नीदरलैंड्स के ख़िलाफ़ मैच में
ग्लेन मैक्सवेल 40वें ओवर में बल्लेबाज़ी के लिए आए थे। अंतिम 10 ओवर के खेल में टीमें 100 रन बनाने को देखती हैं, लेकिन इस दौरान मैक्सवेल ने ही अपना शतक पूरा कर लिया। यह पारी तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब मैक्सवेल के क्रीज़ पर आने के क्रम में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने एक के बाद एक करके अपने 4 विकेट 6 ओवर के ही अंतराल में गंवा दिए थे और एक समय 380 के क़रीब बढ़ रही ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए 350 का भी स्कोर मुश्किल लगने लगा था। लेकिन अविश्वसनीय पारी खेल मैक्सवेल ने ना सिर्फ़ अपना रिकॉर्ड शतक पूरा किया, बल्कि अपनी टीम के स्कोर को 400 के एकदम क़रीब तक लेकर गए।
मैक्सवेल ने अपने कप्तान पैट कमिंस के साथ 44 गेंदों में 103 रन की साझेदारी की, जिसमें कमिंस ने आठ गेंदों में सिर्फ़ आठ रनों का योगदान दिया था। उन्होंने इस पारी के दौरान 44 गेंदों में 106 रन बनाए, जिसमें नौ चौके और आठ गगनचुंबी छक्के शामिल थे। इस दौरान उन्होंने 40 गेंदो में अपना शतक पूरा किया, जो कि
विश्व कप में अब रिकॉर्ड है। उन्होंने ऐडन मारक्रम का रिकॉर्ड तोड़ा, जिन्होंने दिल्ली के इसी मैदान पर ही तीन सप्ताह पहले श्रीलंका के ख़िलाफ़ 49 गेंदों में शतक लगाया था। यह ऑस्ट्रेलिया के लिए भी सबसे तेज़ शतक का रिकॉर्ड है, जिसे मैक्सवेल ने अपने ही 51 गेंदों के रिकॉर्ड को तोड़ हासिल किया। वह 40वें ओवर में बल्लेबाज़ी करने आए और शतक बनाया, यह भी एक विश्व रिकॉर्ड है।
मैच के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मैक्सवेल ने कहा, "मुझे पता था कि मैं रिकॉर्ड बना रहा हूं। मुझे सबसे तेज़ अर्धशतक और सबसे तेज़ शतक के रिकॉर्ड्स पसंद हैं, ये मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। मैं हमेशा ऐसे रिकॉर्ड्स की खोज में लगा रहता हूं और उसके लिए अपनी सीमाओं को भी लांघता हूं।
"अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ 2015 विश्व कप में मैंने 38 गेंदों में 88 रन बना लिए थे और मुझे लग रहा था कि अगली दो गेंदों पर मैं अपना शतक पूरा कर लूंगा। लेकिन तब ऐसा नहीं हो सका था और अगली गेंद पर मैं आउट था। हालांकि अगले ही मैच में मैंने
श्रीलंका के ख़िलाफ़ 51 गेंदों में सबसे तेज़ ऑस्ट्रेलियाई शतक का रिकॉर्ड बनाया। इसलिए मुझे पता है कि मैं ऐसे रिकॉर्ड्स बना सकता हूं और मुझे यह भी पता है कि जब मैं लय में होता हूं तो मेरे ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करना मुश्किल है।"
इस मैच में आने से पहले मैक्सवेल के फ़ॉर्म पर भी सवाल उठ रहे थे। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अभ्यास मैच में एक अर्धशतक और श्रीलंका के ख़िलाफ़ नाबाद 31 रन की पारी को छोड़ दे तो मैक्सवेल ने विश्व कप और विश्व कप से पहले हुए भारत के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ में बल्ले से कोई ख़ास क़माल नहीं दिखाया था। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पिछले मैच में तो वह डक (0) पर आउट हुए थे। हालांकि मैक्सवेल ने कहा कि वह अपनी फ़ॉर्म को लेकर कभी भी चिंतित नहीं थे।
ख़राब फ़ॉर्म के सवाल पर मैक्सवेल पहले खुलकर हंसते हैं और फिर मुस्कुराते हुए कहते हैं, "मुझे इसकी कोई चिंता नहीं थी कि लोग मेरे फ़ॉर्म के बारे में क्या बात कर रहे हैं। मुझे पता है कि वनडे क्रिकेट में मेरी भूमिका क्या है। यह टी20 की ही तरह है, जहां आप मैच को फ़िनिश करने आते हैं, जहां कभी रन बनते हैं तो कभी आप जल्दी आउट हो जाते हैं। मैंने आईपीएल के कारण भारत में काफ़ी क्रिकेट खेला है और मुझे पता है कि यहां पर कैसे बल्लेबाज़ी करना है। भारत में एक सफल आईपीएल के बाद मैं इस विश्व कप में आत्मविश्वास के साथ आया था और अभ्यास मैच में भी मैंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अच्छा किया था। लोग मेरे आख़िरी 20 वनडे के आंकड़ों पर बात करते हैं, लेकिन उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ये 20 वनडे मैंने छह सालों में अलग-अलग देशों और अलग-अलग महाद्वीपों में खेले हैं। कई बार तो मैं चार-चार महीने पर एक मैच खेला हूं, ऐसे में आप किसी के लय और फ़ॉर्म का अंदाज़ा नहीं लगा सकते।"
मैक्सवेल की इस पारी की सबसे ख़ास बात उनकी रिवर्स शॉट रहे, जो उन्होंने स्टांस बदलकर खेले। उन्होंने स्टांस बदल कर रिवर्स पैडल, रिवर्स स्लॉग स्वीप, रिवर्स हुक और रिवर्स स्लैप लगाया और ऑफ़ साइड में स्क्वेयर बाउंड्री के पीछे से 2 चौके और 2 छक्के प्राप्त किए।
उन्होंने अपने रिवर्स शॉट का राज़ बताते हुए कहा, "यह बस हाथ की गति और गेंदबाज़ों को पढ़ने का खेल है। गेंदबाज़ कितना भी तेज़ हो, लेकिन अगर आपका हाथ उनसे तेज़ चलता है तो आप यह शॉट लगाकर बाउंड्रीज़ प्राप्त कर सकते हैं। मैं रिवर्स शॉट से सर्किल के अंदर के फ़ील्ड को सिर्फ़ भेदने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अच्छा है कि मुझे इससे चौके के साथ-साथ छक्के भी मिले। हालांकि यह पिच और परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है कि आप यह शॉट लगाए या नहीं। पहले कुछ मैचों में पिच और परिस्थितियां ऐसी नहीं थी कि मैं यह शॉट लगाऊं। लेकिन मैं लगातार उन मौक़ों को ढूंढ़ रहा था, जिससे मैं इन शॉट्स को मैदान पर उतार सकूं।"
मैक्सवेल जब 75 रन पर थे, तो पारी में केवल 2 ओवर बचे थे। ऐसे में उनके शतक पूरा करने पर थोड़ा संशय भी था। लेकिन उन्होंने 49वें ओवर में डच तेज़ गेंदबाज़ बास डलीडे को निशाना बनाया और दो चौकों और लगातार तीन छक्कों की मदद से ओवर में 26 रन बटोरकर अपना शतक पूरा कर लिया। हालांकि मैक्सवेल का कहना था कि उन्हें भले ही रिकॉर्ड्स पसंद हो लेकिन वह शतक के बारे में नहीं सोच रहे थे।
उन्होंने कहा, "मेरे दिमाग़ में शतक नहीं था। मैं लगातार बड़े हिट मारने की ही कोशिश कर रहा था। जब पारी में 5 ओवर बचे थे, तब मैंने पैट (कमिंस) से कहा कि मैं इन पांच ओवरों में अधिक से अधिक गेंद खेलना चाहता हूं। मुझे पता था कि अगर मुझे बाउंड्रीज़ मिलती हैं तो सिंगल लेने का कोई फ़ायदा नहीं। ऐसी पिच पर अगर आप किसी एक गेंदबाज़ को निशाना बनाते हो तो आपको फ़ायदा होता है। आप उनको फिर ग़लतियां करवाने पर मज़बूर करते हो। मुझे 49वां ओवर ऐसा ही लगा। मैंने उनकी अच्छी गेंदों को भी निशाना बनाया, जिससे उन पर दबाव बना और उन्होंने फ़ुलटॉस और नो बॉल किए। इसका मुझे फ़ायदा हुआ और मैं अपना शतक पूरा कर सका।"