लखनऊ डायरी: मुट्ठी भर दर्शक लेकिन उत्साह और जुनून में कोई कमी नहीं
चिलचिलाती धूप और बेतहाशा गर्मी के बावजूद इंडिया ए और ऑस्ट्रेलिया ए के बीच हुए दूसरे मैच में हर पीढ़ी के दर्शक आए थे और उनकी कहानियां भी दिलचस्प थीं
दया सागर
28-Sep-2025 • 1 hr ago
इंडिया ए और ऑस्ट्रेलिया ए के बीच दूसरे अनाधिकृत टेस्ट के दौरान कुछ सौ की संख्या में दर्शक आ रहे थे • UPCA
70 साल के कमलेश सिंह ने पहली बार 1973 में स्टेडियम से कोई मैच देखा था, जब इंग्लैंड की टीम अपने भारत दौरे का चौथा टेस्ट मैच खेलने कानपुर आई थी। उस समय कमलेश कानपुर में पढ़ाई किया करते थे और अकेले ही मैच देखने जाते थे।
उस मैच में उन्हें भगवत चंद्रशेखर और बिशन सिंह बेदी का ऑटोग्राफ़ मिला था, जिसे वह अभी तक संजोए हुए हैं। इसके बाद 1980 में उन्हें कपिल देव को भी खेलते देखने का मौक़ा मिला, जब हरियाणा की टीम रणजी ट्रॉफ़ी प्री क्वॉर्टर फ़ाइनल मैच खेलने कानपुर आई थी। इस मैच में कपिल देव ने पंजा खोलते हुए मैच में कुल आठ विकेट लिए थे। बाद में कपिल ने जब विश्व कप जीता, तो वह कमलेश के क्रिकेटिंग हीरो भी बन गए।
अब लगभग 50 साल बाद कमलेश क्रिकेट की एक नई पीढ़ी की गवाह बन रहे हैं, जब भारत ए की टीम एक अनाधिकृत टेस्ट सीरीज़ खेलने लखनऊ आई है। स्टेडियम से मैच देखने के शौकीन कमलेश हालांकि जब बैंक की नौकरी में आए, तो उनके लिए हर समय ऐसा करना संभव नहीं रहा। नौकरी के कारण कई बार उन्हें ऐसे छोटे शहरों में रहना पड़ता, जहां पर अंतर्राष्ट्रीय मैच तो क्या घरेलू मैच भी नहीं होते थे।
हालांकि अब जब वह रिटायर हो चुके हैं और उनका घर अब एक अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम से बस पैदल की दूरी पर है, तो वह फिर से अपने युवावस्था के शौक़ पूरे कर रहे हैं। लखनऊ के इकाना स्टेडियम में कोई रणजी मैच हो या फिर IPL, WPL या UP लीग का सीज़न, वह इनमें से कुछ मैचों को ज़रूर देखने आते हैं।
वह बताते हैं, "नौकरी में आए, तो लाइव स्टेडियम से मैच देखने का शौक़ धीरे-धीरे जाता ही रहा। एक तो परिवार और नौकरी की व्यस्तता हो गई, दूसरी बात जिस शहर में आप पोस्टेड हो, तो ज़रूरी नहीं कि वहां कोई इस स्तर का मैच हो ही रहा हो। अब सेवानिवृत हुआ हूं और घर भी स्टेडियम के पास है, तो कभी-कभार मैच देखने आ जाता हूं। मुझे इन युवा खिलाड़ियों को खेलते देखना पसंद है। मुझे साई सुदर्शन की तकनीक बहुत पसंद आई। बाक़ी केएल राहुल और मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ी तो हैं ही।"
कमलेश, नारायण जगदीशन से लेकर मानव सुथार और गुरनूर बराड़ तक हर भारत ए के खिलाड़ी को पहचानते हैं और उन्हें उनके हालिया कुछ प्रदर्शन भी याद हैं। हालांकि कमलेश को लगता है कि अब टीवी पर मैच देखना और समझना ज़्यादा बेहतर है क्योंकि आधुनिक ब्रॉडकास्टिंग में आप कई तरह की डिटेल्स को लाइव देख सकते हो।
सेवानिवृत्त बैंककर्मी कमलेश सिंह इकाना स्टेडियम में लगभग सभी मैच देखने जाते हैं•Daya Sagar/ESPNcricinfo
वह अपने जमाने को याद करते हुए कहते हैं, "पहले स्टेडियम से मैच देखना मैं इसलिए भी पसंद करता था क्योंकि तब हम अपने साथ रेडियो और ट्रांजिस्टर लेकर जा सकते थे। तब हम कॉमेंट्री भी सुनते थे और सामने से लाइव मैच भी देखते थे। इस मैच में कई ऐसे खिलाड़ी (ख़ासकर ऑस्ट्रेलियाई) भी हैं, जिनको हम नहीं जानते। इसलिए अच्छा होता कि अगर यहां खिलाड़ियों के बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी पर आने पर अनाउंसमेंट भी होता, जैसे IPL, WPL या UP लीग में होता है।"
कमलेश को इस बात का भी दुःख है कि चिलचिलाती गर्मी और उमस भरे मौसम में इस मैच को देखने आए दर्शकों को अगर प्यास लगती है तो उन्हें लगभग 200 मीटर दूर पैदल जाकर पानी पीना होगा क्योंकि स्टैंड के पास पानी पीने की कोई व्यवस्था नहीं है, जैसा लीग के मैचों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मैचों में होता है। और सुरक्षा कारणों से दर्शक अपने पानी की बोतल भी स्टैंड में नहीं ला सकते। यही कारण है कि बाउंड्री लाइन पर जब भी कोई भारतीय या ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी स्टैंड के पास आता, दर्शक उनसे पानी का बोतल उछालने को ज़रूर कहते।
इस दौरान ये दर्शक क्रिकेटरों को अपनी तरफ़ देखने, उन्हें आकर्षित करने और उन्हें चिढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह के हथकंडे अपनाते और कई तरह के हास्यास्पद बातें ज़ोर-ज़ोर से बोलते हुए नज़र आए। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों में सैम कॉन्सटास दर्शकों के सबसे प्रिय हैं, क्योंकि हाल ही में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के दौरान अपने डेब्यू पर उन्होंने जसप्रीत बुमराह सहित भारतीय गेंदबाज़ों को निशाना बनाया था और एक मनोरंजक पारी खेली थी।
मैं इन्हें कुछ छोटी-छोटी डिटेल्स नोटिस कराने की कोशिश कर रहा हूं, जो आप लाइव मैच में ही देख पाते हो। इन्हें देखना होगा कि साई (सुदर्शन) अपने आपको कैसे धैर्य बनाकर क्रीज़ पर टिके हुए हैं। इनके लिए अच्छा है कि अभी साई खेल रहे हैं क्योंकि यह भी उनकी तरह बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं।गजेंद्र और उनके बेटे के बीच की बीतचीत
वहीं भारतीय खिलाड़ियों में केएल राहुल इनके सबसे पसंदीदा हैं, क्योंकि भारत ए टीम में सबसे सीनियर होने के साथ-साथ वह स्थानीय IPL टीम लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के लिए तीन सीज़न कप्तानी भी कर चुके हैं। बुलंदशहर में एक क्रिकेट एकेडमी चलाने वाले कोच सचिन कुमार और उनके साथ आए उनके एकेडमी के तीन अंडर-15 क्रिकेटरों यश, सिद्धांत और निर्देश भी केएल राहुल को ही देखने लगभग 400 किलोमीटर दूर से आए हैं।
यश एक बल्लेबाज़, सिद्धांत विकेटकीपर और निर्देश तेज़ गेंदबाज़ हैं। उनके लिए स्टेडियम से लाइव क्रिकेट मैच देखने का यह पहला अनुभव है और वे इस अनुभव से बहुत कुछ सीखकर अपने क्रिकेटिंग जीवन में उतारना चाहते हैं। उनके लिए यह आश्चर्यजनक चीज़ है कि बिना किसी को बोले-बताए या कप्तान के चिल्लाए ओवर बदलने पर हर फ़ील्डर अपने निर्धारित फ़ील्डिंग पोज़िशन पर चला जा रहा है।
यश कहते हैं, "जब हम लोग एकेडमी या क्लब लेवल का क्रिकेट खेलते हैं तो फ़ील्डिंग लगाते-लगाते और चिल्लाते-चिल्लाते कप्तान तो बेचारा फ़्रस्टेट ही हो जाता है। इस मैच को देखकर लगा कि हमें अभी कितना अनुशासित होना है। वहीं हम यह भी देख रहे हैं कि कोई भी गेंदबाज़, अपनी गेंदबाज़ी स्पेल पर जाने से पहले क्या-क्या कर रहा है, फ़ील्डर अपनी तरफ़ गेंद आने पर कितनी मुस्तैदी दिखा रहा है और ओवरों के बीच में क्या-क्या अन्य चीज़ें हो रही हैं, जो अमूमन हम टीवी पर नहीं देख पाते हैं।"
इनके कोच सचिन झारखंड के लिए एज़ ग्रुप क्रिकेट खेल चुके हैं। वह अपने कुछ अन्य अंडर-19 बच्चों के साथ लखनऊ में चल रहे अयोध्या प्रीमियर लीग के ट्रायल्स पर आए हैं। उन्होंने बताया कि अभी वह इन बच्चों से कुछ पूछ नहीं रहे हैं और ना ही कोई बात कर रहे हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि क्रिकेट देखने में उन्हें कोई डिस्टर्बेंस हो। वह जब वापस एकेडमी जाएंगे तो फिर से इस बात पर चर्चा की जाएगी कि उन्होंने इस लाइव मैच को देखकर क्या-क्या सीखा और वे इससे अपने क्रिकेट में क्या सुधार करेंगे?
गजेंद्र त्रिपाठी अपने बेटे के साथ इकाना स्टेडियम में•Daya Sagar/ESPNcricinfo
इनसे कुछ दूर पर ही युवा क्रिकेटरों का एक और समूह बैठा है। वे लखनऊ के प्रसिद्ध स्पोर्ट्स गैलेक्सी एकेडमी में क्रिकेट सीखते हैं, जहां पर रिंकू सिंह जैसे अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी और यूपी रणजी टीम के कई खिलाड़ी अभ्यास करते हैं।
इन्हीं में से एक विजेंद्र कुमार, केएल राहुल का खेल देखने आए हैं। गोरखपुर के एक ऑटो चालक के बेटे विजेंद्र वैसे तो महेंद्र सिंह धोनी के फ़ैन हैं, लेकिन फ़िलहाल वह राहुल की बल्लेबाज़ी देखकर अपनी बल्लेबाज़ी तकनीक को और पुख़्ता करना चाहते हैं। उनके साथ आए मयंक और मुकेश तेज़ गेंदबाज़ी करते हैं, जो मोहम्मद सिराज की गेंदबाज़ी देख उसकी बारीकियों को अपने जेहन में उतार रहे हैं।
इन सबका मानना है कि लाइव खेल देखने का एक अपना लुत्फ़ है और एक युवा क्रिकेटर होने के नाते उन्हें बहुत कुछ सीखने-समझने को भी मिलता है, जो वे टीवी पर नहीं देख सकते हैं।
इनके बीच गजेंद्र त्रिपाठी और संस्कार त्रिपाठी की एक पिता पुत्र की जोड़ी है। गजेंद्र एयरफ़ोर्स से रिटायर्ड सैनिक हैं, जो अपने नौकरी के दिनों में एयरफ़ोर्स के लिए क्रिकेट भी खेला करते थे। जब उन्होंने देखा कि उनका 13 साल का बेटा क्रिकेट में रूचि ले रहा है, तो उन्होंने उसे एक क्रिकेट एकेडमी में दाखिला कराने में कोई देरी नहीं की।
गजेंद्र लगभग हर गेंद पर अपने बेटे को खिलाड़ियों की तरफ़ इशारा करके समझा रहे हैं। जब उनसे पूछा जाता है तो वह कहते हैं, "मैं इन्हें कुछ छोटी-छोटी डिटेल्स नोटिस कराने की कोशिश कर रहा हूं, जो आप लाइव मैच में ही देख पाते हो। इन्हें देखना होगा कि साई (सुदर्शन) अपने आपको कैसे धैर्य बनाकर क्रीज़ पर टिके हुए हैं। इनके लिए अच्छा है कि अभी साई खेल रहे हैं क्योंकि यह भी उनकी तरह बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं।"
ग़ौरतलब है कि इस मैच में साई सुदर्शन ने पहली पारी में तब रन बनाए, जब दूसरे छोर पर लगातार विकेट गिर रहे थे।
वासिनी, विराट कोहली के बारे में , "हम, अभी तक उसी दर्द में हैं। इतनी जल्दी संन्यास नहीं लेना था"•Daya Sagar/ESPNcricinfo
इन्हीं सबके बीच रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (RCB) की दो ज़बरदस्त फ़ैंस वासिनी और ज्योति भी बैठी हैं। 11वीं में पढ़ने वाली वासिनी की अगले दिन फ़िजिक्स का पेपर है लेकिन वह फिर भी इस मैच को देखने आई हैं क्योंकि इस मैच में RCB के सितारे देवदत्त पड़िक्कल और पूर्व में RCB के साथ रह चुके राहुल और सिराज भी खेल रहे हैं।
दोनों इससे पहले UP लीग, WPL और IPL के कुछ मैच देख चुकी हैं। हालांकि वे, यह मैच तभी देखने आ पाई हैं क्योंकि यह मैच दिन में हो रहा है। वे इकाना स्टेडियम में वही मैच देख पाती हैं, जो दोपहर में शुरू होता है क्योंकि लड़की होने के नाते उन्हें शाम तक अपने घर पहुंचना होता है। इस मैच में भी वह अपने भाई विशाल के साथ आई हैं, ताकि वे अपने कुछ पसंदीदा सितारों के खेल का लुत्फ़ उठा सकें।
हालांकि विराट कोहली का नाम आने पर वे थोड़ी सी दुःखी हो जाती हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक उनके संन्यास का ग़म नहीं भूला है।
बतौर वासिनी, "हम, अभी तक उसी दर्द में हैं। इतनी जल्दी संन्यास नहीं लेना था।"
ज्योति, वासिनी को कंधा देकर दिलासा देती है। बगल में बैठा विशाल मुस्कुरा देता है।
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95