बांग्लादेश के ऑलराउंडर
मेहदी हसन ने कहा कि छोटे गोल बनाकर, मुश्किल स्थिति में एक दूसरे को शांत करके और अंतिम स्कोर के बारे में नहीं सोचना ही दूसरे वनडे में भारत के ख़िलाफ़ महमुदउल्लाह के साथ उनकी रिकॉर्ड ब्रेकिंग साझेदारी का फलसफ़ा रहा। सातवें विकेट के लिए 148 रनों की साझेदारी की वजह से ही बांग्लादेश पांच रनों से यह मैच जीतकर भारत के ख़िलाफ़ घर में लगातार दूसरी बार वनडे सीरीज़ जीतने में क़ामयाब रहा।
पहला वनडे शतक लगाने वाले मेहदी ने कहा कि इस प्रक्रिया में
महमुदउल्लाह जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी का साथ होना अच्छा रहा, जहां उन्होंने मैच को अंत तक ले जाने की उनकी सलाह काम आई।
मेहदी ने कहा, "हमारे दिमाग़ में कहीं लक्ष्य की बात नहीं थी। हमने छह विकेट गंवा दिए थे। तो सोच यही थी कि हम कितना सकोर बना सकते हैं? हम एक समय एक गेंद पर ध्यान दे रहे थे और लक्ष्य के बारे में नहीं सोच रहे थे। हम परिस्थति के हिसाब से खेलने की कोशिश में थे और एक दूसरे से लगातार बातचीत कर रहे थे।"
मेहदी ने कहा, "मुझे पसंद आया कि एक वरिष्ठ खिलाड़ी होने के बाद भी वह जिस तरह से मेरा सम्मान कर रहे थे। जब मैं उनसे बोलता था कि आप परेशान हो रहे हैं तो वह मेरी सुनते थे। मैंने उनसे बोला था कि अभी आक्रमण नहीं करना है और मैच केा अंत तक ले जाना है। यही छोटी बातों ने हमारी साझेदारी बनाने में मदद की।"
मेहदी और महमुदउल्लाह जब क्रीज़ पर आए तो स्कोर छह विकेट पर 69 रन था। ये दोनों 27 ओवर तक टिके रहे और बांग्लादेश को सात विकेट पर 271 रनों तक पहुंचाया। दूसरा प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड जीतने वाले मेहदी ने कहा कि उन्होंने सीरीज़ के लिए ख़ास तैयारी नहीं की थी और यह बस उनकी सालों की मेहनत का ही नतीजा है।
उन्होंने कहा, "अपने वनडे करियर का पहला शतक लगाना ख़ास लम्हा है। मैं यह लम्हा कभी नहीं भूल सकूंगा। हम आज बेहद मुश्किल में थे। मेरी महमुदउल्लाह भाई के साथ साझेदारी बेहद अहम थी। यह मेरे लिए बड़ी बात थी। भारत दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक है। एक बड़ी टीम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करना हमेशा ख़ास होता है। हम दूसरा वनडे जीत गए हैं। मैंने अच्छा करने के लिए कभी कोई ख़ास तैयारी नहीं की। लक मेरे साथ रहा।
"मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं शतक लगा सकूंगा। मैं टीम के लिए प्लान कर रहा था और उसी रास्ते पर चला और ऊपर वाले की दुआ से ऐसा हो गया।"
जब महमुदउल्लाह आउट हुए तो स्कोर सात विकेट पर 217 रन था और पारी की 23 गेंद बची थीं। लेकिन मेहदी और नासुम ने 54 रन जोड़े। नासुम ने 11 गेंद में 18 रन बनाए। मेहदी ने स्वीकार किया कि वह इस पारी से आश्चर्यचकित थे।
उन्होंने कहा, "मैं 50 ओवर बल्लेबाज़ी करना चाहता था और 240-250 रनों के बारे में सोच रहा था, जहां एक मुश्किल लक्ष्य होता। लेकिन नासुम ने बेहतरीन बल्लेबाज़ी की और [उनके] 18 रन बहुत अहम थे।"
271 रनों का बचाव करते हुए बांग्लादेश ने श्रेयस अय्यर और अक्षर पटेल के विकेट लेकर मैच पर पकड़ बना ली। 45 गेंद में 65 रन की ज़रूरत थी, रोहित बाएं अंगूठे में चोट के बाद भी खेलने पहुंचे और लक्ष्य का पीछा करने में जान डाल दी। वह मैच को उस स्थिति तक ले आए जहां एक गेंद पर छह रन की ज़रूरत थी, लेकिन मुस्तफ़िजु़र रहमान ने यॉर्कर डालकर बांग्लादेश को जीत दिला दी।
मेहदी ने कहा कि 48वां ओवर जो मुस्तफ़िज़ुर ने मोहम्मद सिराज को मेडन डाला उसने मैच को बांग्लादेश की ओर मोड़ दिया। यहां से भारत को 12 गेंद में 40 रन चाहिए थे।
उन्होंने कहा, "हमने रोहित शर्मा के ख़िलाफ़ तैयारी की थी और हमारे गेंदबाज़ जानते थे कि क्या करना था। हमने जीतने के लिए दस विकेट लेने थे। वह बहुत अच्छा खेले। लेकिन हमारे गेंदबाज़ों ने भी अच्छा किया ख़ासकर शुरुआत में। अय्यर और अक्षर ने साझेदारी बनाई, लेकिन हम उससे भी बाहर निकले। मुस्तफ़िज़ुर, इबादत [हुसैन], शाकिब [अल हसन] सभी ने अच्छी गेंदबाज़ी की। मैंने नहीं सोचा था कि मेरे क्रैंप होगा।"
"हमें विश्वास था हम जीत सकते हैं। हम जानते थे कि एक विकेट हमारी वापसी करा देगा। मुस्तफ़िजु़र का मेडन ओवर टर्निंग प्वाइंट रहा। उन्होंने उस ओवर में बहुत अच्छी गेंदबाज़ी की।"