भारत को हराकर न्यूज़ीलैंड बना पहला विश्व टेस्ट चैंपियन
भारतीय पारी में लगातार विकेटों के पतन के बाद टेलर और विलियमसन ने टीम की नैय्या पार लगाई
सिद्धार्थ मोंगा
24-Jun-2021
न्यूज़ीलैंड 249 (कॉन्वे 54, विलियमसन 49, शमी 4-76) और 140/2 (विलियमसन 52*, टेलर 47, अश्विन 2-17) ने भारत 217 (रहाणे 49, कोहली 44, जेमीसन 5-31) और 170 (पंत 41, साउदी 4-48) को 8 विकेटों से हराया
इस बार इंग्लैंड का मौसम भी न्यूज़ीलैंड के लोगों के दिलों को तोड़ने में असफ़ल रहा। वास्तव में फ़ाइनल हारे बिना वनडे विश्व कप में हारने के दो साल बाद देर शाम की शानदार धूप में हमने न्यूज़ीलैंड को अपना पहला विश्व ख़िताब, विश्व टेस्ट चैंपियन बनते देखा। यह मैच के छठे दिन - रिज़र्व डे पर बाकी दिनों के समापन समय से काफ़ी देर की बात है जहां ख़राब मौसम के कारण केवल साढ़े तीन दिनों का खेल संभव हो पाया।
पर क्या कमाल का क्रिकेट देखा हमने। बल्लेबाज़ी के लिए कठिन परिस्थितियों में दो उच्च गुणवत्ता वाली टीमों ने मिलकर इतने कम समय में एक रोमांचक मुक़ाबले को अंजाम दिया। इस मैच को जीतने का मौका बनाने के लिए न्यूज़ीलैंड को अधिक कुशल और सुसंगत होने की ज़रूरत थी और उन्होंने समय रहते इस जीत को पूरा किया।
न्यूज़ीलैंड को अंतिम दिन पर - जहां अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने ओवर रेट की चिंता किए बिना और मौसम की अनुमती के साथ 98 ओवरों का खेल होने की गारंटी दी थी - दोबारा बल्लेबाज़ी करने के लिए आठ विकेट लेने की आवश्यकता थी। वे अपनी सटीक योजनाओं और लगातार आक्रमण से हर साढ़े पांच ओवर में एक विकेट लेने में कामयाब रहे।
53 ओवरों में 139 का लक्ष्य इतना आसान नहीं था : पिछली तीन पारियां 2.35, 2.5 और 2.32 रन प्रति ओवर के दर से चली थी, और भारत कुछ भी थाली में परोसकर न्यूज़ीलैंड को देने नहीं वाला था। जब तक रविचंद्रन अश्विन ने दोनों सलामी बल्लेबाज़ों को चलता किया, विपक्षी टीम ने 17.2 ओवरों में सिर्फ़ 44 रन बनाए थे। कोई और बल्लेबाज़ी दल इस समय जोख़िम उठाता और भारत को वापसी करने का मौका देता परंतु रॉस टेलर और केन विलियमसन की परिपक्व जोड़ी ने 28.3 ओवरों में 96 रनों की नाबाद साझेदारी के साथ टीम को जीत दिलाई।
यह मैच इतना करीब था कि किसी भी तरह की गलती या मौसम के चलते देरी की कोई जगह बची नहीं थी। जैसे-जैसे चीज़ें तंग होती गई, न्यूज़ीलैंड खिलाड़ियों का दिमाग शायद क्रिकेट के देवी-देवताओं की ओर चला गया होगा। 2019 विश्व कप फ़ाइनल के उस बाउंड्री काउंटबैक से लेकर, वह सभी गलतियां, पांचवीं सुबह एक घंटे की बारिश (साउथैंप्टन में कई अन्य पड़ोस में बारिश नहीं हुई), छठे दिन ऋषभ पंत का छूटा कैच जिसने बचे भारतीय विकेट चटकाना थोड़ा मुश्किल कर दिया था।
अंत में भारत आईसीसी टूर्नामेंट में एक बार फिर नॉकआउट मैच हारने के बाद क्रिकेट के देवी-देवताओं की ओर देख रहा था। अब 2013 चैंपियंस ट्रॉफ़ी के बाद से छठी बार ख़िताब पाने से चूक गई है भारतीय टीम। व्यवहारिक रूप से चौथे दिन की इस पिच का असमतल उछाल - साउथैंप्टन में बारिश की वजह से खेल में बाधा ना आती तो क्या हो सकता था? - इस बात की झलक बनकर रहेगा। फिर उन्होंने एक पूरे दिन की बारिश के बाद टॉस हारा और सबसे मुश्किल परिस्थितियों में बल्लेबाज़ी करनी पड़ी।
भारत की बल्लेबाज़ी की आलोचना ज़रूर हो सकती है, जो दूसरी पारी में केवल 73 ओवर तक चली, पर ये भी ध्यान में रखना होगा की वह लगातार आक्रमण कर रहे पांच सदस्यीय गेंदबाज़ी क्रम का सामना कर रहे थे। उस क्रम को पता था कि उसे कड़ी मेहनत कर हर एक विकेट को हासिल करना था।
काइल जेमीसन ने पहले सत्र में अपना हाथ खड़ा किया। उनकी ऊंचाई और कौशल ने विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा को उन गेंदों को खेलने के लिए मजबूर किया, जिन्हें छोड़ने में वे माहिर हो गए हैं। कोहली के दिमाग में पहली पारी के एलबीडब्ल्यू की यादें ताज़ा हुई जब जेमीसन की एक और इनस्विंगर उनके पैड पर जा लगी, इस बार उछाल के कारण थोड़ा ऊपर। शायद यही वजह थी कि कोहली ने शॉर्ट-ऑफ़-लेंथ गेंद को ऑफ़ स्टंप के बाहर से पुश किया, जिससे वह कैच आउट हो गए। इसके तुरंत बाद, पुजारा ने ऑफ़ के ठीक बाहर एक लेंथ बॉल का पीछा किया और दिसंबर 2019 के बाद पहली बार किसी तेज़ गेंदबाज़ को स्लिप में कैच आउट हुए।
जल्द ही जेमीसन ने पहली पारी में पंत की विकेट का एक्शन रिप्ले दिखाकर लगभग तीसरा विकेट अपनी झोली में डाल लिया था पर दूसरे स्लिप में टिम साउदी ने कैच को छोड़ दिया। साउदी, जिन्होंने दूसरे दिन एक सामान्य पहला स्पेल किया था, ने बल्ले से 30 रनों के साथ टीम को बहुमूल्य बढ़त दिलाई थी और फिर शाम को सपाट परिस्थितियों में इन-स्विंग गेंदों पर दोनों सलामी बल्लेबाज़ों को पगबाधा आउट कर बाहर का रास्ता दिखाया था। अब समय हाथ से फ़िसलता जा रहा था, कैच छूट गया था और पंत लगातार रन बनाकर न्यूज़ीलैंड को सता रहे थे।
इसके बाद न्यूज़ीलैंड को क्रिकेट के देवताओं का सहारा मिला जब ट्रेंट बोल्ट की लेग स्टंप के बाहर की गेंद रहाणे के ग्लव को छूकर कीपर बीजे वॉटलिंग के दस्तानों में जा समाई। लंच के आधे घंटे पहले 77 रनों की बढ़त के साथ भारत का स्कोर पांच विकेट पर 109 रन था। शायद इसी समय भारतीय टीम ने तय किया कि अब बात समय पर नहीं बल्कि रनों पर निर्भर करेगी क्योंकि दिन भर मौसम साफ़ रहने वाला था।
पंत और रवींद्र जाडेजा ने मौकों का फ़ायदा उठाते हुए बोल्ट और साउदी पर आक्रमण करना शुरू किया। लंच पर स्थिती वास्तविक रूप से 98 पर 5 की हो गई थी। अब न्यूज़ीलैंड एक और कैमियो पारी बर्दाश्त नहीं कर सकता था। पिच सपाट लगने लगी थी और बल्लेबाज़ सहज नज़र आ रहे थे। अब बारी थी नील वैगनर की। उन्होंने एक के बाद एक शॉर्ट गेंदें डालने का सिलसिला शुरू किया जिससे न केवल रन बनाना मुश्किल हुआ बल्कि उनके स्पेल के 10वें ओवर में जाडेजा विकेटकीपर वॉटलिंग को कैच थमाकर आउट हुए। अपना अंतिम टेस्ट मैच खेल रहे बीजे वॉटलिंग का यह 257 वां कैच था जिसके चलते सर्वाधिक कैच लेने वाले विकेटकीपरों की सूची में वह नंबर 7 पर पहुंच गए। उन्होंने उंगली में चोट लगने के बाद बाहर जाने से मना किया और फिर इस कैच को लपका।
ख़तरों से ख़ेलते हुए इस पारी के टॉप स्कोरर बने पंत आख़िरकार बोल्ट की गेंद पर चलकर बड़ा शॉट लगाने के प्रयास में मोटे किनारे से हवा में गेंद मार बैठे। ऐसा लग रहा था कि गेंद सुरक्षित स्थान पर गिरेगी जब तक हेनरी निकल्स ने प्वाइंट से पीछे भागकर सबसे कठिन शैली की इस कैच को सरलता से पूरा किया। इसने धागा ख़ोल दिया और अंत मोहम्मद शमी के 13 रनों ने न्यूज़ीलैंड के सामने चौथी पारी में 2.62 रन प्रति ओवर का लक्ष्य रखा।
भारत ने नई गेंद से कसी हुई शुरुआत की। इसके बाद रवी अश्विन ने अपनी जादुई फ़िरकी से दोनों बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ों को वापस भेजा। तेज़ ऑफ़-ब्रेक गेंद पर लेथम स्टंप आउट हुए और कॉन्वे सीधी गेंद पर एलबीडब्लयू। इस दौरान छह ओवरों में केवल चार रन बने और आख़िरी 31 ओवरों में ज़रूरी रन रेट 3 के पार जा पहुंचा।
यह सिर्फ़ ज़रूरी रन रेट के बारे में नहीं था। यदि आप लक्ष्य का पीछा करने की राह पर अपनी नज़रें हटाते, तो पूरी संभावना थी कि एक साथ 3-4 विकेटों का पतन हो जो भारत को वापसी करवाए। न्यूज़ीलैंड तेज़ी से रन बनाना चाहता था, लेकिन उस स्थिति में जाने का जोख़िम उठाए बिना जहां उन्हें ड्रॉ के लिए खेलना पड़े।
इस दबाव में भी टेलर और विलियमसन ने सही गेंदों को चुना। तेज़ गति से बल्लेबाज़ों को तंग कर रहे शमी, अब तक पारी में 23 में से 8वां ओवर फेंक रहे थे, ने पहली बार शरीर से दूर शॉर्ट गेंदें डाली और रन बनाने का मौका दिया। इसके बाद टेलर ने अश्विन पर आक्रमण किया और आसानी से वाइड मिडऑन के सर के ऊपर से चौका बटोरा। हवा का रुख़ उनकी तरफ़ था, और अनुभव और विशेषज्ञता का परिचय देते हुए उन्होंने पहले अपने जहाज़ को स्थिर किया और फिर शाम 6 बजकर 35 मिनट पर, तेज धूप में, उसे जीत के किनारे पर पहुंचाया।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo असिस्टेंट एडिटर हैं। अनवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।