काइल कोटज़र एक दशक के ऊपर से स्कॉटलैंड की बल्लेबाज़ी की रीढ़ हैं • Francois Nel/ICC/Getty Images
बड़ी तस्वीर
जब स्कॉटलैंड ने अंतिम बार 2009 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला था, तब न्यूज़ीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने डेब्यू नहीं किया था। डेवन कॉन्वे अपने क्रिकेटिंग करियर के लिए साउथ अफ़्रीका में संघर्ष के दिन गुज़ार रहे थे। मार्क चैपमैन हांगकांग में करियर बनाने के लिए सोच रहे थे। डैरिल मिचेल रग्बी खिलाड़ी बनना चाहते थे और ऐडम मिल्न ने तो अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू तक नहीं किया था।
स्कॉटलैंड के वर्तमान कप्तान काइल कोटज़र उस समय टीम के सबसे प्रमुख बल्लेबाज़ थे और आज भी वह हैं। कैलम मैक्लाओड स्कॉटिश मध्यक्रम की रीढ़ थे, आज भी हैं। इन दोनों के अलावा मार्टिन गप्टिल एकमात्र वर्तमान कीवी खिलाड़ी हैं, जो 2009 के उस मैच में खेले थे।
ये चीज़ें दो बातें बताती हैं। पहला- इन दोनों टीमों को भिड़े हुए एक दशक से अधिक का समय हो गया है और दूसरा- कोटज़र व मैक्लाओड ने पिछले 12 सालों से स्कॉटलैंड की बल्लेबाज़ी क्रम को संभाले रखा है। इस बीच कई क्रिकेटर आए और गए, लेकिन वे अभी तक टीम के साथ बने हुए हैं।
पिछला मैच खेलने के बाद स्कॉटलैंड को पांच दिन का आराम मिला है। यह, वह समय भी है जब वह सोचे कि उन्होंने इस टूर्नामेंट से क्या प्राप्त किया है। आलोचक कह सकते हैं कि क्वालीफ़ाइंग राउंड में तीन मैच जीतने के बाद वह प्रमुख राउंड में फिसल गए। लेकिन यह भी देखने वाली बात है कि कैसे वे फ़ंड की कमी, युवा खिलाड़ियों की बढ़ती अरूचि और महामारी के बीच इस वैश्विक टूर्नामेंट में भाग ले रहे हैं।
सुपर 12 के मुक़ाबलों में वे नामीबिया और अफ़ग़ानिस्तान से हार चुके हैं, जिनके ख़िलाफ़ वह संघर्ष करने और जीत की क्षमता रखते थे। अब उन्हें भारत, न्यूज़ीलैंड और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ तीन बड़े मुक़ाबले खेलने हैं। उनका पहला बड़ा मुक़ाबला न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ है और बढ़िया प्रदर्शन कर वह लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहेंगे।
कल्पना किजिए अगर सफ़्यान शरीफ़ विलियमसन का मिडिल स्टंप उखाड़ लेते हैं या फिर माइकल लीस्क विराट कोहली के बल्ले और पैड के बीच से गेंद निकाल लेते हैं, तो उनका नाम एक सेकंड में लोगों के जुबां पर दशकों के लिए याद हो जाएगा, जैसा डेन लिवरॉक के साथ हुआ था। इसके अलावा वे ऐसा करके अपने देश के युवा खिलाड़ियों को भी क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करेंगे। वैसे भी क्रिकेट सिर्फ़ खेल नहीं, उससे आगे की चीज़ है।
वहीं दूसरी तरफ़ भारत को हराने के बाद न्यूज़ीलैंड की टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। उन्होंने दिखाने की कोशिश की है कि इंग्लैंड और पाकिस्तान की तरह वह भी फ़ाइनल के दावेदार हो सकते हैं। भारत के ख़िलाफ़ मैच में जहां सबकी निगाहें बोल्ट, साउदी, मिल्न और सैंटनर पर थी, उसके इतर ईश सोढ़ी सामने निकल कर आए और बहुमूल्य विकेट लिए। अपने पहले मैच में अफ़ग़ानिस्तान की स्पिन जोड़ी मुजीब-राशिद के सामने लड़खड़ाने वाली स्कॉटलैंड के सामने फिर से सैंटनर और सोढ़ी की ही स्पिन जोड़ी होगी।
हालिया फ़ॉर्म (पिछले पांच मैच में)
न्यूज़ीलैंड- जीत, हार, जीत, हार, हार
स्कॉटलैंड- हार, हार, जीत, जीत, जीत
इन पर रहेगी नज़र
पिछले साल नवंबर में अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू करने वाले डेवन कॉन्वे शीर्ष क्रम में ज़बरदस्त फ़ॉर्म में हैं। इसके अलावा उनके पास अब विकेटकीपिंग का भी काम है। इससे न्यूज़ीलैंड को परिस्थितियों के अनुसार एक अतिरिक्त स्पिनर या ऑलराउंडर खिलाने की छूट मिलती है। कॉन्वे ने अब तक सिर्फ़ 27 और 2 का स्कोर खड़ा किया है, इसका मतलब है कि एक बड़ी पारी उनका इंतज़ार कर रह है।
दूसरी तरफ 2009 के टी20 विश्व कप में स्कॉटलैंड, न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ मैच में उलटफेर करने की कगार पर थी, जब कोटज़र के 15 गेंदों में 33 रन की मदद से स्कॉटिश टीम ने सात ओवर वाले इस मैच में न्यूज़ीलैंड को 90 रन का लक्ष्य दिया था। लेकिन बारिश के बाद गीली पिच पर उनके गेंदबाज़ों से ना सिर्फ गेंद बल्कि मैच भी फिसल गया। बारह साल बाद कोटज़र को दूसरा मौक़ा मिलेगा।
टीम न्यूज़
उंगली के चोट के कारण पिछले मैच में बाहर बैठे कोटज़र मैच में वापसी के लिए तैयार हैं। इसका मतलब है कि क्रेग वॉलेस को बाहर बैठना होगा। वहीं न्यूज़ीलैंड की टीम काइल जेमीसन को एक मौक़ा देना चाहेगी।
जैसे-जैसे मैच हो रहे हैं, दुबई की पिच लगातार धीमी होती जा रही है। हालांकि दिन का मैच होने के कारण इस पर ओस का प्रभाव नहीं होगा।
रोचक आंकड़े
यह विश्व कप में स्कॉटलैंड का दुबई में पहला मैच होगा। हालांकि वे इससे पहले यहां आठ अंतर्राष्ट्रीय टी20 मैच खेल चुके हैं, जिसमें उनको चार में जीत मिली है।
न्यूज़ीलैंड ने इस साल हर 17.4 गेंदों पर विकेट लिए हैं और उनकी इकॉनमी भी 6.6 रन प्रति ओवर रही है।
टिम साउदी के नाम अब 101 टी20 अंतर्राष्ट्रीय विकेट हैं। तेज़ गेंदबाज़ों में उनसे अधिक विकेट सिर्फ़ लसिथ मलिंगा (107) के नाम है। उन्होंने इस साल 14 विकेट लिए हैं। इस साल पावरप्ले में उनसे अधिक विकेट सिर्फ़ जॉश हेज़लवुड (9 विकेट) ने ही लिए है। साउदी के नाम इस साल पावरप्ले में 8 विकेट हैं।
2016 के बाद टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में ईश सोढ़ी के 61 विकेट से अधिक विकेट सिर्फ़ तीन गेंदबाज़ राशिद ख़ान, युज़वेंद्र चहल और मुस्तफ़िज़ुर रहमान ने लिया है।
स्कॉटलैंड ने इस विश्व कप में पावरप्ले के दौरान सबसे अधिक 13 विकेट गंवाए हैं।