नवदीप सैनी ने गति और उम्मीद का साथ नहीं छोड़ा है
चोट से रिकवर करने के बाद वापसी कर रहे तेज़ गेंदबाज़ के लिए रणजी ट्रॉफ़ी ख़ुद का मूल्यांकन करने की घड़ी
हिमांशु अग्रवाल
18-Oct-2024
टीम इंडिया में वापसी का प्रयास कर रहे हैं रचिन रवींद्र • PTI
नवदीप सैनी टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते हुए बड़े हुए, तेज़ गति से गेंदबाज़ी करना उनकी स्वभाविक गेंदबाज़ी है। सैनी ने पहली बार 2017-18 के रणजी ट्रॉफ़ी सेमीफ़ाइनल में बंगाल के विरुद्ध अपनी पहचान स्थापित की। उस समय 25 वर्षीय गेंदबाज़ सैनी ने लगातार 140 किमी प्रति घंटे से गेंदबाज़ी की। सात साल बाद, वह एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं लेकिन उनके हिस्से में उतने मैच नहीं हैं। सैनी अभी भी 135 की गति से गेंदबाज़ी कर सकते हैं लेकिन इस बीच कई चोट उनकी प्रगति में बाधा बनी है।
रणजी ट्रॉफ़ी 2024-25 की शुरुआत से पहले सैनी ने ESPNcricinfo से पहले कहा था, "अगर कोई तेज़ गेंदबाज़ है तो उसे उस गति पर गेंदबाज़ी करने के लिए प्रयास की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए 120 या 125 किमी प्रति घंटे की गति से गेंदबाज़ी करने वाले गेंदबाज़ की तुलना में तेज़ गेंदबाज़ के चोटिल होने की आशंका अधिक रहती है।"
रणजी ट्रॉफ़ी 2017-18 में सैनी फ़ाइनल में पहुंची दिल्ली के लिए सर्वाधिक 34 विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। जून 2018 में उन्हें भारतीय दल के लिए बुलावा आया। हालांकि उनका डेब्यू नहीं हुआ लेकिन वनडे वर्ल्ड कप 2019 की स्टैंडबाय सूची में उनका नाम ज़रूर आया।
अगले साल IPL में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के लिए उन्होंने 13 मैचों में 11 विकेट लिए। अगस्त में उन्होंने T20I में वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध डेब्यू करते हुए प्रभावित किया।
सैनी ने भारत के साथ अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, "विराट कोहली उस समय कप्तान थे और मैं RCB में उनकी कप्तानी में खेल चुका था। मैं उनसे बात करने में संकोच नहीं करता था और वे ख़ुद भी मेरा हौंसला बढ़ाते थे।"
फ़रवरी 2020 तक सैनी ने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ निर्णायक मैच और अपने ODI डेब्यू पर विपक्षी टीम को परेशान कर दिया था। लेकिन जैसा कि दस्तूर है, उतार के बाद चढ़ाव भी आता है। इसके बाद सितंबर 2020 से अगले चार महीने में सैनी के लिए IPL सीज़न भूलने योग्य रहा। भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने पहले दो ODI में 17 ओवर में 153 रन दिए। सिडनी टेस्ट में उन्हें टेस्ट में डेब्यू करने का अवसर मिला लेकिन ब्रिस्बेन में ग्रॉइन स्ट्रेन के चलते उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद सैनी ने कभी अपनी गति के साथ समझौता करने का निर्णय नहीं लिया।
सैनी ने कहा, "तेज़ गति आपके लिए विकेट लेने के अधिक अवसर प्रदान करती है। इसके लिए आपको अपने शरीर को अधिक कष्ट देना पड़ता है, जिसके चलते चोटिल होने का ख़तरा रहता है। इसलिए आपको ख़ुद भी नहीं पता होता कि आप कब और कैसे चोटिल हो जाएंगे। यह कारण ढूंढना मुश्किल है कि आख़िर कोई एक विशेष गेंदबाज़ अधिक चोटिल क्यों होता है।"
ब्रिस्बेन टेस्ट के बाद सैनी ने भारत का सिर्फ़ दो बार ही प्रतिनिधित्व किया है। जुलाई 2021 में उन्हें ODI और T20I में खेलने का मौक़ा मिला। श्रीलंका के ख़िलाफ़ T20I में मौक़ा इसलिए भी मिल पाया क्योंकि काफ़ी खिलाड़ी कोविड-19 के चलते श्रृंखला से बाहर थे। सैनी 2022 तक भारतीय टीम में जगह हासिल करने के दावेदार बने रहे। उस दौरान जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर से उनकी प्रतिस्पर्धा थी। हालांकि सैनी ने गति और उम्मीद दोनों ही नहीं छोड़ी। वे केंट के लिए काउंटी खेलने गए जहां चैंपियनशिप डेब्यू पर उन्होंने पांच विकेट चटकाए।
सैनी ने कहा, "मैंने काफ़ी अभ्यास किया था। मैं अपनी गति के साथ समझौता नहीं कर सकता क्योंकि वो मेरा मज़बूत पक्ष है। मैं इसे नहीं छोड़ना चाहता क्योंकि यही मेरी पहचान है। मैंने हमेशा इसी अंदाज़ में क्रिकेट खेला है।"
लेकिन क्या यह सैनी के चोटिल होने की संभावना को नहीं बढ़ा देता है?
"नहीं, मुझे बस इतना पता है कि मुझे हर चीज़ का ध्यान रखना है। कभी कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है। आजकल प्रतिस्पर्धा इतनी ज़्यादा है कि मैं अपनी गति के साथ समझौता नहीं करना चाहता क्योंकि यह एक ऐसा पहलू है जो मुझे दूसरों से अलग करता है।"
सैनी को 2022-23 में दलीप ट्रॉफ़ी और न्यूज़ीलैंड ए के विरुद्ध वनडे श्रृंखला से ग्रोईन इंजरी के चलते बाहर होना पड़ा। हालांकि वह इंडिया ए के दल के साथ बांग्लादेश दौरे पर गए। बुमराह और मोहम्मद शमी टीम में नहीं थे इसलिए उनके पास वापसी का मौक़ा था लेकिन दूसरे टेस्ट से पहले वो चोटिल हो गए।
सैनी ने इंजरी से बचने के लिए की गई मेहनत पर कहा, "मैंने अपने खान पान, आराम और रिकवरी पर काफ़ी काम किया है। मैंने बेहतर तैयारी के लिए समय पर सोने की कोशिश की है और अभ्यास का भी एक निश्चित समय निर्धारित किया है। मैं NCA के शिविर का हिस्सा भी रह चुका हूं, जहां मुझे काफ़ी कुछ सीखने और समझने को मिला।"
NCA में रहने के दौरान सैनी को शमी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिला। सैनी ने अपनी गेंदबाज़ी में सुधार के लिए शमी से बात करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा।
"शमी भाई ने हमेशा मुझे गेंद अधिक फ़ुल न डालने की सलाह दी। वह मुझे लगातार बताते रहे कि मैं एक हिट द डेक गेंदबाज़ हूं और मेरी गेंद टप्पा खाने के बाद मूव करती है। उन्हें लगता है कि मुझे 6-8 मीटर की लेंथ पर गेंदबाज़ी करनी चाहिए, इससे मुझे अधिक रन न देने में मदद मिलेगी। मैं हमेशा शमी भाई का अनुसरण करता हूं।"
हाल ही में हुए दलीप ट्रॉफ़ी में शुरुआती तौर पर सैनी का नाम नहीं था लेकिन सिराज के बीमार पड़ने पर उन्हें पहले राउंड से पहले दल में शामिल किया गया। हालांकि सैनी ने कहा कि उन्हें ख़ुद इस बात की जानकारी नहीं है कि आख़िर इतने खिलाड़ियों के चयन में उनका नाम क्यों नहीं आया। बहरहाल सैनी ने सिर्फ़ चयनित हुए बल्कि उन्होंने इंडिया बी के लिए तीनों मैच खेले और 25.42 की औसत से उन्होंने 14 विकेट चटकाए।
सैनी ने कहा, "मैंने लगभग सात से आठ महीने के बाद रेड बॉल क्रिकेट खेला था। और जब से मैं चार दिनों का मैच खेल रहा हूं तो मुझे अपनी फ़िटनेस के बारे में भी पता चल रहा है, जैसे कितना काम मैंने खुद पर किया है और अब मैं कहां खड़ा हूं।"
सैनी ने इंडिया ए के ख़िलाफ़ औसतन 135 किमी प्रति घंटा की गति से गेंदबाज़ी की, जहां उनकी गेंदबाज़ी पर दो कैच छूटे। वह दलीप ट्रॉफ़ी में अपने प्रदर्शन से खु़श हैं और इससे भी खु़श हैं जिस तरह से इस साल उनका प्रदर्शन रहा है।
उन्होंने कहा, "एक निश्चित आत्मविश्वास है कि मुझे लगता है हां, मैं सही रास्ते पर हूं और मुझे उसी प्रक्रिया का पालन करना जारी रखना चाहिए।"
जब आप सभी प्रारूपों में सैनी की आंकड़ों को देखते हैं, तो चुनने के लिए शायद ही कुछ हो। प्रथम श्रेणी क्रिकेट, लिस्ट ए और टी20 में उनका औसत क्रमशः 28.97, 30.46 और 30.80 है। लेकिन वह सबसे लंबे प्रारूप को अपनी ताक़त मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि एक बेहतरीन घरेलू सीज़न उन्हें ऑस्ट्रेलिया ले जा सकता है।
हालांकि, अभी लक्ष्य फ़िट और सक्रिय बने रहना है और अब तक के उतार-चढ़ाव वाले करियर में चोटों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, कभी भी गति नहीं छोड़नी चाहिए। आख़िरकार, सैनी का मानना है कि भारत में तेज़ गेंदबाज़ों के बीच प्रतिस्पर्धा अब अपने चरम पर है।
उन्होंने कहा, "ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, लेकिन मैं जानता हूं कि मैंने आज तक कैसे क्रिकेट खेला है और शुरू से ही क्या चीजें की हैं और मैं इस पर अड़ा रहूंगा।"
हिमांशु अग्रवाल ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं।