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तीसरे अंपायर को देना चाहिए था दखल : ऋषभ पंत

हालांकि दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच शेन वॉटसन पंत की बातों से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते

Rishabh Pant wears a serious look, Delhi Capitals vs Rajasthan Royals, IPL 2022, Wankhede Stadium, Mumbai, April 22, 2022

गंभीर मुद्रा में पंत  •  BCCI

दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान ऋषभ पंत को लगता है कि शुक्रवार को राजस्थान रॉयल्स के मुक़ाबले के दौरान आख़िरी ओवर में नो बोल देने के ऑन फ़ील्ड अंपायर के निर्णय पर थर्ड अंपायर को दखल देना चाहिए था। पंत के अनुसार, नो बॉल करार न देने का फ़ैसला उनकी टीम पर भारी पड़ा, जिस वजह से दिल्ली कैपिटल्स को राजस्थान के हाथों 15 रनों की हार झेलनी पड़ी। हालांकि टीम के सहायक कोच शेन वॉटसन ऋषभ पंत की इस दलील से सहमत नहीं दिखे। वॉटसन ने बीती रात हुए घटनाक्रम से दूरी बनाते हुए कहा कि अंपायर के निर्णय को स्वीकारा जाना चाहिए था।
राजस्थान रॉयल्स द्वारा दिए गए 223 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दिल्ली की बल्लेबाज़ी अंतिम ओवर में थी। ओवर की तीसरी गेंद पर ओबेद मकॉए ने एक हाई फ़ुल टॉस फेंका, जिसे रोवमन पॉवेल ने छक्के के लिए पुल कर दिया। आख़िरी ओवर में 36 रन बनाने थे, जिसकी पहली तीन गेंदों पर पॉवेल ने लगातार तीन छक्के जड़ दिए थे। अंपायर ने छक्के का इशारा तो कर दिया, लेकिन दिल्ली कैपिटल्स नो बॉल का इशारा किए जाने के इंतज़ार में भी थे।
अंपायर का नो बॉल करार देना उन्हें एक अतिरिक्त गेंद और एक फ़्री हिट भी मुहैया करा जाता। जिसके बाद पॉवेल कुछ वही चीज़ दोहरा सकते थे, जो कारानामा एमएस धोनी ने गुरुवार को मुंबई इंडियंस के विरुद्ध खेले गए मुक़ाबले में किया था। हालांकि अंपायर ने गेंद को नो बॉल करार नहीं दिया, जिसके फलस्वरूप पॉवेल और कुलदीप यादव ऑन फ़ील्ड अंपायर नितिन मेनन और निखिल पटवर्धन से उलझ पड़े। दूसरी तरफ़ डगआउट में मौजूद कप्तान पंत और टीम के अन्य खिलाड़ी भी पॉवेल और कुलदीप को अंपायर से बहस करने के समर्थन में दिखाई दिए। बावजूद इसके कि नियमों के मुताबिक़ नो बॉल की समीक्षा के लिए थर्ड अंपायर को तब तक रेफ़र नहीं किया जा सकता, जब तक कि उस विशेष गेंद पर विकेट न गिरा हो।
अंपायरो को फ़ैसले पर अडिग रहता देख, डगआउट में मौजूद कप्तान पंत ने अपने खिलाड़ियों को मैदान से वॉक ऑफ़ करने के लिए कह दिया। हालांकि राजस्थान रॉयल्स के लेग स्पिनर युज़वेंद्र चहल ने कुलदीप को ऐसा करने से रोक लिया। इसी बीच पंत ने दिल्ली कैपिटल्स के एक अन्य सहायक कोच प्रवीण आमरे को अंपायरों से बातचीत करने के लिए भेज दिया। उसी समय वॉटसन पंत को शांत कराते नज़र आए। वहीं राजस्थान को एक विशाल लक्ष्य तक पहुंचाने वाले जॉस बटलर भी ऋषभ पंत तक गए। खेल दोबारा शुरू हुआ, लेकिन दिल्ली कैपिटल्स जीत से 15 रन के फ़ासले पर रह गयी, क्योंकि ब्रेक के बाद मकॉए ने अपनी लाइन सही करने के साथ-साथ स्लोअर गेंद फेंकना शुरु कर दिया।
इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम के बाद पंत खुद का बचाव करते दिखे। मैच की समाप्ति के बाद पंत ने ब्रॉडकास्टर पर बातचीत करते हुए कहा, "अंतिम क्षणों में पॉवेल ने जीत की उम्मीद जगा दी थी। मुझे लगा कि यह नो बॉल हमारे लिए निर्णायक साबित हो सकता है। मेरे मुताबिक़ नो बोल को चेक किया जा सकता था, लेकिन सबकुछ मेरे हाथ में नहीं था। निराश हूं, लेकिन इसमें कुछ किया भी नहीं जा सकता।"
ऑन फ़ील्ड अंपायर द्वारा नो बॉल करार न दिए जाने के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पंत ने कहा, "सब ने देखा कि वह नो बॉल था। मुझे लगता है कि थर्ड अंपायर को दखल देना चाहिए था और उन्हें बताना चाहिए था कि वह नो बोल थी, लेकिन मैं ख़ुद नियम नहीं बदल सकता।" हालांकि पंत ने मैदान पर अंपायरों से बहस करने के लिए प्रवीण आमरे को भेजे जाने के फ़ैसले पर अपनी भूल को स्वीकारा। उन्होंने कहा, "ज़ाहिर तौर पर यह सही नहीं था, लेकिन जो हुआ वह भी सही नहीं था। ऐसा हिट ऑफ़ द मोमेंट के कारण हुआ। मुझे लगता है कि यह सिर्फ़ हमारी नहीं बल्कि दोनों पक्षों की ग़लती थी। क्योंकि हमने इस टूर्नामेंट में अच्छी अंपायरिंग देखी है, इसलिए हम काफ़ी अच्छा कर सकते थे।"
अंपायर के निर्णय को माना जाना चाहिए था : वॉटसन
अंतिम ओवर में मैदान में घटित हुए नाटकीय घटनाक्रम पर दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच शेन वॉटसन ने कहा, "आख़िरी ओवर में जो कुछ भी हुआ, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। अंपायर को निर्णय सही हो या ग़लत उसे स्वीकारा जाना चाहिए। कोई मैदान पर दौड़ लगा रहा है, निश्चित रूप से यह स्वीकार्य नहीं है। यह सही नहीं है।" हालांकि वॉटसन ने इस बात पर भी अपनी सहमति जताई कि खेल में पैदा हुई रुकावट ने राजस्थान को रणनीति तैयार करने का पर्याप्त समय दे दिया। वॉटसन ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि खेल के बीच इतनी बड़ी देर की रुकावट पूरे मोमेंटम को शिफ़्ट कर सकता है। इस व्यवधान ने मकॉए को तैयारी का अधिक मौका दे दिया और यह राजस्थान के पक्ष में घूम गया। यह रुकावट दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन अंतोगत्वा आपको अंपायर के निर्णय को स्वीकारना होता है और यही हमें शुरु से सिखाया भी गया है। जिसका पालन किया जाना चाहिए।"
राजस्थान रॉयल्स टीम के निदेशक कुमार संगकारा ने इस नाटकीय घटनाक्रम पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, "अंपायर ही खेल को नियंत्रित करते हैं। आईपीएल में काफ़ी दबाव होता है। ऐसे में कई बार तनाव और निर्णय किसी भी एक पक्ष में जा सकता है। मुझे नहीं लगता कि मैं वास्तव में यह तय कर सकता हूं कि क्या स्वीकार्य है और क्या नहीं।"

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में एडिटोरियल फ़्रीलांसर नवनीत झा ने किया है।