भारत ए के ख़िलाफ़
पहले अनाधिकृत टेस्ट के पहले दिन जब
ऑस्ट्रेलिया ए ने पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया, तो सभी की निगाहें
सैम कॉन्स्टास पर थीं। उन्होंने पिछले ऑस्ट्रेलियाई समर के दौरान बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में भारत के ख़िलाफ़ अपने करियर की बेहतरीन शुरुआत की थी, लेकिन जब वह वेस्टइंडीज़ गए तो उनके बल्ले से 8.33 की मामूली औसत से तीन टेस्ट मैचों की छह पारियों में सिर्फ़ 50 रन आए।
इसके बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि इस ऑस्ट्रेलियाई सीरीज़ के दौरान ऐशेज़ में उस्मान ख़्वाजा का जोड़ीदार कौन होगा? इसे देखते हुए कॉन्स्टास का यह भारत दौरा बहुत अहम था और सीरीज़ की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया ए के कोच टिम पेन ने कहा था कि वह कॉन्स्टास को वैसे ही खेलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जैसे वह खेलना चाहते हैं।
उन्होंने कहा था, "ऐसे समय भी आएंगे, जब हालात मुश्किल होंगे और उन्हें दबाव झेलना पड़ेगा। लेकिन कुछ समय ऐसे भी आएंगे, जब वह अच्छा महसूस कर रहा होंगे और लय में होंगे। तब हम उनसे अपेक्षा करेंगे कि वह आक्रामक क्रिकेट खेलें और विपक्षी टीम पर दबाव डालें। वह एक रोमांचक खिलाड़ी है और जब वह क्रीज़ पर होते हैं, तो हमें पता नहीं होता है कि अगली गेंद पर क्या होगा। लेकिन यही उनके खेल का सबसे बेहतरीन पहलू है।"
मंगलवार का दिन कुछ ऐसा ही दिन था। पहला सत्र बारिश से पूरी तरह धुल जाने के बाद दोपहर 12 बजे जब दूसरा सत्र शुरू हुआ, तब भी बादल घिरे हुए थे और परिस्थितियां बल्लेबाज़ी के लिए उतनी अनुकूल नहीं थी। इसके अलावा पिच पर हल्की छूटी घास और भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी क्रम में दो अंतर्राष्ट्रीय गेंदबाज़ों की मौज़ूदगी भी इस प्रतिकूलता को और बढ़ा रही थीं। ऐसे में कॉन्स्टास को अपने खेल के ऐसे पहलू को दिखाना था, जिसके बारे में दुनिया बहुत कम परिचित है।
कॉन्स्टास ने
प्रसिद्ध कृष्णा के पहले ओवर की शुरुआत बहुत ही सजग ढंग से की और ऑफ़ स्टंप के बाहर के चैनल की गेंदों को विकेटकीपर के पास जाने दिया और स्टंप पर आती गेंदों को सीधे बल्ले से खेला। हालांकि जब ओवर की अंतिम गेंद पर उन्हें ऑफ़ स्टंप के बाहर की बैक ऑफ़ लेंथ गेंद मिली, तो उन्होंने उसे स्लिप कॉर्डन के ऊपर से रिवर्स रैंप मारने की कोशिश की।
हालांकि यह प्रयास असफल रहा लेकिन इससे उनके मेलबर्न के डेब्यू टेस्ट की याद आ गई, जब उन्होंने पहले ओवर में ही जसप्रीत बुमराह को कुछ इसी तरह निशाना बनाया था।
उन्होंने इस ओवर की पांचवीं गेंद को मिडविकेट पर फ़्लिक करते हुए चौका पाया था लेकिन इस ओवर के बाद वह थोड़े सावधान हो गए। ख़ासकर वह बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ ख़लील अहमद के ख़िलाफ़ अधिक सतर्क रहे और उनके कोण से बाहर निकलती गेंदों को बहुत ही तरतीबी से खेला। इस दौरान वह सिंगल-डबल लेते हुए अपने सलामी जोड़ीदार कैंपबेल केलावे के साथ स्ट्राइक भी रोटेट करते रहे।
दिन के खेल के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कॉन्स्टास ने कहा, "शुरुआत में तेज़ गेंदबाज़ों को मदद ज़रूर थी और उन्होंने बेहतरीन गेंदबाज़ी की लेकिन केलावे के साथ साझेदारी बनने से मुझे बहुत मदद मिली। पहले हमने बस स्ट्राइक रोटेट किया, जिससे हम अच्छी स्थिति में पहुंचे। उनके साथ बल्लेबाज़ी का मैंने पूरा लुत्फ़ उठाया। हमने अपनी योजनाओं के बारे में बात की और यह भी तय किया कि किस गेंदबाज़ के ख़िलाफ़ किस तरह से जाना है।"
पहले बदलाव के रूप में जब
गुरनूर बरार आए, तब कॉन्स्टास ने गियर बदलना शुरू किया और 10वें ओवर में उनकी एक शॉर्ट एंड वाइड गेंद को स्लैश करते हुए प्वाइंट के ऊपर से चौका मारा। इसके बाद उन्होंने बराड़ पर एक रिवर्स स्कूप लगाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। फिर उन्होंने उन पर आगे बढ़कर गली के ऊपर से एक चौका कट किया।
इस दौरान दूसरे छोर पर कॉन्स्टास के साथी केलावे शुरू से ही आक्रामक ढंग से खेल रहे थे। उन्होंने लगभग प्रति गेंद रन बनाते हुए सिर्फ़ 54 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया, जिसमें सात चौके और एक छक्का शामिल था। वहीं दूसरी ओर अपने स्वभाव से विपरीत खेलते हुए कॉन्स्टास ने अपना अर्धशतक पूरा करने के लिए कुल 86 गेंदें लीं, जिसमें छह चौके लेकिन कोई छक्का शामिल नहीं था।
हालांकि दिन के दूसरे घंटे में जब दोनों छोर से स्पिनर्स आना शुरू हुए, तब कॉन्स्टास ने अपना गियर एक बार और बदला और अब मैदान के चारों तरफ़ अपना शॉट खेलना शुरू किया। उन्होंने ख़ास तौर पर बाएं हाथ के स्पिनर
हर्ष दुबे को अपना निशाना बनाया और उन पर स्लॉग स्वीप करते हुए डीप मिडविकेट की दिशा में दो छक्के जड़े। इसके अलावा उन्होंने ऑफ़ स्पिनर तनुष कोटियान पर भी हाथ खोले और 19वें ओवर में उन पर स्वीप करते हुए डीप स्क्वेयर पर चौका जड़ा।
उन्होंने तनुष कोटियान पर ही आगे बढ़ते हुए लांग ऑन पर छक्का जड़ा और 122 गेंदों में अपना शतक पूरा किया। इस शतक में उनके दूसरे 50 रन सिर्फ़ 36 गेंदों में आए। यह पिछले दो सप्ताह में उनका दूसरा शतक था। इससे पहले उन्होंने हाल ही में अपनी राज्य की टीम न्यू साउथ वेल्स के प्री-सीज़न मैच में एक शतक जड़ा था, हालांकि यह कोई प्रथम श्रेणी मैच नहीं था।
कॉन्स्टास ने कहा, "इस सप्ताह यह दूसरा शतक था, जिससे मैं बहुत ख़ुश हूं। पिच के बीच में समय बिताना हमेशा से बहुत अच्छा होता है। पिछला कुछ समय बहुत मुश्किल था और मुझे मानसिक रूप से इससे लड़ना पड़ा। यहां परिस्थितियां अलग तरह की थी और मैं बस परिस्थितियों के अनुसार ढलने की कोशिश कर रहा था।
"यहां काफ़ी ज़्यादा उमस व गर्मी थी और स्पिन की चुनौती भी थी। लेकिन मैं बस अपने इंस्टिक्ट को बैक रहा था और हर गेंद पर उसी प्रोसेस को दोहराने की कोशिश कर रहा था, जो मैं हमेशा से करते आया हूं। अब मैं इस प्रदर्शन के बाद बहुत ज़्यादा उत्साहित हूं और उम्मीद है कि आगे और भी बेहतर प्रदर्शन करूंगा।"
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95