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ऋषभ पंत के लिए आक्रमण ही बचाव का सबसे बढ़िया तरीका

क्या डब्ल्यूटीसी फ़ाइनल में पंत का आक्रामक अंदाज़ भारतीय दृष्टिकोण से सही था?

Rishabh Pant bats on the sixth morning, India vs New Zealand, World Test Championship (WTC) final, Southampton, Day 6 - reserve day, June 23, 2021

ऋषभ पंत ने WTC फ़ाइनल के दौरान अपने अनोखे अंदाज़ में शॉट्स खेले  •  Getty Images

बुधवार दोपहर को भारतीय ड्रेसिंग रूम में प्रवेश करने से ठीक पहले, ऋषभ पंत ने लकड़ी के मोटे दरवाज़े को ज़ोर से मुक्का मारकर अपनी निराशा ज़ाहिर की।
पंत ट्रेंट बोल्ट की गेंद को मैदान से बाहर भेजने के प्रयास में आउट हुए थे। बल्ले का बाहरी किनारा लेकर गेंद बैकवर्ड प्वाइंट की दिशा में ऊपर उठ गई और पीछे भागते हुए हेनरी निकल्स ने एक शानदार कैच को पूरा किया था। उनके इस कैच ने रोज़ बोल में मौजूद भारतीय प्रशंसकों को सन्नाटे में ला दिया। फ़ाइनल का रुख़ बदलने वाले पलों में से एक, इस कैच पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना पंत के उस शॉट पर। सबके मन में एक ही सवाल है - क्या पंत का यह साहसी अंदाज़ सही था?
पंत ख़ुद नाराज़ थे। जैसे ही उन्होंने चहलकदमी की और गेंद निकल्स के पास गई, उन्हें पता चल चुका था कि उनसे गलती हो गई है। पहले सत्र में विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा का विकेट गवाने के बाद क्रीज़ पर आए पंत शुरुआत से ही आक्रामक अंदाज़ में बल्लेबाज़ी कर रहे थे। इस समय दर्शकों की धड़कनें तेज़ हो रही थी। भारतीय गेंदबाज़ी कोच भरत अरुण द्वारा 'पॉकेट डायनेमो' कहे जाने वाले पंत के लिए ये विपक्षी गेंदबाज़ों को तंग करने की सोची-समझी चाल थी।
पंत की योजना हर गेंद को खेलने की थी। कई बार यह उल्टा भी पड़ गया। उनकी नौवीं गेंद पर काइल जेमीसन ने स्कैम्बल सीम के साथ लेंथ गेंद की। फ़ुल लेंथ पर इस प्रकार की गेंदों से अब तक जेमीसन ने बल्लेबाज़ों को बाहरी किनारों से और एलबीडब्ल्यू आउट किया था। अपने शरीर से दूर ऑफ़ साइड पर गेंद को धकेलने के प्रयास में गेंद ने बैट का बाहरी किनारा लिया और दूसरे स्लिप में तैनात टिम साउदी की तरफ़ गई। साउदी इस आसान कैच को लपकने में नाकाम रहे। इस समय भारत चार विकेट खोकर 82 रन के स्कोर पर था और पंत केवल पांच रन पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे।
एक तरफ़ भारतीय फ़ैंस ने इस कैच के छूट जाने का जश्न मनाया तो दूसरी ओर साउदी ने गुस्से में अपना हाथ ज़मीन पर दे मारा। अपने वरिष्ठ साथी, जिसने इस मैच में एक नहीं बल्कि दो कैच छोड़े थे, के प्रति अपनी भावनाओं को छिपाकर जेमीसन चुप-चाप वापस लौट गए। इस टेस्ट के लिए ईएसपीएन क्रिकइंफ़ो के एक्स्पर्ट्स में से एक डेल स्टेन ने ट्वीट किया कि क्या साउदी ने डब्ल्यूटीसी की ट्रॉफ़ी गिरा दी थी।
पंत इस बात से बेफ़िक्र थे। जब जेमीसन एक छोर पर अजिंक्य रहाणे को छोटी गेंदों से परेशान कर रहे थे, तब दूसरे छोर पर पंत अपनी मॉक ड्रिल कर रहे थे - नीचे झुकना, गेंद की लाइन से हटना, हुक और पुल लगाना या फिर अपना चहेता रैंप शॉट खेलना।
अब गेंदबाज़ी की बारी साउदी की थी। सुबह पहले घंटे में साउदी ने पंत को इन-स्विंग गेंद डाली जिसको खेलने के लिए उन्होंने अपना पैर ऑफ़ स्टंप की ओर आगे बढ़ाया। अगर आप इस समय खेल को रोक कर पंत के पैरों पर गौर करे तो आप उसे कवर की दिशा में जाता हुए पाएंगे, जैसे कि वह ऑफ़ साइड पर स्क्वेयर ड्राइव लगाने वाले हो। इसके बजाए अपने हल्के पिछले पैर और जादुई कलाईयों से उन्होंने इस गेंद को मिडऑन के बगल से चौके के लिए फ़्लिक कर दिया। रहाणे भी हैरान रह गए और उन्हें तेज़ी से गेंद के रास्ते से हटना पड़ा।
जब साउदी की जगह नील वैगनर गेंदबाज़ी करने आए, तब पंत ने तीसरी ही गेंद पर कदमताल करते हुए ज़ोरदार चौका लगाया। अगली गेंद पर ज़ल्दी से पोज़िशन में आकर उन्होंने गेंद को ठीक अपनी आंखों के नीचे डिफ़ेंड किया। दोनों बाएं हाथ के खिलाड़ियों ने एक-दूसरे को घूरा और इस तरह एक रोमांचक मुक़ाबले का आग़ाज़ हुआ।
पंत ने फिर एक बार क्रीज़ के बाहर छलांग लगाई और जैसे-तैसे बाहर जाती गेंद को बाहरी किनारे से गली के पास से चौके के लिए निकाल दिया। वैगनर के चेहरे पर मुस्कान थी। अगली गेंद, फिर से आउट-स्विंग लेकिन इस बार थोड़ी फ़ुल, पर पंत ने फिरसे चहलकदमी की और इस बार पूरी तरह चूक गए। रहाणे पंत की ओर बढ़े। पंत ने दूर से ही इशारा किया कि अगर वह क्रीज़ में रहते तो बाहरी किनारे पर गेंद लगने का ख़तरा ज़्यादा था।
77 रनों की बढ़त और लंच ब्रेक में 25 मिनट शेष रहते, अगले ओवर में रहाणे को वापस लौटना पड़ा। पंत अब क्या करेंगे? एक बार फिर वह आगे कूदे, तेज़ी से बल्ला चलाया और पूरी तरह चूके। वैगनर के चेहरा का भाव साफ़ तौर पर कह रहा था - 'ये क्या था?' क्या ये उतावलापन था? या पागलपन? पंत आपको बताएंगे - ये आक्रामकता नहीं बल्कि बचाव करने का सबसे बढ़िया तरीका था।
दूसरे सत्र में तुरंत, वैगनर अपने मुख्य हथियार - शॉर्ट बॉल को पिटारे से निकालने के लिए राउंड द विकेट चले गए। लेग साइड पर छह फ़ील्डर तैनात थे - शॉर्ट लेग, बैकवर्ड शॉर्ट लेग, मिडविकेट, डीप स्क्वेयर लेग और दो फ़ाइन लेग। हर बार वैगनर ने छोटी गेंद की, पंत ने उसे - फ़्रंट फ़ुट और बैक फ़ुट दोनों पर पुल किया। सबसे बड़ी बात, वह इन गेंदों को ज़मीन के सहारे खेल रहे थे।
एक विशेष स्ट्रोक जिसने दिखाया कि पंत ने कितने अच्छे से पिच और गेंदबाज़ की योजना को समझ लिया था - उन्होंने वैगनर की गेंद को इतनी आसानी से थर्डमैन पर रिवर्स लैप कर दिया जैसे कि वह एक मक्खी मार रहे हो।
पहली पारी में केन विलियमसन और विराट कोहली की ध्यानपूर्ण बल्लेबाज़ी की तुलना में बुधवार को पंत की बल्लेबाज़ी की आलोचना करना बहुत आसान है। यह बाहर से अराजक लग सकता है, लेकिन पंत ने वास्तव में स्थिति को खेलने के लिए अपने स्वाभाविक खेल का इस्तेमाल किया। वह ठीक वही कर रहे थे जो कप्तान कोहली ने हार के बाद प्रेज़ेंटेशन में कहा था- 'जोख़िम लेना लेकिन सोच-समझकर' और उन्हें जोख़िम उठाना पड़ा। साथी रवींद्र जाडेजा के साथ उनको लंच के बाद पहले घंटे में अपना विकेट बचाने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा, वहीं दूसरी तरफ लगातार दबाव में खेल रहे जाडेजा ने अपना विकेट खो दिया।
भारत के निचले क्रम की बल्लेबाज़ी कभी-कभार ही रन बनाती है। पंत के पास अधिक विकल्प नहीं बचे थे। बहुत कम बढ़त के साथ ऑल-आउट होने का खतरा सर पर मंड़रा रहा था। मौजूदा हालात भी इसी बात का संकेत देते हैं। डब्ल्यूटीसी के पहले संस्करण में भारत 19 बार ऑल-आउट हुआ है। उन 19 में से केवल चार मौकों पर भारत ने सातवां विकेट गंवाने के बाद 10 से ज़्यादा ओवर बल्लेबाज़ी की है और 50 से अधिक रन जोड़े हैं।
बुधवार को पंत के आख़िरी शॉट की आलोचना को लेकर कोहली ख़ुद सतर्क थे। भारतीय कप्तान ने पंत का समर्थन करते हुए कहा कि वह एक आक्रामक बल्लेबाज़ हैं और भारत नहीं चाहता कि वह टीम के लिए अपनी सकारात्मकता को खो दें, क्योंकि यही उनकी ख़ास बात है। "यह उन पर निर्भर करता है कि क्या यह निर्णय लेने में उनसे भूल हुई और कैसे वह आगे बढ़ते हुए इसमें सुधार करते हैं क्योंकि भारतीय टीम के साथ उनका एक लंबा करियर है और निश्चित रूप से वो भविष्य में लगातार कई मौकों पर भारत के लिए मैच विनर बन सकते हैं," कोहली ने मैच के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कहा।
यह पहली बार नहीं है जब पंत ने बड़े स्ट्रोक खेले हैं। यह आख़िरी बार भी नहीं होगा। बाहर से निराशा इसलिए है क्योंकि उन्होंने ख़ुद ऑस्ट्रेलिया में साहसिक पारियां खेल अपेक्षाओं को बढ़ावा दिया है। उसके बाद इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घरेलू श्रृंखला में भी उन्होंने शुरुआत में अपना समय लिया और फिर अच्छी पारियां खेली। उन्होंने साउथैंप्टन में भी लगभग ऐसा ही किया। पंत की पारी के बिना भारत संभवत: लंच से पहले ही युद्ध हार चुका होता।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।