास करेगा भारत
गुवाआटी में भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच दूसरा टेस्ट खेला जाएगा। इस मैच के लिए शुभमन गिल और कगिसो रबाडा उपलब्ध नहीं है। गिल की गैरमौजूदगी में भारतीय टीम की कमान ऋषभ पंत के हाथों में होगी। भारत पहला टेस्ट मैच हार चुका है तो सीरीज़ हार से बचाने के लिए उनके पास जीत ही एकमात्र विकल्प है।
2015 से 2016 के दौरान जब भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच होने वाली टेस्ट भिड़ंत को फ़्रीडम ट्रॉफ़ी या मंडेला गांधी ट्रॉफ़ी का नाम मिला था, तब दोनों टीमों ने वादा किया था कि इस सीरीज़ को काफ़ी महत्ता दी जाएगी। इस फ़ैसले के बाद से उन्होंने चार टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेली। ऐसी प्रतिबद्धता का मतलब था कि दोनों टीमें दो टेस्ट वाली असंतोषजनक सीरीज़ से बचे। यह सिलसिला चार सीरीज़ तक चला रहा। लेकिन अब लगातार दूसरी बार ये दोनों टीमें सिर्फ़ दो टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेल रही हैं।
भारत इस सीरीज़ को छोटा करने के लिए ज़िम्मेदार नहीं है, लेकिन इसका घाटा उन्हें ही हो रहा है। सीरीज़ की शुरुआत के बाद ढाई दिनों के खेल में ही सीरीज़ उनके हाथ से निकल चुकी है। अब भारत के लिए अच्छा नतीजा यही होगा कि सीरीज़ ड्रॉ हो जाए। साथ ही सबसे बुरा नतीजा यह होगा कि पिछली तीन घरेलू सीरीज़ में वे दो सीरीज़ हार जाएं। इससे पहले भारत लगातार 12 साल तक हर घरेलू सीरीज़ जीतते हुए आ रहा था।
यह कोई हैरानी की बात नहीं कि मौजूदा कप्तान दबाव में हैं। भले ही वनडे और T20 में टीम की सफलता शानदार रही हो लेकिन घरेलू धरती पर टेस्ट हार का मतलब है - तीखी आलोचना।
पिछले दशक में भारत के दो नाकाम दौरों के बाद साउथ अफ़्रीका ज़रूर खु़श होगा कि कोलकाता में उनकी गेंदबाज़ी क्रम की गहराई की परीक्षा नहीं हुई। कागिसो रबाडा के बाहर होने और केशव महाराज के लय में न होने के बावजूद उन्होंने साइमन हार्मर और मार्को यानसन की मदद से 20 विकेट निकाल लिए।
अब जब उनकी विश्व चैंपियन टैग को लेकर उठी कुछ अस्पष्टता दूर हो चुकी है। वे फिर एक बार 20 विकेट खोजने का प्रयास करेंगे, ताकि सीरीज़ पर कब्जा जमाया जा सके। भारत जैसे चुनौतीपूर्ण देश में साउथ अफ़्रीका के लिए यह एक बड़ी सफलता होगी। भारत चाहेगा कि विपक्षी टीम के गहराई की परीक्षा कड़ी हो और दुनिया का सबसे मुश्किल दौरा अब भी भारत ही बना रहे।
हालिया फ़ॉर्म
भारत LWWWD
साउथ अफ़्रीका WWLWW
भारत की टीम इंग्लैंड में शानदार लय में थी। वहां उन्होंने बेहतरीन अंदाज़ में सीरीज़ ड्रॉ की थी और पूरे दौरे में गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों ने भरपूर प्रभाव छोड़ा था। आखिरी टेस्ट में मिली जीत तो भारतीय क्रिकेट की यादगार उपलब्धियों में गिनी गई। लेकिन जैसे ही टीम लौटकर भारतीय ज़मीन पर उतरी, कहानी पूरी तरह बदल गई और उन्हें भारी हार का सामना करना पड़ा। पिछले साल न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सीरीज़ हारने के बाद से घरेलू परिस्थितियों में उनकी रणनीति को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में गोआहाटी टेस्ट बेहद अहम होने जा रहा है और पिच को लेकर चर्चा पूरे मैच के दौरान बनी रहेगी।
वहीं विश्व चैंपियन साउथ अफ़्रीका ने भी पिछले कुछ महीनों में यह साबित किया है कि उनका यह दर्जा किसी संयोग का नतीजा नहीं है। उनकी टीम किसी भी पिच पर, किसी भी हालात में विपक्षी को मात देने की क्षमता रखती है। पाकिस्तान में उन्होंने शानदार अंदाज़ में सीरीज़ जीती और अब भारत में भी ऐतिहासिक जीत के ठीक सामने खड़े हैं।