तमिलनाडु के स्पिन ऑलराउंडर
वॉशिंगटन सुंदर ने अपने
प्रथम श्रेणी करियर की शुरुआत शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ के रूप में की थी और 2016-17 के अपने पहले रणजी सीज़न के सभी पांच मैच उन्होंने सलामी बल्लेबाज़ के रूप में खेले थे। हालांकि अगले सीज़न से उनका बल्लेबाज़ी क्रम बदल गया और वह निचले क्रम के बल्लेबाज़ के रूप में नंबर छह या सात पर आने लगे।
तब से लेकर अब तक की 41 प्रथम श्रेणी पारियों में वॉशिंगटन ने सिर्फ़ एक बार ओपनिंग की है, जबकि चार बार नंबर तीन पर आए हैं। पिछली बार जब उन्होंने 2017 में
त्रिपुरा के ख़िलाफ़ ओपनिंग की थी, तब उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी करियर का पहला और एकमात्र शतक लगाया था। वहीं शुक्रवार को जब वह दिल्ली में
दिल्ली के ख़िलाफ़ नंबर तीन पर उतरें, तो उनके प्रथम श्रेणी करियर का दूसरा शतक आया।
शनिवार को दिल्ली-तमिलनाडु रणजी ट्रॉफ़ी मैच के दूसरे दिन शतक लगाने के बाद मीडिया से बात करते हुए वॉशिंगटन ने कहा कि उन्हें शीर्ष क्रम में बल्लेबाज़ी करना पसंद है और वह अपने आपको शीर्ष क्रम का ही बल्लेबाज़ समझते हैं।
उन्होंने कहा, "यह टीम प्रबंधन का निर्णय था और मैं उनका आभारी हूं कि मुझे उन्होंने यह मौक़ा दिया। मुझे पता था कि बल्लेबाज़ी करने के लिए यह एक बेहतरीन स्थिति है और मैं ख़ुश हूं कि टीम के प्रदर्शन में मैं अपना योगदान दे सका। निश्चित रूप से मैं अपने आपको शीर्षक्रम का बल्लेबाज़ समझता हूं और नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी का मौक़ा पाकर कर मैं बहुत ख़ुश हूं। मेरे लिए यह सबसे अधिक ज़रूरी है कि टीम की जो ज़रूरत है, मैं उसे पूरा कर सकूं। क्रिकेट एक टीम गेम है और मैं जहां भी संभव हो अपना योगदान देना चाहता हूं ताकि टीम जीत सके। मैं हमेशा इसी तरह ही सोचता हूं और मुझे उम्मीद है कि मैं आगे इस तरह की और पारियां भी खेल सकूंगा।"
शुक्रवार को कप्तान नारायण जगदीशन (65) के आउट होने के बाद वॉशिंगटन बल्लेबाज़ी के लिए आए और सलामी बल्लेबाज़ साई सुदर्शन (213) के साथ दूसरे विकेट के लिए 232 रनों की साझेदारी की। पहले दिन जब खेल समाप्त हुआ तो वॉशिंगटन 96 रन बनाकर क्रीज़ पर टिके थे। शनिवार को खेल शुरू होने के बाद अपना शतक पूरा करने में उन्होंने ज़्यादा समय नहीं लिया और दिन के तीसरे ओवर में ही नवदीप सैनी की गेंद को स्लिप और गली के बीच चौके के लिए भेजकर अपना दूसरा प्रथम श्रेणी शतक पूरा किया।
हालांकि वॉशिंगटन यहां ही नहीं रूके और प्रदोष रंजन पॉल (117) के साथ चौथे विकेट के लिए 92 रन की साझेदारी पूरी की। हिमांशु चौहान की गेंद पर सनत सांगवान को कैच देने से पहले वॉशिंगटन ने 269 गेंदों में 152 रन बनाया, जिसमें 19 चौके और एक छक्का शामिल था। जब सुंदर आउट हुए तो तमिलनाडु की टीम चार विकेट पर 528 रन बनाकर मज़बूत स्थिति में पहुंच गई थी। बाद में रंजन पॉल और 18-वर्षीय आंद्रे सिद्धार्थ के अर्धशतक (66) की मदद से तमिलनाडु ने छह विकेट के नुकसान पर 674 रनों पर अपनी पारी घोषित की, जो कि तमिलनाडु का पांचवां सर्वश्रेष्ठ प्रथम श्रेणी टीम स्कोर है।
वॉशिंगटन ने कहा, "जब मैं बल्लेबाज़ी के लिए आया तो पिच बहुत अच्छी तरह से खेल रही थी और अभी भी अच्छी खेल रही है। लेकिन हम उन्हें कल ऑलआउट करने की कोशिश करेंगे, जो हमारे लिए आदर्श स्थिति होगी।"
वॉशिंगटन से जब पूछा गया कि क्या वह आगे भी ऊपरी क्रम में बल्लेबाज़ी करना पसंद करेंगे, तो उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से हां।"
उन्होंने कहा, "शतक हमेशा शतक ही होता है, इसका कोई अलग तरीका नहीं है। मुझे अपने स्किल और अपनी बल्लेबाज़ी पर पूरा भरोसा है। मैं बस यह ध्यान में रखता हूं कि कोई भी परिस्थितियां हों, टीम मुझसे क्या मांगती है। मुझे ऊपर बल्लेबाज़ी करने में मज़ा आता है।"
वॉशिंगटन इस मैच के लिए बिल्कुल अंत समय में टीम में शामिल हुए थे। 12 अक्तूबर की शाम उन्होंने भारत के लिए बांग्लादेश के ख़िलाफ़ हैदराबाद में
तीसरा और अंतिम T20I मैच खेला और फिर 18 अक्तूबर को दिल्ली में होने वाले रणजी मैच के लिए तमिलनाडु टीम से जुड़ गए। इस दौरान उन्होंने 17 अक्तूबर को दिल्ली में तमिलनाडु के अभ्यास सत्र में भी भाग लिया ताकि वह लाल गेंद की क्रिकेट का अभ्यास कर सकें।
उन्होंने कहा, "यह बहुत रोमांचक है। आप सभी फ़ॉर्मैट खेलते हो और आपको ढेर सारे मौक़े मिलते हैं। हालांकि आपको एक फ़ॉर्मैट से दूसरे फ़ॉर्मैट में स्विच करने में कुछ चीज़ें करनी पड़ती हैं, लेकिन एक शीर्ष स्तर के क्रिकेटर के रूप में आपको ऐसी चुनौतियों को स्वीकार भी करना होता है। जब आप ऐसी चुनौतियों से उभरकर बाहर निकलते हो और अच्छा प्रदर्शन करते हो, तो यह बहुत रोमांचक होता है।"
"हां, लाल गेंद की क्रिकेट के लिए आपको अलग तैयारी करनी होती है। मैं इसके लिए नेट्स में तीन से चार दिन लेता हूं ताकि मैं अपने सर्वश्रेष्ठ लय में आ सकूं। यह सिर्फ़ सही लय में आने और अपनी ताक़त पर टिके रहने की बात होती है। इसके अलावा आपको यह भी देखना होता है कि क्या आपके लिए काम करता है। यह अच्छी बात है कि आप अलग-अलग फ़ॉर्मैट खेलते हैं, इससे आपको स्विच करने में अधिक समय नहीं लगता है। जितना आप अलग-अलग फ़ॉर्मैट खेलोगे, आपको पता चलता जाएगा कि अलग-अलग फ़ॉर्मैट की क्या ज़रूरत है और आप फिर जल्दी से उसमें ढल सकोगे," वॉशिंगटन आगे कहते हैं।
फ़िलहाल सुंदर का लक्ष्य अधिक से अधिक क्रिकेट खेलना है। वह अधिक से अधिक लाल गेंद की क्रिकेट खेलना चाहते हैं, जिसे वह चोट और राष्ट्रीय व्यस्तताओं के कारण पिछले कुछ सालों में नहीं खेल पा रहे थे। उन्हें उम्मीद है कि वह इस घरेलू सीज़न अधिक से अधिक रणजी मैच खेल सकेंगे और अपनी टीम के लिए बेहतर प्रदर्शन भी देंगे।
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं. @dayasagar95