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एक नियमित आईपीएल खिलाड़ी बनने के सफ़र पर चल पड़े गौतम

2018 में वॉर्न के एक "विशेष खिलाड़ी" होने के बाद चार सालों में उन्होंने ज़्यादातर समय बेंच पर बिताया है

4 मार्च को, जब सारे जगत को शेन वॉर्न के निधन का समाचार मिला, तब शोक मना रहे करोड़ों लोगों में एक व्यक्ति थे कृष्णप्पा गौतम। राजस्थान रॉयल्स के साथ बतौर मेंटॉर अपने कार्यकाल में गौतम 2018 में वॉर्न के विशेष खिलाड़ियों में से एक थे।
इसे संयोग कहें या कुछ और लेकिन गौतम का आईपीएल करियर उस सीज़न के बाद से ऊंचाइयों पर नहीं जा पाया है। चार साल और तीन अलग फ़ैंचाइज़ियों - पंजाब किंग्स, चेन्नई सुपर किंग्स और अब लखनऊ सुपर जायंट्स - के बाद अब गौतम एकादश का नियमित हिस्सा होने के तरफ़ अपने क़दम बढ़ा रहे हैं।
गुरुवार को स्कोरकार्ड पर 23 रन देकर एक विकेट के आंकड़े पूरी कहानी बयान नहीं करेंगे। यह आपको नहीं बताएगा कि कैसे पृथ्वी शॉ ने उनके ख़िलाफ़ तीन चौके और एक छक्का जड़ा। यह नहीं बताएगा कि कैसे इस पिटाई के बाद वापसी करते हुए उन्होंने ऋषभ पंत के विरुद्ध एक मेडन ओवर डाला। या फिर यह कि कैसे अंततः उन्होंने शॉ को सही समय पर चलता किया।
चार साल पहले वॉर्न ने गौतम को सिखाया कि स्पिनर भी डेथ गेंदबाज़ बन सकते हैं। उनपर विश्वास जताया गया कि वह नई गेंद के साथ भी एक घातक गेंदबाज़ बन सकते हैं। साथ ही मध्य ओवरों में उन्हें रन रोकने की ज़िम्मेदारी दी गई।
अपनी पुरानी एक्शन के कारण गौतम को प्यार से सब 'भज्जी' बुलाते थे। लेकिन गौतम की गेंद कभी इतनी घूमती नहीं थी। निचले क्रम के बल्लेबाज़ के रूप में उनके पास तेज़ गति से रन बनाने की क्षमता थी लेकिन आईपीएल स्तर पर वह ख़ुद को साबित नहीं कर पाए थे। लेकिन 2018 में उन्होंने अपनी इस ताक़त का परिचय दिया। 17 गेंदों पर जब रॉयल्स को 43 रनों की आवश्यकता थी तब गौतम ने जसप्रीत बुमराह को आड़े हाथों लिया और 11 गेंदों पर 33 रन बनाकर अपनी टीम को जीत दिलाई।
आपके मन में सवाल होगा कि हम चार साल पुरानी बातों को लेकर क्यों बैठ गए? वह क्या है ना, कुछ खिलाड़ियों के संदर्भ में पूरी कहानी को समझना ज़रूरी है। उस सीज़न में गौतम ने आठ से कम की इकॉनमी से 11 विकेट झटके थे। यह एक सफल आईपीएल करियर की तरफ़ बढ़िया शुरुआत थी लेकिन उनका करियर छठे गियर में नहीं जा पाया है।
2019 में गौतम ने रॉयल्स के लिए सात मैच खेले। कुल मिलाकर 20 ओवर फेंकने के बावजूद उन्हें केवल एक सफलता मिली। वॉर्न अब मेंटॉर से ब्रांड एम्बेसडर बन चुके थे और उनकी भूमिका नियमित थी। बाद में गौतम ने बताया था कि कैसे मुश्किल समय पर उन्होंने वॉर्न को मिस किया था।
आईपीएल 2020 से पहले गौतम को पंजाब किंग्स में भेज दिया गया। गौतम की उम्मीदें जग गई क्योंकि वह दिग्गज लेग स्पिनर अनिल कुंबले की कोचिंग और कर्नाटका के अपने साथी केएल राहुल की कप्तानी में खेलने वाले थे। गेंद के साथ ख़राब प्रदर्शन के कारण दो मैचों के बाद उन्हें पूरे सीज़न के लिए टीम से बाहर कर दिया गया।
इसके बाद गौतम की क़िस्मत खुल गई जब चेन्नई सुपर किंग्स ने सवा नौ करोड़ रुपये देकर उन्हें आईपीएल इतिहास का सबसे मंहगा अनकैप्ड खिलाड़ी बनाया। मोटी रक़म मिलने के बाद तो वह टीम में अहम भूमिका निभाएंगे ना? जी नहीं। उन्हें केवल मोईन अली के बैकअप के रूप में ख़रीदा गया था। आईपीएल ख़िताब जीतने वाले गौतम पूरे सीज़न बेंच पर बैठे हुए थे।
फिर आया 2022। बेशक़ सीएसके उन्हें दोबारा ख़रीदने की पूरी कोशिश करेंगे, शायद कम दाम पर? जी नहीं, उन्होंने गौतम के लिए बोली तक नहीं लगाई। लखनऊ ने 50 लाख से बोली की शुरुआत की और 80 लाख में उन्हें अपना नया सुपर जायंट बनाया। उनकी धन राशि में आठ करोड़ 45 लाख रुपये की गिरावट इस बड़ी नीलामी में सर्वाधिक थी।
अब इस सीज़न में गौतम के पास साबित करने को बहुत कुछ था। 33 साल की आयु में वह बीच मझधार में थे। संयोग से फिर एक बार वह राहुल और ऐंडी फ़्लावर ( जो 2019 में पंजाब किंग्स के सहायक कोच थे) के नेतृत्व में खेलने वाले थे। क्या इस बार परिणाम कुछ अलग होगा?
टीम संरचना के कारण गौतम को पहले तीन मैचों में बाहर बैठना पड़ा। मनिष पांडे के ख़राब फ़ॉर्म और एविन लुईस और आयुष बदोनी के बढञिया प्रदर्शन ने लखनऊ को अपने निचले क्रम को मज़बूत करने पर मजबूर किया। अब बारी आई गौतम की। कठिन शुरुआत के बाद शानदार वापसी करते हुए गौतम ने जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
पारी का दूसरा ओवर डाल रहे गौतम को शॉ ने अपना शिकार बनाया। गुड लेंथ की गेंदों को आसानी से 30 गज़ के घेरे के बाहर मारते हुए उन्होंने तेज़ी से रन बटोरे। इस महंगे ओवर के बाद जब वह आठवें ओवर में दोबारा गेंदबाज़ी करने आए तो शॉ ने छक्के के साथ उनका स्वागत किया। गौतम अपनी लेंथ पकड़ने में संघर्ष कर रहे थे। बाद में उन्होंने बताया कि नियमित तौर पर आईपीएल में नहीं खेलने से वह दबाव महसूस कर रहे थे।
हालांकि दो गेंदों बाद वह राउंड द विकेट गए और उन्होंने अपनी गति से शॉ को छकाया और कीपर के हाथों कैच आउट करवाया। 67 रनों की सलामी साझेदारी अब टूट चुकी थी। दूसरे छोर से रवि बिश्नोई सटीक गेंदबाज़ी कर रहे थे और गौतम को इसका फ़ायदा मिला। ख़तरनाक शुरुआत के बाद कैपिटल्स को बड़ा स्कोर खड़ा करना चाहिए था लेकिन लखनऊ के गेंदबाज़ों ने उन्हें ऐसा करने का अवसर ही नहीं दिया।
11 ओवर बाद तीन विकेट के नुक़सान पर 80 रन बनाने के बाद पंत पर पारी को संभालने की ज़िम्मेदारी थी। विकेट बचाने की सोच के साथ वह अतिरक्षात्मक हो गए और गौतम को उन्हें मेडन ओवर डालने का मौक़ा मिल गया। पंत ने अपने टी20 करियर में पहली बार किसी ओवर में एक भी रन नहीं बनाया था। उतार-चढ़ाव से भरे चार सालों में पहली बार गौतम को आईपीएल में चार चांद लगाने का अवसर मिला और उन्होंने दोनों हाथों से इसे स्वीकार किया।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।