आंकड़े: पुजारा के करियर की सच्ची कहानी रन नहीं, गेंदें बताती हैं
पुजारा के करियर के आख़िरी पांच साल नंबर के लिहाज़ से भले ही लाजवाब नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने अपना करियर इस फ़ॉर्मैट में भारत के सर्वश्रेष्ठ में से एक समाप्त किया
एस राजेश
25-Aug-2025 • 5 hrs ago
Cheteshwar Pujara को उनके रन से ज़्यादा गेंदों को सामना करने के लिए याद किया जाता है • AFP/Getty Images
अपने 103 टेस्ट मैचों में कुल 7195 रन बनाकर, चेतेश्वर पुजारा भारत के लिए इस प्रारूप में सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में आठवें स्थान पर हैं। नंबर 3 पर खेलते हुए पुजारा के 6529 रनों से ज़्यादा रन केवल राहुल द्रविड़ के नाम हैं, जो शीर्ष क्रम में उनकी गुणवत्ता का प्रमाण है।
हालांकि, पुजारा के साथ उनके द्वारा बनाए गए रन, कहानी का केवल एक हिस्सा ही बयां करते हैं। उनकी असली उपयोगिता क्रीज़ पर उनके द्वारा खेली गई गेंदों की संख्या से थी, जिससे यह सुनिश्चित होता था कि बाद में आने वाले बल्लेबाज़ों को आरामदायक स्थिति में पहुंचा देता था।
ESPNcricinfo Ltd
अक्तूबर 2009 से जून 2023 तक यानी पुजारा के टेस्ट करियर के दौरान केवल चार बल्लेबाज़ों ने इस प्रारूप में उनके द्वारा खेली गई 16,217 गेंदों से ज़्यादा का सामना किया। वह चार बल्लेबाज़ हैं जो रूट, एलेस्टेयर कुक, स्टीवन स्मिथ और अज़हर अली। बल्लेबाज़ी औसत की बात करें तो पुजारा उन 19 खिलाड़ियों में 11वें स्थान पर हैं, जिन्होंने अपने करियर के दौरान कम से कम 5000 रन बनाए हैं। हालांकि 14 साल के करियर में पुजारा के बनाए गए रन पूरी तस्वीर पेश नहीं करते हैं।
103 टेस्ट मैचों में, पुजारा हर 98.3 गेंदों पर एक बार आउट हुए। इससे वह ऊपर बताए गए 19 बल्लेबाजों में पांचवें स्थान पर आ गए, जो औसत के आधार पर उनकी रैंकिंग से काफ़ी बेहतर है। ऐसे दौर में जब आक्रामकता और गेंदबाज़ों पर आक्रमण करना सबसे अच्छा तरीक़ा माना जाता है, उस दौरान पुजारा उन बल्लेबाज़ों में से थे जो आक्रमण को डिफ़ेंस के ज़रिए कुचलने में विश्वास रखते थे। पुजारा के इसी अंदाज़ ने उन्हें टेस्ट करियर में 7000 से ज़्यादा टेस्ट रन बनाने में मदद की और 19 शतक भी लगाए।
भारतीय बल्लेबाज़ों में पुजारा को आउट करना उन दो अन्य बल्लेबाज़ों की तुलना में स्पष्ट रूप से कठिन था, जिन्होंने कम से कम 5000 टेस्ट रन बनाए थे: विराट कोहली (उस अवधि में 48.72 की औसत से 8479 रन) को औसतन आउट होने में 88 गेंदें लगती थीं , जबकि अजिंक्य रहाणे (38.96 की औसत से 5066 रन) 78.5 गेंदों का सामना करने के बाद आउट होते थे, जो पुजारा से लगभग 20 गेंद कम थे।
ऑस्ट्रेलिया में पुजारा का अलग अवतार
उनके कुछ सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया में आए, जहां उन्होंने 11 टेस्ट मैचों में 47.28 की औसत से 993 रन बनाए। इससे भी ज़्यादा प्रभावशाली बात यह है कि उन्होंने ये 993 रन बनाने के लिए 2657 गेंदों का सामना किया, यानी 37.37 का स्ट्राइक रेट। इसका मतलब है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में हर बार आउट होने पर 126.5 गेंदों का सामना किया, जो 1990 के बाद से ऑस्ट्रेलिया में कम से कम 15 पारियां खेलने वाले 66 विदेशी बल्लेबाजों में सबसे ज़्यादा है। पुजारा के बाद इस फ़ेहरिस्त में अगला नंबर गैरी कर्स्टन का आता है।
इन 993 रनों में से 521 रन एक ही सीरीज़ में आए - जो उनके करियर की अब तक की सबसे शानदार सीरीज़ थी। पुजारा ने ये कारनामा 2018-19 में किया था, जब उन्होंने सात पारियों में 1258 गेंदों का सामना किया। दरअसल, टेस्ट मैचों में उनके छह प्लेयर ऑफ़ द मैच पुरस्कारों में से दो उसी सीरीज़ में आए थे।
बड़ी साझेदारियों के बादशाह
उन सभी बल्लेबाज़ों की तरह जिनकी ताक़त बल्लेबाज़ी में समय बिताना है, पुजारा की अहमियत न केवल उनके द्वारा बनाए गए रनों से बल्कि दूसरे छोर पर उनके क्रीज़ पर रहते हुए बनाए गए रनों से भी आंकी जाती है। पुजारा ने ख़ुद 103 टेस्ट मैचों में 7195 रन बनाए हैं, लेकिन जब वे क्रीज़ पर रहते थे तब भारत ने 16,258 साझेदारी रन बनाए। उन पारियों में भारत द्वारा बनाए गए कुल रनों के प्रतिशत के रूप में, पुजारा का योगदान 30.4% है। इसका मतलब है कि भारत के कुल रनों का 30.4% हिस्सा उस समय बना जब पुजारा क्रीज़ पर थे (जिस पारी में उन्होंने बल्लेबाज़ी की)।
ESPNcricinfo Ltd
कम से कम 100 टेस्ट पारियों में बल्लेबाज़ी करने वाले 28 भारतीय बल्लेबाज़ों में से केवल दो का स्ट्राइक रेट उनसे ज़्यादा है: द्रविड़ (36.1%) और सुनील गावस्कर (34.9%)। पुजारा के 30.4% रन के बाद भारतीय बल्लेबाज़ी के दो अन्य सर्वकालिक महान खिलाड़ी, सचिन तेंदुलकर (29.7%) और कोहली (29.1%) हैं। तेंदुलकर और कोहली दोनों का स्ट्राइक रेट 50 के आसपास है, जबकि पुजारा का स्ट्राइक रेट 40 के आसपास है। भारत के अलावा पूरे विश्व जगत की बात करें तो सभी टीमों की समग्र सूची में, लेन हटन (36.9%) शीर्ष पर हैं, उसके बाद द्रविड़ और फिर स्टीवन स्मिथ (35.5%) हैं।
पुजारा के फ़ॉर्म में गिरावट
हालांकि, यह सच है कि क्रीज़ पर उनका लंबा समय बिताना उनके द्वारा बनाए गए रनों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण था, लेकिन यह भी है कि उनके अंतर्राष्ट्रीय करियर के अंतिम पांच वर्ष उतने सफल नहीं रहे। ऑस्ट्रेलिया में 2018-19 सीरीज़ - जहां उन्होंने सात पारियों में 521 रन बनाए, सबसे शानदार रही। लेकिन यह उनकी पिछली 13 में से केवल दो श्रृंखलाओं में से एक थी, जहां उन्होंने कम से कम तीन बार बल्लेबाज़ी की हो और उनकी औसत 40 या उससे ज़्यादा रही हो। 2018 की शुरुआत से पुजारा ने 49 टेस्ट मैचों में केवल 34.13 की औसत से रन बनाए और 86 पारियों में केवल पांच शतक लगाए। यह उनके पहले 54 टेस्ट (90 पारियां) में लगभग 53 की औसत की तुलना में बहुत बड़ी गिरावट थी। शतक बनाने की दर भी नाटकीय रूप से गिर गई, हर 6.4 पारियों में एक शतक से घटकर बाद में हर 17.2 पारियों में एक शतक तक आ गई थी।
ESPNcricinfo Ltd
आंकड़ों में इस भारी गिरावट के कारण ही पुजारा की करियर औसत लगभग नौ रन गिर गई, जो 2017 के अंत में 52.96 के उच्चतम औसत से घटकर उनके करियर के अंत में 43.6 हो तक आ गई। हालांकि यह कोई ऐसा आंकड़ा भी नहीं है जो बेहद निराशाजनक लगे। इसका प्रमाण देखने के लिए पुजारा के आख़िरी टेस्ट के बाद से भारत के लिए खेलने वाले नंबर 3 बल्लेबाज़ों के आंकड़ों से समझिए: 24 मैचों (45 पारियों) में, भारत की ओर से नंबर 3 बल्लेबाज़ों की सामूहिक औसत 31.95 की रही है, जो पुजारा के पिछले 24 मैचों - 31.51 - से थोड़ा ही बेहतर है, बावजूद इसके कि उनका फ़ॉर्म गिरता जा रहा था। इतना
एस राजेश ESPNcricinfo में स्टैट्स एडिटर हैं। @rajeshstats