महमुदुल हसन जॉय का जन्म 13 नवंबर 2000 में चांदपुर में हुआ था। ठीक उसी दिन कुछ 115 किलोमीटर उत्तर की तरफ़ ढाका में बांग्लादेश की टीम अपने
पहले टेस्ट में 91 रन पर ऑल आउट होते हुए भारत से एक पारी से हार गई।
यह बांग्लादेश क्रिकेट के लिए एक बढ़िया समय था क्योंकि बांग्लादेश, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) का 10वां पूर्ण सदस्य बना था। लेकिन तब से अब तक बांग्लादेश को काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है और अच्छी टीमों से बराबरी का टक्कर देने के मौक़े काफ़ी कम रहे हैं। ऐसे में लगभग 21 साल बाद महमुदुल का
डरबन में साउथ अफ़्रीका पर हावी होना बांग्लादेशी बल्लेबाज़ी के लिए एक बड़े क़दम से कम नहीं है।
यह महमुदुल के करियर का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर है। उन्होंने लगभग
पांच घंटे बल्लेबाज़ी कर न्यूज़ीलैंड को उन्हीं के घर में अप्रभावी बनाया था। उंगली के चोट के चलते वह बाक़ी के टेस्ट सीरीज़ से बाहर हो गए थे और यह उनकी अगली टेस्ट पारी थी। महमुदुल ने डरबन में उसी फ़ॉर्म को जारी रखा, जो उन्होंने न्यूज़ीलैंड में किया था। उन्होंने क्रीज़ पर समय बिताते हुए अच्छी गेंदों को छोड़ा और गेंदबाज़ों को उनकी ओर गेंदबाज़ी करने पर विवश किया। जब 298 के टीम स्कोर पर वह आख़िरी बल्लेबाज़ के रूप में आउट हुए तो उन्होंने सात घंटे और 22 मिनट क्रीज़ पर बिता लिए थे। पूरी पारी के दौरान उन्होंने अपनी टीम की रणनीति को आगे रखा और बिना अधिक सहयोग के बल्लेबाज़ी करते रहे।
टीवी पर कॉमेंट्री टीम ने ग़ौर किया कि कैसे उन्होंने दूसरे दिन के सबसे प्रभावशाली गेंदबाज़ साइमन हार्मर पर तीसरे दिन निशाना साधा। उन्होंने पुछल्ले बल्लेबाज़ों को विशेषज्ञ गेंदबाज़ों से भी अच्छी तरह बचाया और आख़िर में वियान मुल्डर पर प्रहार करते हुए कुछ क़ीमती रन जोड़े। उन्होंने दूसरे विकेट के लिए 55 रन की साझेदारी में भी ज़िम्मेदारी के साथ खेलते हुए नाजमुल हुसैन शांतो से दबाव हटाने का काम किया।
बांग्लादेश के अन्य युवा ओपनरों ने इस तरह की परिपक्वता नहीं दिखाई है। साउथ अफ़्रीका के कई शीर्ष गेंदबाज़ इस टीम का हिस्सा भले ही ना हो लेकिन महमुदुल ने दिखाया कि वह परिस्थिति के हिसाब से अपने खेल को बदलना जानते हैं।
बांग्लादेश के बल्लेबाज़ी कोच
जेमी सिडंस ने दिन के खेल के बाद कहा, "शायद उनके लिए यह फ़ायदेमंद रहा कि कल शाम को साउथ अफ़्रीका को अधिकतर अपने स्पिन गेंदबाज़ों का उपयोग करना पड़ा। नई गेंद से केवल 10 ओवर की ही गेंदबाज़ी हुई। फिर भी आप को हमारे बल्लेबाज़ों से इतना धैर्य कम ही देखने को मिलता है। हालांकि इस पारी में किसी भी बल्लेबाज़ ने ख़राब शॉट खेलने से विकेट नहीं गंवाया। महमुदुल ने फ़ील्ड को अपने हिसाब से खेला। जब वह पास आते तो वह ऊपर से मारते थे और फिर मैदान फैलने पर रन चुरा लेते। उन्होंने छह घंटे आत्मविश्वास के साथ बल्लेबाज़ी की और यह हमारे लिए बहुत अच्छी बात है।"
सिडंस ने फ़रवरी में ही पदभार संभाला था और इसी वजह से उन्होंने महमुदुल को कुछ बीपीएल मुक़ाबलों के अलावा सिर्फ़ इस सीरीज़ से पहले केप टाउन में गैरी कर्स्टन के अकादमी में नेट्स में देखा था। उन्होंने कहा, "इन दो महीनों में उन्होंने मुझे अपने प्रतिभा, कार्य नीति और संयम से प्रभावित किया है। यह उनकी टेस्ट करियर की शुरुआत ही है और बांग्लादेश में घरेलू क्रिकेट दर्शकों के अलावा ज़्यादा लोग उनके बारे में नहीं जानते। आज की पारी में उन्होंने धैर्य और अच्छी योजना का परिचय दिया। उन्होंने जबरदस्ती शॉट लगाने की कोशिश नहीं की। हम उनकी पारी पर बहुत गर्व करते हैं और शायद बांग्लादेश के टेस्ट इतिहास में इससे बेहतर बल्लेबाज़ी कम ही हुई होगी।"
वैसे साउथ अफ़्रीका में दबाव होते हुए प्रभावित करना महमुदुल की आदत सी है। उन्होंने 2020 अंडर-19 विश्व कप में सेमीफ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध
मैच जिताऊ शतक जड़ा था। उस पारी ने बांग्लादेश को पहली बार फ़ाइनल में भेजा जहां उन्होंने भारत को हराया था। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 78 रनों की पारी के बाद कप्तान मोमिनुल हक़ ने उन्हें '
सुपरस्टार' की उपाधि दे दी थी।
अगर आप बांग्लादेश क्रिकेट से परिचित हैं तो इस तरह किसी की बढ़ा चढ़ा कर तारीफ़ करना कोई नई बात नहीं। सालों से तमीम इक़बाल के लिए सलामी जोड़ीदार की खोज जारी है। तमीम के ना होने से मोहम्मद नईम, शादमान इस्लाम और सैफ़ हसन जैसे खिलाड़ियों को मौक़े मिले लेकिन किसीने महमुदुल की तरह इसे नहीं भुनाया है। अगर वह ऐसे खेलते रहेंगे तो बांग्लादेश की बल्लेबाज़ी के सबसे बड़ी समस्या का हल बनेंगे।
मोहम्मद इसाम ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के बांग्लादेश संवाददाता हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइफ़ो हिंदी के प्रमुख देबायन सेन ने किया है