बैज़बॉल के लिए अनुकूल राजकोट की पिच पर क्या होगी भारत की रणनीति
इसी मैदान पर खेले गए पिछले टेस्ट में इंग्लैंड के पास जीतने का भी मौक़ा था
कार्तिक कृष्णास्वामी
14-Feb-2024
राजकोट की पिच हरी नज़र आ रही है। लेकिन 2016 में भी तो राजकोट की सतह पर घास थी। वह मैच ड्रॉ रहा था। अगर इंग्लैंड ने खुलकर खेला होता तो वह संभवतः वो मैच जीत सकता था। उन्होंने पांचवें दिन के दूसरे सत्र के मध्य में भारत को 310 का लक्ष्य देते हुए पारी घोषित की थी और दिन का खेल समाप्त होते होते वे भारत के छह विकेट ही झटक पाए थे।
राजकोट की पिच इंग्लैंड को सिर्फ़ 2016 के टेस्ट की याद नहीं दिला रही होगी बल्कि उन्हें 2022 में खेला गया रावलपिंडी टेस्ट भी याद आ रहा होगा जब उन्होंने रन अ बॉल से अधिक की गति से दोनों पारियों में 135.1 ओवर खेलकर कुल 921 रन बना लिए थे और अपने गेंदबाज़ों के लिए विकेट चटकाने के लिए पर्याप्त समय बचा लिया था। पांचवें दिन सूरज ढलते ढलते जीत इंग्लैंड की मुट्ठी में थी।
इस सीरीज़ में भारतीय स्पिनर्स का अपने रंग में आना अभी भी बाक़ी है। हालांकि रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जाडेजा पहले भी सीरीज़ के आगे बढ़ने के साथ साथ अपनी लय पकड़ चुके हैं।
टेस्ट मैच की पूर्व संध्या पर जाडेजा ने कहा, "यहां विकेट आमतौर पर फ़्लैट और सख़्त ही होती है। लेकिन बहुत हद तक चीज़ें इस पर भी निर्भर करती हैं कि पिच को किस तरह से तैयार किया गया है। यहां पर खेलने पर पिच हर बार अलग तरह से बर्ताव करती है।"
सीरीज़ भले ही इस समय 1-1 की बराबरी पर है लेकिन अगर पहले मैच में ऑली पोप की शतकीय पारी नहीं होती तो इंग्लैंड के लिए अभी तस्वीर अलग भी हो सकती थी। बुधवार को प्रेस वार्ता में जाडेजा से आधे से ज़्यादा इंग्लैंड की बल्लेबाज़ी से संबंधित सवाल ही किए गए।
जाडेजा ने कहा, "टेस्ट क्रिकेट में कुछ अधिक करने की ज़रूरत नहीं होती। वे हर जगह शॉट्स लगाने की ताक में रहते हैं। अगर आप एक गेंदबाज़ के तौर पर उन्हें और अलग करने के लिए उकसाने में सफल हो जाते हैं तब आपके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। गेम प्लान और लाइन लेंथ पर टिके रहना ज़रूरी है।"
इंग्लैंड के स्पिन आक्रमण को भी इसी सतह पर गेंदबाज़ी करनी होगी जहां पहली पारी में पांच सौ रन का स्कोर भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता। लेकिन उनके लिए राहत भरी ख़बर यह है कि उनके सामने तुलनात्मक तौर पर एक कम अनुभवी बल्लेबाज़ी क्रम होगा।
जाडेजा ने कहा, "जो नए खिलाड़ी आए हैं, उन्हें प्रथम श्रेणी क्रिकेट का अच्छा ख़ासा अनुभव है और उन्होंने वहां अच्छा प्रदर्शन भी किया है। उन्हें लंबी पारी खेलने आता है। यह समय (ट्रांज़िशन फ़ेज़) आज, नहीं तो दो या पांच साल बाद आना ही था। यह अच्छा है कि युवा खिलाड़ियों को भारतीय परिस्थितियों में खेलने का मौक़ा मिल रहा है और आने वाले समय में वे टेस्ट टीम में भी सेटल हो जाएंगे। उन्होंने भारतीय परिस्थितियों में काफ़ी क्रिकेट खेली है, इसलिए उन्हें यहां की विकेट का अच्छा अंदाज़ा है।"
हालांकि इस तथ्य को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता कि एक हाई स्कोरिंग विकेट बैज़बॉल के लिए एकदम मुफ़ीद साबित हो सकती है।
कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo के सहायक एडिटर हैं