जब भी
शिवम दुबे कोई छक्का लगाते हैं तब मीडिया, कॉमेंटेटर और क्रिकेट प्रशंसक युवराज सिंह की चर्चा करने लग जाते हैं। दुबे की युवराज से तुलना अधिकतर मौक़ों पर उनकी बैट स्विंग, टाइमिंग और ताक़त के लिए होती है।
दुबे संभवतः ख़ुद भी सबसे पहले वो व्यक्ति रहे होंगे, जिन्होंने यह कहा था कि युवराज एक अलग तरह के बल्लेबाज़ थे, जो बड़े से बड़े दबाव की स्थिति में बड़े से बड़े गेंदबाज़ी आक्रमण पर हावी हो सकते थे। युवराज गेंदबाज़ी भी कर सकते थे और क्षेत्ररक्षण में भी उनका जवाब नहीं था। इन सभी चीज़ों ने उन्हें सीमित ओवर क्रिकेट में लगभग एक संपूर्ण ऑलराउंडर बनाया था और दुबे अभी उस स्थिति को हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं।
अगर इन दोनों में कोई समानता है तो वह है बड़े शॉट लगाने के लिए इन दोनों का ही एफ़र्टलेस तरीक़ा। दुबे ने अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ पहले दो टी20 मैचों में अपनी इस क्षमता का प्रदर्शन भी किया और यही चीज़ उन्हें हार्दिक पंड्या के बाद आगामी टी20 विश्व कप के लिए एक सीम गेंदबाज़ी ऑलराउंडर का दावेदार बनाती है।
IPL 2023 में दुबे ने ही स्पिन के ख़िलाफ़ सर्वाधिक 22 छक्के लगाए थे। इन 22 छक्कों में से 20 छक्के उन्होंने मिडिल ओवर्स (7-16) के दौरान लगाए थे। इस चरण में कम से कम 100 रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में सिर्फ़ हाइनरिक क्लासन (185.34) और संजू सैमसन (172.17) का ही स्ट्राइक रेट दुबे के 172.07 स्ट्राइक रेट से बेहतर था। हालांकि क्लासन ने 116 गेंद खेलकर 16 जबकि सैमसन ने 115 गेंद खेलकर 18 छक्के लगाए, जबकि इन दोनों की तुलना में दुबे ने 111 गेंदों का ही सामना किया था।
दुबे ने बीते IPL सीज़न में नंबर तीन से लेकर नंबर छह पर बल्लेबाज़ी की और हर जगह पर उन्होंने प्रभावित किया। दुबे, डेवन कॉन्वे और ऋतुराज गायकवाड़ के बाद चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ़ से सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी थे। उन्होंने चेन्नई को ट्रॉफ़ी जिताने में एक बेहद ही अहम भूमिका अदा की।
दुबे ने 2019 में भारत के लिए डेब्यू किया लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित ना कर पाने के चलते उन्हें वापस घरेलू क्रिकेट का रुख़ करना पड़ा। दुबे को हार्दिक के बैक अप के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन इसके बाद वह अपने खेल से चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट को उतना प्रभावित नहीं कर पाए।
हालांकि पिछले दो वर्षो में महेंद्र सिंह धोनी के मार्गदर्शन में दुबे ने कम से कम बल्लेबाज़ी में ख़ुद को एक मैच विनर के तौर पर स्थापित करने की ओर अपने क़दम बढ़ा दिए हैं। शॉर्ट गेंद दुबे की कमज़ोरी हुआ करती थी। उन्होंने इस कमज़ोरी से पार पाने के लिए आक्रामक रुख़ अपनाने का फ़ैसला किया लेकिन यह भी उनके काम नहीं आया। लेकिन पिछले IPL में दुबे ने शॉर्ट गेंद के ख़िलाफ़ ख़ुद को ढालने की कोशिश की और उन्हें इसका नतीजा भी मिला। दुबे मिडिल ओवर्स में उस लेंथ पर सिर्फ़ एक बार ही आउट हुए जबकि उन गेंदों पर उन्होंने 100 से अधिक के स्ट्राइक रेट से रन भी बनाए।
अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करते हुए दुबे ने IPL में किए अपने प्रदर्शन को दोहराया। जिस तरह से इंदौर में उन्होंने 7 गेंद पर 7 के निजी स्कोर पर होने के बाद 22 गेंदों पर अर्धशतक जड़ दिया, उसने चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट के भीतर उनके प्रति विश्वास को बढ़ाया है। इंदौर में दुबे ने स्पिन के ख़िलाफ़ 15 गेंदों में 36 रन जड़ दिए। इसमें मोहम्मद नबी के ख़िलाफ़ लगातार तीन छक्के भी शामिल थे। जबकि नबी बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को काफ़ी परेशान करते हैं।
बेंगलुरु में भले ही वह जल्दी आउट हो गए लेकिन इसके बावजूद वह प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ का अवॉर्ड हासिल करने में सफल रहे। IPL में उन्होंने चेन्नई के लिए अधिक गेंदबाज़ी तो नहीं की थी लेकिन उनसे अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ मुश्किल परिस्थितियों में छोटे स्पेल भी करवाए गए। हालांकि मुख्य कोच
राहुल द्रविड़ और टीम के कप्तान रोहित शर्मा, दुबे के प्रयासों से संतुष्ट हैं।
तो क्या दुबे बतौर ऑलराउंडर आगामी टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम के लिए एक सही विकल्प हैं? द्रविड़ ने साफ़-साफ़ तो कुछ नहीं कहा लेकिन उन्होंने यह ज़रूर स्वीकारा कि दुबे में काफ़ी सुधार हुआ है।
द्रविड़ ने
सीरीज़ की समाप्ति के बाद कहा, "दुबे में हर वह क्षमता है जिसकी भारतीय टीम को ज़रूरत है। ख़ासकर मिडिल ओवर्स में स्पिन के ख़िलाफ़ आक्रमण करने की क्षमता तारीफ़ के काबिल है। गेंद के साथ भी उन्होंने कुछ अच्छे ओवर डाले और उन्होंने बेंगलुरु जैसी जगह पर गेंदबाज़ी करते हुए कुछ सबक भी सीखे।"
पूर्व भारतीय बल्लेबाज़
डब्ल्यू वी रमन कहते हैं, "वह देर से खिलने वाले किसी फूल की तरह हैं, जो सही भी है। भले ही उन्होंने भारत के लिए ज़्यादा क्रिकेट नहीं खेली है, लेकिन वह पिछले काफ़ी समय से परिदृश्य में बने हुए हैं, जिसका मतलब है कि वह अब अनुभव अर्जित कर चुके हैं। यह परिस्थिति उनके लिए सबसे सही है जहां वो ज़्यादा से ज़्यादा योगदान दे सकें। मैं ज़रूर एक ऑलराउंड विकल्प के तौर पर उनके ऊपर विचार करता।"
एक गेंदबाज़ के तौर पर दुबे को अभी काफ़ी काम करने की ज़रूरत है। अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी में उनके आंकड़े कुछ ये थे - 9 पर 1 (2 ओवर), 36 पर 1 (3 ओवर) और 25 पर 1 (2 ओवर)। इंदौर में अगर डेथ में किए एक ओवर को छोड़ दिया जाए तो उन्होंने मिडिल ओवर्स में ही अधिक गेंदबाज़ी की। दुबे लंबी कद काठी के हैं, शरीर से भी काफ़ी तंदरुस्त हैं लेकिन इसके बाद भी वह तेज़ गेंदों के बजाय 120 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार के रेंज में गेंदबाज़ी करते हैं। वह अपनी स्लो गेंदों पर अधिक विश्वास जताते हैं।
हालांकि रमन के नज़रिए से दुबे की गेंदों में पेस की कमी चिंता का विषय नहीं है। वह कहते हैं, "पेस की समस्या नहीं है। उन्हें यह सोचना होगा कि वह वेरिएशंस पर कैसे काम कर सकते हैं। उन्होंने बैक ऑफ़ द हैंड डेलिवरी को विकसित किया है और ऑफ़ कटर फेंकते समय अपनी उंगलियों को भी रोल कर लेते हैं। उन्हें कम से कम एक और वेरिएशन विकसित करनी होगी, संभवतः यॉर्कर या एक स्लो बाउंसर। अगर वह इस तरह की गेंदों पर नियंत्रण पा लेते हैं तो वह अपनी कद काठी के चलते बल्लेबाज़ों को मुश्किल में डाल सकते हैं।"
दुबे सहित आगामी विश्व कप के लिए ऑलराउंड विकल्प के तमाम दावेदारों के सामने चुनौती अपना प्रदर्शन दोहराने की ही है। रमन और द्रविड़ दोनों ही यह मानते हैं कि आगामी IPl तमाम दावेदारों को टेस्ट करने के लिए एक अच्छा मंच साबित होगा।
भारत के लिए मैच जिताने का स्वाद चखने के बाद दुबे टी20 विश्व कप दल में जगह बनाना चाहते हैं। दुबे ने कहा, "स्किल ही सबकुछ नहीं होता। यह बहुत हद तक इस पर भी निर्भर करता है कि आप किस मानसिकता के साथ टी20 खेलते हैं। किसी भी गेंदबाज़ को खेलते समय आप दबाव को कैसे झेलते हैं। मेरे हिसाब से हर गेंद पर फ़ोकस रहना ज़्यादा ज़रूरी है, बनिस्बत इसके कि आप हर गेंद को मारने के लिए जाएं।"
नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo के न्यूज़ एडिटर हैं