"तमिलनाडु के तेज़ गेंदबाज़" - ये वाक्य ख़ुद में ही विरोधाभास है।
तमिलनाडु की टीम की ताक़त हमेशा से स्पिन गेंदबाज़ रहे हैं, उनके पास हमेशा से एक बेहतर तेज़ गेंदबाज़ की कमी खली है। यही वजह है कि
गुरजपनीत सिंह के आने बाद उन्होंने एक नई उम्मीद जगाई है।
6'3" लंबे बाएं बाथ के इस तेज़ गेंदबाज़ का जन्म पंजाब के लुधियाना में हुआ था और फिर वह हरियाणा के अंबाला चले आए। लेकिन उनका असली पलायन तो 17 साल की उम्र में हुआ जब वह चेन्नई का रुख़ कर गए थे। सात साल बाद उनका
रणजी डेब्यू पूर्व चैंपियन सौराष्ट्र के ख़िलाफ़ हुआ, जहां उन्होंने 22 रन देकर छह विकेट झटके। 2005-06 के बाद पहली पारी में ये किसी भी तेज़ गेंदबाज़ का सर्वश्रेष्ठ फ़िगर था।
इस रिकॉर्ड प्रदर्शन के दौरान गुरजपनीत ने चेतेश्वर पुजारा का बड़ा विकेट झटका था, पुजारा को उन्होंने खाता भी नहीं खोलने दिया था। उनके इस लाजवाब प्रदर्शन की बदौलत तमिलनाडु ने पारी के अंतर से मैच अपने नाम किया। पुजारा को आउट करने के चार हफ़्ते पहले गुरजपनीत ने नेट्स पर विराट कोहली को भी गेंदबाज़ी की थी। तब बांग्लादेश के ख़िलाफ़ चेपॉक टेस्ट से पहले वह भारतीय कैंप के साथ नेट गेंदबाज़ के तौर पर जुड़े हुए थे। गुरजपनीत ने कहा कि पुजारा को आउट करने में कोहली की दी गई सलाह बेहद अहम साबित हुई।
ESPNcricinfo के साथ बातचीत में गुरजपनीत ने कहा, "कोहली से हुई बातचीत में उन्होंने मुझे कुछ चीज़ें बताईं थीं जिसके बाद मेरा आत्मविश्वास काफ़ी बढ़ गया था। मैं पुजारा के ख़िलाफ़ मानसिक तौर पर तैयार था, जो लाल गेंद में भारत के एक दिग्गज बल्लेबाज़ हैं। कोहली ने मुझे बताया था कि दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ अराउंड द विकेट आऊं और लगातार कोण में बदलाव करता रहूं ताकि बल्लेबाज़ असहज रहें। मैंने पुजारा के ख़िलाफ़ पहली ही गेंद अराउंड द विकेट डाली और उस एंगल से वह LBW हो गए। अगर ओवर द विकेट डालता तो वह LBW नहीं मिलता।"
पुजारा का विकेट लेने के बाद गुरजपनीत को भरोसा है कि वह अब बड़े स्तर पर भी अच्छा कर सकते हैं। जब वह टीनेजर थे तो बहुत ज़्यादा आयु वर्ग क्रिकेट नहीं खेला था, जिसके बाद उनके कोच अनिल माशी के कहने पर वह 2017-18 में चेन्नई चले आए, जहां क्रिकेट की सहूलियतें काफ़ी अच्छी थीं।
गुरजपनीत ने गुरु नानक कॉलेज में दाख़िला लिया जो इंडियन सीमेंट्स लीग की टीमों का होम बेस है। कॉलेज नेट्स में गेंदबाज़ी करते हुए वह धीरे-धीरे थर्ड डिविज़न और फिर फ़र्स्ट डिविज़न की टीमों में भी शामिल हो गए। इसके बाद 2021 में पहली बार उन्होंने TNPL खेला, जहां वह आर अश्विन की टीम डिंडिगुल ड्रैगन्स का हिस्सा थे। वहां उन्होंने
यो महेश के साथ काम किया, जो इत्तेफ़ाक़ से तमिलनाडु के इकलौते तेज़ गेंदबाज़ थे जिन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 2005-06 के बाद पारी में
घर पर छह विकेट झटके थे।
गुरजापनीत ने कहा, "TNPL में यह मेरा पहला सीज़न था और योमी [यो महेश] <भाई ने मुझे छोटे-छोटे पॉइंट सिखाए और नेट्स में उन्होंने मुझे यॉर्कर और धीमी गेंदबाज़ी करने और मिश्रण करने में मदद की। वह मुझसे कहते रहे कि मैं अपनी ताक़त पर काम करूं और जब मैं गेंदबाज़ी करूं तो ख़ुद पर भरोसा रखूं। T20 क्रिकेट लाल गेंद वाली क्रिकेट से थोड़ा अलग है और आपको सभी योजनाओं को क्रियान्वित करना होता है और निर्धारित फ़ील्ड के अनुसार गेंदबाज़ी करनी होती है। इसलिए, मेरी मानसिकता अच्छी हो रही थी। मैं दिन-ब-दिन बेहतर होता जा रहा था और मैं योमी और अश्विन अन्ना के साथ बहुत कुछ सीख रहा था।"
गुरजापनीत की यॉर्कर और धीमी गति से गेंदबाज़ी करने की क्षमता को देखते हुए, चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने उन्हें अपने नेट गेंदबाज़ के रूप में शामिल किया था। CSK के नेट्स पर गुरजापनीत ने अपने कौशल को और भी अधिक निखारा और एमएस धोनी जैसे खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ डेथ ओवर के लिहाज़ से ख़ुद का इम्तिहान लिया।
"जब आप शीर्ष स्तर के बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करते हैं तो आपको पता चलता है कि आप कहां पर खड़े हैं। CSK के कैंप में धोनी के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करना और वह भी ख़ास तौर में डेथ ओवर्स के दौरान काफ़ी मुश्किल था। क्योंकि अगर आप एक ग़लती करते हैं और आपकी यॉर्कर सही नहीं बैठती है तो फिर आप सज़ा भुगतने के लिए तैयार रहिए।"
हालांकि, जब गुरजापनीत तमिलनाडु की टीम में जगह बनाने की कगार पर थे, तो पीठ के निचले हिस्से की चोट ने उनके करियर को पीछे धकेल दिया था। उन्हें सर्जरी की ज़रूरत थी और 2022 के अधिकांश समय तक वह मौदान से बाहर ही थे।
इसके बाद वह 2023 में TNPL में एक अलग टीम, मदुरै पैंथर्स के लिए एक्शन में लौटे और लीग क्रिकेट में अपना गेंदबाज़ी भार भी लगातार बढ़ाया। पिछले दो सीज़न में बुची बाबू टूर्नामेंट में कड़ी मेहनत करने के बाद, गुरजपनीत अंततः तमिलनाडु रणजी टीम में शामिल हो गए। संदीप वारियर की चोट के कारण उनकी जगह खेल रहे गुरजपनीत ने तमिलनाडु को सौराष्ट्र के ख़िलाफ़ जीत दिलाई।
गुरजपनीत के लिए देर से ही सही, लेकिन सफलता सुखद रही। यह उनके माता-पिता के लिए और भी सुखद था, जो उस समय स्कोरकार्ड पर नज़रें गड़ाए बैठे थे जब वह विकेट पर विकेट झटक रहे थे।
गुरजपनीत ने कहा, "अगर आप अपना घर छोड़ कर किसी और राज्य से खेलते हैं तो ये ज़्यादा चुनौतीपूर्ण होता है। मेरे माता और पिता ने हमेशा मेरा समर्थन किया और जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत हुई तो उन्होंने उसे पूरा किया। परिस्थतियां चाहे जैसी भी हो अच्छी या बुरी मैं हमेशा क्रिकेट के लिए समर्पित था।"
"मैच ख़त्म होने के बाद तुरंत ही पिता जी का फ़ोन आया - वह काफ़ी ख़ुश थे और मेरे छह विकेट लेने पर वह बधाई दे रहे थे। मुझे तमिलनाडु से खेलने के लिए क़रीब छह से सात साल का इंतज़ार करना पड़ा लेकिन मुझे हमेशा से विश्वास था कि मैं तमिलनाडु के लिए ज़रूर खेलूंगा।"
हालांकि इस घरेलू सीज़न में उनके लिए अभी भी शुरुआती दिन हैं, एल बालाजी के नेतृत्व में तमिलनाडु, अपने सामान्य स्पिन-टू-विन टेम्पलेट से दूर जा रहा है और एक पेस बैट्री का निर्माण कर रहा है। जो घर और बाहर दोनों जगह प्रभावी हो सके। गुरजपनीत के साथ डेब्यू करने वाले दाएं हाथ के एक और तेज़ गेंदबाज़ आर सोनू यादव ने भी सौराष्ट्र के ख़िलाफ़ छह विकेट झटके।
गुरजपनीत - और सोनू - तमिलनाडु की तेज़ गेंदबाज़ी वाली पहेली में ग़ायब टुकड़े हो सकते हैं। तमिलनाडु का लक्ष्य 1987-88 के बाद अपना पहला रणजी ख़िताब उठाना है।
देवरायण मुथु ESPNcricinfo में सब-एडिटर हैं।