भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच होने वाले पहले टेस्ट में गेंदबाज़ों को रिवर्स स्विंग मिलने की संभावना
कोलकाता में पहले टेस्ट से चार दिन पहले ही काली मिट्टी की पिच बिना घास के नज़र आई
नागराज गोलापुड़ी
11-Nov-2025 • 5 hrs ago
छह सालों में पहली बार कोलकाता किसी टेस्ट मैच का आयोजन कर रहा है • ICC/Getty Images
भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच 14 नवंबर से कोलकाता में पहला टेस्ट खेला जाएगा। इस टेस्ट में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि रिवर्स स्विंग एक अहम भूमिका निभा सकती है। ESPNcricinfo को पता चला है कि ईडन गार्डन्स की पिच पर गेंदबाज़ों को अच्छी उछाल मिलेगी लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ेगा, यह धीमी होती जाएगी। कोलकाता में काफ़ी दिनों से कोई टेस्ट मैच नहीं खेला गया है। छह साल में यह पहली बार है कि यहां किसी टेस्ट मैच का आयोजन किया जा रहा है।
कोलकाता की पिच काली मिट्टी की है। ऐसा पता चला है कि मैच के चार दिन पहले तक इस पिच पर कोई घास नहीं थी। मैच शुरू होने तक यह मुश्किल से दो मिलीमीटर तक रहेगी। वेस्टइंडीज़ सीरीज़ का दूसरा टेस्ट (दिल्ली) भी काली मिट्टी की पिच पर खेला गया था, लेकिन माना जा रहा है कि ईडन गार्डन्स की पिच वैसी सपाट नहीं होगी जैसी अरुण जेटली स्टेडियम की थी। उस मैच में भारत ने पांचवें दिन सात विकेट से जीत दर्ज की थी।
वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ भारत ने दो मैचों की जो टेस्ट सीरीज़ खेली थी, वह बिल्कुल ही अलग-अलग तरह की पिच पर खेला गया था। सीरीज़ का पहला मैच पहला मैच अहमदाबाद में हुआ था। पिछले कुछ सालों में यह भारत के उन पिचों में शामिल रही है, जहां सबसे ज़्यादा घास होते हैं। उस मैच में लाल मिट्टी की पिच थी जिस पर चार मिलीमीटर तक की लाइव घास थी। पिच से गेंदबाज़ों को अच्छी उछाल मिल रहा था। वह मैच तीन दिन के अंदर ही ख़त्म हो गया था, जिसमें वेस्टइंडीज़ को पारी से हार का सामना करना पड़ा था। उस मैच में उनकी बल्लेबाज़ी को लेकर काफ़ी आलोचना हुई थी। उनकी दोनों पारियां 44.1 और 45.1 ओवर में सिमट गईं थीं।
पिछले साल भारत को न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ में भारत एक भी मैच नहीं जीत पाया था। ऐसा हो सकता है कि भारत इस बार साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ कोलकाता और गुवाहाटी दोनों में ज़्यादा टर्न लेने वाली पिचें तैयार करने से बचना चाहेगा। माना जा रहा है कि ईडन गार्डन्स की सतह जल्दी टूटेगी, जिससे तेज़ गेंदबाज़ों के लिए रिवर्स स्विंग की संभवना होगी। तेज़ गेंदबाज़ों के लिए एक और अच्छी बात यह है कि पिछले 15 सालों में भारत में ईडन गार्डन्स वो मैदान रहा है जहां तेज़ गेंदबाज़ों ने सबसे ज़्यादा विकेट प्रतिशत (61%) दर्ज किया है। छह टेस्ट मैचों में तेज़ गेंदबाज़ों ने यहां 97 विकेट लिया है।
कोलकाता में सुबह और शाम को तापमान ठंडा रहने की उम्मीद है। इसके कारण सीम गेंदबाज़ों को अतिरिक्त मदद मिल सकती है। उन्हें हवा में मूवमेंट मिलने की संभवाना बढ़ जाएगी। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए टॉस का प्रभाव ज़्यादा निर्णायक नहीं रहेगा। साथ ही ईडन गार्डन्स का आउटफ़ील्ड भी काफ़ी तेज़ है क्योंकि यह काली मिट्टी का बना है (जो पिच की मिट्टी से अलग है), लेकिन जैसे-जैसे पिच धीमी पड़ेगी, बल्लेबाज़ों के लिए रन बनाना मुश्किल होता जाएगा।
साउथ अफ़्रीका हाल ही में पाकिस्तान में रावलपिंडी टेस्ट जीतने के बाद भारत पहुंच रहा है। उस सीरीज़ के दौरान पाकिस्तान में स्पिनरों को मदद करने वाली पिच बनाया था। वहां साउथ अफ़्रीका के तीनों स्पिनर सेनुरन मुथुसामी (प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़), केशव महाराज (रावलपिंडी टेस्ट के प्लेयर ऑफ़ द मैच) और साइमन हार्मर (सीरीज़ में दूसरे सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़) शानदार प्रदर्शन किया था।
यह साउथ अफ़्रीका का ईडन गार्डन्स पर चौथा टेस्ट होगा। उन्होंने यहां 1996 में अपने पहले दौरे पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2004 और 2010 के दोनों टेस्ट हार गए थे। इस मैदान पर आख़िरी टेस्ट 2019 में खेला गया था, जब भारत ने बांग्लादेश को पिंक बॉल टेस्ट में मात दी थी। आख़िरी रेड-बॉल टेस्ट 2017 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेला गया था, जो ड्रॉ रहा था।
