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डेविड वॉर्नर : एक ग़ुस्सैल खिलाड़ी से विनम्र विश्व विजेता बनने तक का सफ़र

अपनी पिछली तीन पारियों से उन्होंने फिर साबित किया कि वह बड़े मैचों के बड़े खिलाड़ी हैं

David Warner is congratulated by his IPL team-mate Kane Williamson, Australia vs New Zealand, T20 World Cup final, Dubai, November 14, 2021

मैच के बाद केन विलियमसन के साथ वॉर्नर  •  ICC via Getty Images

वे डेविड वॉर्नर को 'बुल' (ग़ुस्सैल) कहा करते थे। उन्होंने एक बार साउथ अफ़्रीका के गेंदबाज़ों पर सवाल खड़ा किए कि वे रिवर्स स्विंग हासिल करने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग कर रहे हैं और फिर ख़ुद वॉर्नर ही चार साल बाद सैंडपेपर गेट में दोषी बने।
वह मैदान पर इतना स्लेज करते थे कि उन्हें 2015 वन डे विश्व कप से पहले एक बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने चेताया था और हद में रहने को कहा था। () इसके बावजूद आगे भी वह ऐसा करने के लिए कई बार विवादों में रहें और यहां तक कि उन्हें एक बार अत्यधिक स्लेजिंग के कारण मैदान भी छोड़ना पड़ा था।
लेकिन सैंडपेपर गेट में लगे प्रतिबंध से वापिस आने के बाद उनकी छवि कुछ बदली बदली सी लगी। शायद यह उनके पिता बनने का असर था या कुछ और, लेकिन अब वह मैदान पर गुस्से से अधिक अपनी मुस्कान के लिए जाने जाने लगे। वह अब टिक-टॉक पर डांस वीडियो भी बनाने लगे थे। अब वॉर्नर को Bull की जगह Hum-bull (Humble) यानी विनम्र कहा जाने लगा और यह भी कहा गया कि वह अब परिपक्व हो चुके हैं।
लेकिन पिछले एक हफ़्ते में वॉर्नर ने अपना एक अलग ही चरित्र दिखाया है। इस चरित्र का कोई निकनेम नहीं दिया जा सकता, बस यही कहा जा सकता है कि यह ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का चरित्र होता है।
यह कंगारू टीम पहले की तुलना में अलग है। कप्तान ऐरन फ़िंच एक मुस्कान के साथ मैदान में उतरते हैं, ग्लेन मैक्सवेल खुल के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं, ऐडम ज़ैम्पा ड्रेसिंग रूम में कॉफ़ी बनाते हैं और मार्कस स्टॉयनिस व ज़ैम्पा का 'ब्रोमांस' चर्चा का विषय रहता है। कुल मिलाकर यह ऑस्ट्रेलियाई टीम पुरानी कंगारू टीमों से अलग है और इनमें आक्रामकता के साथ-साथ भावनाएं भी हैं।
वॉर्नर ने तब प्रदर्शन किया जब उनकी टीम को सबसे अधिक ज़रूरत थी, नहीं तो टीम प्रतियोगिता से बाहर भी हो जाती। अपनी पिछली तीन पारियों से उन्होंने फिर साबित किया कि वह बड़े मैचों के बड़े खिलाड़ी हैं।
उन्होंने पूर्व चैंपियन वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ करो या मरो के ग्रुप मुक़ाबले में नाबाद 89 रन बनाए, फिर टूर्नामेंट में अजेय रही पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में 176 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए अहम 49 रन जोड़े, जिसकी बुनियाद पर मैथ्यू वेड और स्टॉयनिस ने मैच जिताया। फिर, अंतिम, सबसे अहम और फ़ाइनल मुक़ाबले में उन्होंने 53 रन बनाकर मिचेल मार्श की मैच जिताऊ पारी के लिए नींव खड़ा किया। इन तीन मैचों में उन्होंने 154 की बेहतरीन स्ट्राइक रेट से 191 रन बनाए, जिसमें औसतन हर पांच गेंद पर एक चौका या छक्का शामिल था।
वॉर्नर इस दौरान शातिर भी दिखे। आधुनिक क्रिकेटिंग रणनीति के अनुसार उन्होंने अपने मैच-अप ढूंढ़ें और उन पर अधिक आक्रामक रहे। उदाहरण के लिए हम सेमीफ़ाइनल के दौरान का इमाद वसीम का पहला ओवर लेते हैं, जो एक बाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए एक बेहतरीन मैच-अप हैं। वॉर्नर ने इमाद पर 17 रन बनाए और शाहीन अफ़रीदी द्वारा बनाए गए शुरुआती दबाव को तोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने मोहम्मद हफ़ीज़ और शादाब ख़ान पर भी आगे निकल कर छक्का जड़ा।
फ़ाइनल में उन्होंने टिम साउदी पर निशाना बनाया, जिन्होंने इस टूर्नामेंट के दौरान अब तक कसी हुई गेंदबाज़ी की थी और पावरप्ले में 5 की कम इकॉनोमी से रन दिए थे। वॉर्नर ने उनके पहले ओवर में ही दो चौके जड़े और फिर दूसरे ओवर में आगे निकल कर छक्का मारा। दो ओवर में साउदी 20 रन लुटा चुके थे।
इसके बाद उन्होंने लेग स्पिनर ईश सोढ़ी को निशाना बनाया, जो कि बाएं हाथ के वॉर्नर के लिए गेंद अंदर लाते हैं। इस ओवर से मैच का मोमेंटम बदला और फिर मिचेल मार्श ने भी हाथ खोले।
यही सब चीज़ें वॉर्नर को वॉर्नर बनाती हैं। वह अपनी समस्याओं का समाधान ख़ुद ढूंढ़ते हैं।

उस्मान समीउद्दीन ESPNcricinfo में सीनियर एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के दया सागर ने किया है