सुनील गावस्कर द्वारा सचिन के पैर छूने के प्रयास से लेकर ऑरेंज कैप हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनने तक की यादों का एक लेखा-जोखा • Mumbai Indians
सचिन तेंदुलकर आज 50 वर्ष के हो गए हैं। 50 वर्षों के अब तक के अपने जीवन का आधा हिस्सा यानी लगभग 25 वर्ष उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में गुज़ारे। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन के खाते में रिकॉर्ड्स की संख्या को गिन पाना पाई (3.141592653...) के दशमलव के बाद की संख्याओं के गिनने के ही बराबर है। लेकिन जैसा कि ख़ुद सचिन ने हाल ही में कहा, "अब किसी तेंदुलकर के पास भी आईपीएल विकेट है।" ऐसे में एक नज़र आईपीएल में 'तेंदुलकर के सफ़र' पर डालते हैं और आईपीएल के दौरान उनसे जुड़ी यादों को ताज़ा करते हैं।
शुरू से शुरू करते हैं...
टी20 क्रिकेट में सचिन के सफ़र की शुरुआत भारतीय क्रिकेट के पहले अंतर्राष्ट्रीय टी20 मैच से ही हो गई थी। साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ अपने पहले और इकलौते टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच में सचिन ने दो चौके तो जड़े लेकिन अपने जर्सी नंबर (10) जितना ही स्कोर कर पाए। हालांकि उस समय यह कौन जानता था कि अगले ही साल जब टीम इंडिया इसी साउथ अफ़्रीका में पहला टी20 विश्व कप खेलने जाएगी, तब सचिन के साथ-साथ टीम इंडिया के तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली इससे ख़ुद बाहर हो जाएंगे।
पहला सीज़न और लंबा इंतज़ार
हालांकि अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को क्रिकेट के सबसे नए प्रारूप में खेलते देखने का भारतीय प्रशंसकों का सपना आईपीएल मंच पूरा करने वाला था। लेकिन सचिन को आईपीएल में खेलता देखने की उनके प्रशंसकों की तमन्ना आधे से अधिक आईपीएल के बीत जाने के बाद ही पूरी हुई।
चोट के कारण सचिन आईपीएल के पहले सीज़न के शुरुआती हिस्से से बाहर थे, जिसका नतीजा यह हुआ कि वह आईपीएल में मुंबई इंडियंस का नेतृत्व करने वाले तीसरे कप्तान बने। पहला आईपीएल सचिन और मुंबई दोनों के लिए यादगार नहीं रहा। पहले सीज़न में मुंबई सेमीफ़ाइनल में प्रवेश नहीं कर पाई। दिल्ली डेयरडेविल्स अंक तालिका में एक अंक से मुंबई पर भारी पड़ी और राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ मिली हार ने मुंबई को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस सीज़न में सनत जयसूर्या ने शतक लगाया था, जो उन्होंने सचिन के आईपीएल डेब्यू पर बनाया था।
साउथ अफ़्रीका लौटा कारवां
भारत में लोकसभा चुनाव के चलते आईपीएल के दूसरे सीज़न को साउथ अफ़्रीका ले जाया गया। उसी देश में, जहां सचिन ने अपना इकलौता अंतर्राष्ट्रीय टी20 मुक़ाबला खेला था। हालांकि सचिन और मुंबई के लिए यह सीज़न पहले के मुक़ाबले अधिक ख़राब बीता और मुंबई ने अंक तालिका को आठ में से सातवें स्थान पर समाप्त किया। पहले सीज़न की तरह इस सीज़न में भी सचिन का चोट से नाता नहीं टूटा और फ़िंगर इंजरी के कारण वह वेस्टइंडीज़ दौरे पर नहीं जा पाए।
जब गावस्कर ने सचिन के पैर छूने की कोशिश की
हालांकि 2010 का साल सचिन के लिए सबसे यादगार रहने वाला था। आईपीएल में आने से पहले सचिन साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ दोहरा शतक बनाकर आ रहे थे। सुनील गावस्कर ने तो यहां तक कह दिया था कि जब वह सचिन से पहली बार मिलेंगे तब वह उनके पैर छूना चाहते हैं। आईपीएल के दौरान जब टॉस पर सचिन और गावस्कर पहली बार मिले तो गावस्कर ने ऐसा करने का प्रयास भी किया लेकिन सचिन ने मराठी में "नको नको (न, न)" कहकर उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
इस सीज़न में मुंबई ने तालिका में पहला पायदान प्राप्त किया और फ़ाइनल में प्रवेश भी पाया। सचिन ने इस सीज़न में 618 रन बनाए और आईपीएल में पहली बार ऑरेंज कैप किसी भारतीय बल्लेबाज़ के सिर सजा। हालांकि फ़ाइनल में मुंबई को चेन्नई के हाथों हार का सामना करना पड़ा, जिसमें सचिन ने अपनी टीम के लिए बहुमूल्य 48 रन बनाए।
लगातार तीसरी बार ट्रॉफ़ी का सपना रहा अधूरा
सचिन जब आईपीएल के चौथे सीज़न में प्रवेश कर रहे थे तब भारतीय टीम के लिए विश्व कप जीतने का उनका सबसे बड़ा सपना पूरा हो चुका था। हालांकि आईपीएल ट्रॉफ़ी जीतने के सपने को पूरा करने के लिए सचिन और मुंबई को अभी थोड़ा और इंतज़ार करना था। क्वालिफ़ायर में मुंबई को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के हाथों हार झेलनी पड़ी।
सचिन ने इस आईपीएल में कोची की टीम के विरुद्ध नाबाद शतकीय पारी भी खेली, जो जयसूर्या के बाद मुंबई की तरफ़ से बनाया गया दूसरा शतक था। 2010 से ही लगातार प्लेऑफ़ में प्रवेश करने का मुंबई का कारवां 2012 में भी जारी रहा लेकिन एक बार फिर मुंबई इंडियंस लगातार तीसरी बार ट्रॉफ़ी से वंचित रह गई। हालांकि आईपीएल में मुंबई के प्रभुत्व की शुरुआत हो चुकी थी।
सचिन के सफ़र में तेंदुलकर का अल्पविराम
2013 का साल न सिर्फ़ सचिन के आईपीएल करियर का अंतिम साल था बल्कि यह सचिन के अंतर्राष्ट्रीय करियर का भी अंतिम साल रहने वाला था। 2010 के फ़ाइनल के बाद चेन्नई और मुंबई एक बार फिर ट्रॉफ़ी के लिए भिड़ीं लेकिन इस बार बाज़ी मुंबई के नाम होनी थी और वह वापसी का दूसरा नाम बनने वाली थी।
सचिन का आईपीएल करियर इसके बाद तो समाप्त हो गया लेकिन 'तेंदुलकर' के करियर में यह तो महज़ एक अल्पविराम था। सचिन ने अपने आईपीएल करियर में चोट का सामना भी किया और ट्रॉफ़ी जीतने वाली टीम का हिस्सा भी बने। ऑरेंज कैप हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी बने, लेकिन अगर कुछ हासिल न हो पाया तो वह था आईपीएल विकेट।
सनराइज़र्स हैदराबाद के विरुद्ध जब बीते मंगलवार को अर्जुन तेंदुलकर ने भुवनेश्वर कुमार का विकेट लिया तो यह अधूरा काम भी पूरा गया। सचिन ने ख़ुद कहा भी, "अब किसी तेंदुलकर के पास भी आईपीएल विकेट है।"
शनिवार को पंजाब किंग्स के ख़िलाफ़ मुंबई की पारी के 11वें ओवर में जब रवि शास्त्री सचिन से डगआउट के बाहर बात कर रहे थे, तब सचिन ने भी अपने 50वें जन्मदिन से दो दिन पहले यही कहा, "मैं भले ही 50 वर्ष का हो गया हूं, लेकिन मैं आज भी 40 का ही बना रहना चाहता हूं।" क्रिकेट और इस खेल के साथ जुड़े अपने सफ़र पर उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा सपना है, जिसे मैंने 1983 में देखा और आज तक इसी सपने को जी रहा हूं।"
सचिन इस सपने को भले ही आज भी जी रहे हों लेकिन कितने असंख्य लोग भी हैं, जो आज भी सिर्फ़ सचिन को देखकर इस सपने को जी रहे हैं।