मैच (23)
MLC (1)
ENG v WI (1)
IRE vs ZIM (1)
Men's Hundred (2)
एशिया कप (2)
विश्व कप लीग 2 (1)
Canada T20 (4)
Women's Hundred (2)
TNPL (3)
One-Day Cup (5)
SL vs IND (1)
फ़ीचर्स

देबायन : भारतीय क्रिकेट के इस मिले-जुले साल से हमने क्या कुछ सीखा?

एक नज़र इस साल भारतीय क्रिकेट से जुड़े यादगार पलों पर

अपनी आंखें बंद कर लीजिए। अब सोचिए साल 2021 में आपके लिए भारतीय क्रिकेट से जुड़े सबसे अविस्मरणीय पल क्या थे?
शायद आपको रवि अश्विन और हनुमा विहारी की साझेदारी याद आएगी या गाबा में ऋषभ पंत का वो मैच जिताऊ ड्राइव। वॉशिंगटन सुंदर की बल्लेबाज़ी भी कैसे भुलाई जा सकती है? या शेफ़ाली वर्मा, स्मृति मांधना, झूलन गोस्वामी जैसी खिलाड़ियों के निरंतर प्रदर्शन। शायद आपको लॉर्ड्स में धीमी गेंद पर जसप्रीत बुमराह का ऑली रॉबिंसन को आउट करना याद आए या फिर मोहम्मद सिराज का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का पहला साल, जहां हर गेंद पर वह तूफ़ान की तेज़ी से क्रीज़ तक दौड़ते हुए आते और अक्सर ऐसा लगता है हर गेंद पर विकेट ले जा सकते हैं।
पिछले वर्ष की तरह 2021 भी एक मुश्किल साल था। कोरोना अब भी हमारे जीवन का एक अंश है। लेकिन इसके बावजूद इस साल ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को कई यादगार लम्हें भेंट में दिए। मानवता ने हालिया वक़्त में इस महामारी से बड़ी चुनौती नहीं देखी है लेकिन हम सबके लिए प्रेरणास्रोत बना क्रिकेट। ख़ास कर भारतीय क्रिकेट टीम, जिसने दर्शाया कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो, जीत उसी की होती है जो आख़िरी गेंद तक हार नहीं माने।
संयोग से वर्तमान क्रिकेट के सबसे बड़े नायक विराट कोहली के लिए यह अजीब सा साल था। लगातार दूसरे साल उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कोई शतक नहीं जड़ा। ऑस्ट्रेलिया में टीम ने अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व में सीरीज़ 2-1 से अपने नाम किया। उसके बाद भारत ने इंग्लैंड को घर में परास्त किया और विदेशी धरती पर भी उसी टीम पर हावी रहा। लेकिन इस बीच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल में उसके हाथ निराशा लगी। सीम के लिए अनुकूल वातावरण में पांच गेंदबाज़ों में दो स्पिनर खिलाना भारत पर भरी पड़ा और इस फ़ैसले का ख़ामियाज़ा आने वाले हफ़्तों में अश्विन को चुकाना पड़ा।
उस सीरीज़ के ख़त्म होने तक कुछ ऐसे फ़ैसले लिए गए जिनका असर अभी तक दिखाई देता है। विराट ने टी20 विश्व कप के बाद इस प्रारूप से कप्तानी पद से हटने का निर्णय लिया। साथ ही उन्होंने 2021 के आईपीएल के बाद आरसीबी कप्तानी से भी हटने का फ़ैसला सुनाया। इसमें बड़ी आश्चर्य की कोई बात नहीं थी क्योंकि कप्तानी किसी भी खिलाड़ी की मानसिक ऊर्जा को भरपूर तरीक़े से निकाल लेती है और कोहली लगभग सात वर्ष से विभिन्न प्रारूपों में यह ज़िम्मेदारी निभा ही रहे थे। लेकिन जब उन्होंने बाद में क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली की कथित बातों का खंडन किया तो इतना ज़रूर साफ़ हुआ कि कप्तान और बोर्ड इस साल के आख़िरी कुछ महीनों के फ़ैसलों पर एकमत नहीं थे। शायद यह स्थिति केवल स्पष्ट संचार के अभाव की उपज थी लेकिन विश्व क्रिकेट के सबसे शक्तिशाली बोर्ड की छवि को इससे क्षति ज़रूर पहुंची।
पुरुष क्रिकेट में भारत का साल मिला-जुला रहा। विदेशी धरती पर टेस्ट क्रिकेट में सफलता जहां मौजूदा गेंदबाज़ी क्रम में पैनापन दर्शाती है वहीं इसी साल कई बार बल्लेबाज़ी क्रम का ढह जाना बताता है कि इस टीम में निरंतरता का अभाव है। बैटिंग में मज़बूती की कमी इस साल सफ़ेद गेंद क्रिकेट में नज़र आई हालांकि कहा जा सकता है टी20 विश्व कप में एक साधारण प्रदर्शन के पीछे और भी कारण थे - कप्तान और कोच रवि शास्त्री के लिए यह एक आख़िरी टूर्नामेंट होना और ऊपर से मुख्य मैचों में कोहली का टॉस हारना।
महिला क्रिकेट के लिए साल और भी यादगार था। मार्च 2020 में टी20 विश्व कप फ़ाइनल खेलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी वापसी उतनी सुखद नहीं थी लेकिन हमें यह नहीं भूलनी चाहिए कि महिला क्रिकेट में साउथ अफ़्रीका अब एक मज़बूत टीम बन चुकी है। 2014 के बाद भारत ने पहली बार टेस्ट क्रिकेट खेला और इंग्लैंड में मेज़बान टीम से डटकर मुक़ाबला करते हुए मैच ड्रॉ किया। इस आत्मविश्वास को दोहराते हुए भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को अपने घर में पिंक बॉल टेस्ट में काफ़ी मुश्किल में डाला और मेज़बान टीम फ़ॉलो-ऑन करने से बाल-बाल बची। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों में मल्टी-फ़ॉर्मैट सीरीज़ भारत नहीं जीत पाया लेकिन मुक़ाबले कड़े थे और इक्के-दुक्के फ़ैसले उनके ख़िलाफ़ नहीं जाते तो शायद भारतीय खिलाड़ी जीत का परचम लहराते।
एक ज़िक्र चेन्नई सुपर किंग्स का भी बनता है। 2020 में प्ले-ऑफ़ के लिए पहली बार क्वालिफ़ाई न कर पाने से सबक लेते हुए महेंद्र सिंह धोनी ने इस वर्ष टीम को एक और आईपीएल ख़िताब दिलाया। अगले साल लीग में दो नई टीमें होंगी और कई खिलाड़ी नए रूप में दिखेंगे लेकिन इस पड़ाव का अंत सीएसके के लिए एक और जीत के अलावा शायद ठीक भी नहीं लगता।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के लिए ज़ाहिर है यह साल काफ़ी ख़ास रहा। हमारी हिंदी साइट का लॉन्च 2021 में होना भी ताज्जुब की बात है - यक़ीन कीजिए इसका प्रयास एक दशक पहले से चलता आ रहा है। अभी हमारी टीम बहुत छोटी है और हम सब एक शहर से काम भी नहीं कर पाएं हैं। ऐसे में पाठकों का समर्थन और उनका प्यार हमारे लिए बहुत अनमोल बात है।
2021 में कई अवसरों पर क्रिकेट ने हमें यही याद दिलाया कि परिस्थितियों से लड़कर जीतने में जो आनंद है, वो अद्वितीय है। मानवता ने भी शायद कोरोना काल में यही सीखा है। इसी मानसिकता को हम अपने कार्य में लाते हुए 2022 में आपके लिए और भी ज़्यादा मनोरंजन और ख़ुशियां लाने की कोशिश करेंगे। भारतीय क्रिकेट के लिए इस साल दो विश्व कप हैं और आशा करेंगे कि दोनों में भारतीय खिलाड़ी कुछ और अद्भुत यादें आपकी और हमारी झोली में डालेंगे।
नव वर्ष की आपको और आपके परिवारजनों को ढेर सारी शुभकामनाएं।

देबायन सेन ESPNcricinfo में सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख हैं।