"क्या हम थोड़ी और आवाज़ कर सकते हैं? गेंदबाज़ अपना पूरा ज़ोर लगा रहा है।"
चौथे दिन इबादत हुसैन के दूसरे स्पेल के दौरान कप्तान मोमिनुल हक़ की यह बात स्टंप माइक में सभी को सुनाई दी। बांग्लादेशी खिलाड़ियों ने तुरंत शोर मचाना शुरू किया और इबादत से एक और ओवर डालने की मांग की। किसी ने उन्हें अपनी गति को बढ़ाने को कहा।
कुछ ही देर बाद इबादत, जिनकी औसत इस टेस्ट मैच से पहले 80 की थी, ने न्यूज़ीलैंड को तीन बड़े झटके दिए। उन्होंने इस मैच में जान फूंक दी और बांग्लादेशी समर्थकों को न्यूज़ीलैंड में अपनी पहली टेस्ट जीत का सपना दिखाया।
उसके लिए मेहमान टीम को पांच विकेट झटकने होगे और मिले लक्ष्य को हासिल करना होगा। पांचवें दिन चाहे जो भी हो, वॉलीबॉल खिलाड़ी इबादत, जो अभी भी बांग्लादेश वायु सेना द्वारा नियोजित है, ने ख़ुद को विश्व मंच पर घोषित कर दिया होगा।
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अपने दूसरे स्पेल के चौथे ओवर में इबादत ने विल यंग को क्लीन बोल्ड किया। 69 रनों की अपनी पारी में यंग ने कोई ग़लत क़दम नहीं रखा था। रॉस टेलर के साथ उन्होंने तीसरी विकेट के लिए 73 रन जोड़े। लेकिन इबादत की उस गेंद ने वही अहम सवाल पूछा : आगे बढ़ें या पीछे जाए। यंग उस गेंद को बैकफ़ुट से पुल करने गए और चूके।
अगली गेंद पर उन्होंने हेनरी निकल्स के पैड पर आक्रमण किया। अंपायर ने पगबाधा की अपील को नकारा और रिप्ले में पता चला कि वह गेंद स्टंप्स के ऊपर से निकल जाती। बांग्लादेश के पास रिव्यू भी बचा नहीं था। अगली ही गेंद, एक इन स्विंगर, पर निकल्स ने सीधे बल्ले से रोकने का प्रयास किया लेकिन उनके बल्ले और पैड के बीच गैप रह गई जिसे भेदती हुई वह गेंद विकेटों से जा टकराई। इबादत आग उगल रहे थे।
अगले ओवर में उन्होंने फ़ॉर्म की तलाश कर रहे टॉम ब्लंडल को बीट किया और उसके बाद पगबाधा करते हुए वापस भेजा। इबादत की गति ने ब्लंडल को चौंकाया और रिव्यू भी उन्हें बचा नहीं पाया।
बांग्लादेश के अधिकतम लोग इबादत के बारें में ज़्यादा जानते नहीं थे। उन्हें बस इस बात का ज्ञात था कि यह वह गेंदबाज़ हैं जो विकेट लेने के बाद सलाम करता है। विश्व चैंपियन के विरुद्ध सात गेंदों में तीन सफलताओं के साथ उन्होंने सभी को अपना परिचय दे दिया। अगर बांग्लादेश कल जीत दर्ज करता है तो इबादत का यह स्पेल सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
चौथे दिन के खेल के बाद इबादत ने कहा, "अतीत में हम न्यूज़ीलैंड में अच्छा नहीं कर पाए हैं लेकिन टीम इस बार अच्छा करना चाहती है। हम विदेश में बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं और शुरुआत करने के लिए न्यूज़ीलैंड से बेहतर विकल्प हो नहीं सकता।"
उन्होंने आगे कहा, "हम अभी भी सीख रहे हैं कि हमें घर पर और बाहर जाकर कैसी गेंदबाज़ी करनी है। हम पुरानी गेंद को रिवर्स स्विंग करवाने का भी प्रयास कर रहे हैं। हम तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण को बेहतर करते रहना चाहते हैं।"
इबादत ने आधी-पुरानी और पुरानी गेंद के साथ कमाल किया। दूसरे बदलाव के रूप में आते हुए उन्होंने अपने पहले स्पेल में शतकवीर कॉन्वे को बाहर का रास्ता दिखाया। उन्होंने कप्तान को दो असफल रिव्यू लेने पर भी मजबूर किया। इबादत के उत्साह से प्रेरित होकर दूसरे छोर पर तस्कीन अहमद ने टेलर के ख़िलाफ़ रिव्यू लिया जबकि गेंद बल्ले के बीचों बीच लगी थी।
टेलर की विकेट हमेशा से महत्वपूर्ण होने वाली थी। वह अभी भी क्रीज़ पर मौजूद है। 17 के स्कोर पर उनका कैच छूटा और 29 पर एक आसान रन आउट का मौक़ा गंवाया गया। उस मौक़े को गंवाने में इबादत ने अहम भूमिका निभाई।
इस क्षण तक इबादत का दिन उनके टेस्ट करियर की तरह ही जा रहा था। 11 मैचों में उनकी औसत 81.24 की थी और 10 विकेट लेने में उन्हें दो वर्ष लग गए। जिन लोगों ने उनपर ध्यान दिया था, वह मानने लगे थे कि इबादत टेस्ट क्रिकेट के लिए नहीं बने हैं। बांग्लादेश के पास तेज़ गेंदबाज़ों का भंडार बढ़ रहा है तो माना जा रहा था कि उन्हें जल्द ही टीम से बाहर कर दिया जाएगा।
इबादत को हमेशा मिडऑन या मिडऑफ़ पर एक वरिष्ठ खिलाड़ी की आवश्यकता होती है जो उन्हें लेंथ और फ़ील्ड लगाने में मदद करें। लेकिन उनकी गेंदबाज़ी में जिस चीज़ ने हमेशा गेंदबाज़ी कोच को प्रभावित किया है वह है उनकी गति।
टीम में उनके साथी लिटन दास का मानना है कि इबादत ने इतना क्रिकेट नहीं खेला है और इसलिए हमें उनपर कोई फ़ैसला नहीं सुनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में मेरी शुरुआत भी अच्छी नहीं रही थी। और इस टीम में कोई भी अविश्वसनीय प्रदर्शन नहीं कर रहा है। हमें खिलाड़ियों को और मौक़े देने होंगे। हमें यह भी समझना होगा कि बांग्लादेश निरंतरता के साथ टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलता है। मुझे भरोसा है कि वह बेहतर होते जाएंगे। यह केवल उनका 11वां टेस्ट है। किसी भी खिलाड़ी को आंकने से पहले 15-17 टेस्ट मैच का समय देना चाहिए।"
इबादत की तेज़ गति बांग्लादेश के लिए तुरुप का इक्का है। तीन वर्षों में उन्होंने प्रभावित किया नहीं लेकिन चयनकर्ता और टीम प्रबंधन ने उनपर भरोसा जताया। कभी-कभी ऐसी कठिन निर्णय ही अप्रत्याशित परिणाम लेकर आते हैं। और इबादत के लिए अपनी छाप छोड़ने का इससे बेहतर अवसर हो नहीं सकता था।