सिकंदर रज़ा ने अपने जीवन के शुरुआती साल पाकिस्तान एयर फ़ोर्स (पीएएफ़) में फ़ाइटर पायलट बनने की तैयारी में गुज़ारे थे। आंखों में एक ख़राबी के चलते उनका यह सपना सच नहीं हो पाया। हालांकि रज़ा का मानना है कि एयर फ़ोर्स के लिए प्रशिक्षण करते हुए उन्हें अपने जीवन के लिए कई मूलमंत्र मिले जो अब उनके काम आते हैं।
रज़ा शुरुआत में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बने और फिर काफ़ी अधिक उम्र में उन्होंने क्रिकेट शुरू किया। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण के नौ साल बाद फ़िलहाल रज़ा अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में हैं। पिछले कुछ हफ़्तों में उन्होंने आईसीसी के टी20 विश्व कप क्वालिफ़ायर टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ प्लेयर का ख़िताब जीता। इसके बाद वह बांग्लादेश के ख़िलाफ़ टी20 सीरीज़ में भी प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ रहे। और फिर
पहले वनडे में 135 नाबाद बनाकर प्लेयर ऑफ़ द मैच घोषित हुए।
304 के लक्ष्य का पीछा करते हुए ज़िम्बाब्वे के पहले तीन विकेट 14वें ओवर में 62 के स्कोर पर गिर चुके थे। उन्होंने किसी वनडे में बांग्लादेश को नौ सालों से और 19 मैचों में नहीं हराया था। वहां से 109 गेंदों पर 135 की पारी ने दर्शाया कि रज़ा दबाव को कितनी अच्छी तरह संभाल लेते हैं।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से बातचीत में रज़ा ने कहा, "मैच में अच्छा करना और जीतने का दबाव रहता है। मेरे एयर फ़ोर्स के अनुभव से मुझे फ़ायदा मिलता है। हम आसानी से हार नहीं मानते। मुझे गेंद लगे, उंगलियां या पैर में चोट लगे, इससे मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। पीएएफ़ कॉलेज में बिताए साढ़े तीन साल की यह अच्छी सीख है। मैं फ़ाइटर पायलट भले ही नहीं बना लेकिन बतौर इंसान मैं हमेशा एक फ़ाइटर ही रहूंगा। प्रशिक्षण के शारीरिक और मानसिक दृष्टिकोण अब मेरे काम आ रहे हैं।"
ज़िम्बाब्वे की टीम बल्लेबाज़ी करते हुए जानती थी कि रायन बर्ल गेंदबाज़ी करते हुए साइड स्ट्रेन का शिकार बने थे और संभवत: बल्लेबाज़ी नहीं कर पाते। रज़ा अनुभवहीन
इनोसेंट काइया के साथ साझेदारी बुनने की कोशिश में थे। एक अंदरूनी किनारा उनके जांघ के अंदर के हिस्से से ज़ोर से जा टकराई थी और उन्हें इस दर्द के साथ ही पारी को आगे बढ़ाना पड़ा था।
रज़ा ने कहा, "मैं खाली दिमाग़ लेकर बल्लेबाज़ी करने उतरता हूं। मैं गेंद को क़रीब से देखता हूं। वनडे मैच में आप कुछ गेंद छोड़ भी सकते हैं। एक-आध शॉट से मुझे पता चल जाता है कि मेरे बाउंड्री के विकल्प कौन से हैं। अन्यथा मैं बस स्थिर रहकर गेंद की लंबाई को भांपने की कोशिश करता हूं।"
आगे उन्होंने कहा, "एक बार जब पारी में थोड़ी गतिशीलता आई तो इनोसेंट ने भी कुछ बढ़िया शॉट लगाए जिससे मेरे ऊपर का दबाव भी कम होता रहा। कुछ बाउंड्री लगने से मैच का प्रवाह हमारी तरफ़ आ गया। हम मैच जीतना चाहते थे लेकिन इसके लिए हमने छोटे-छोटे लक्ष्य बनाए।"
रज़ा अच्छे लय के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे लेकिन क़रीब 25वें ओवर से लेकर अगले पांच ओवर तक बांग्लादेश ने दोनों बल्लेबाज़ों को बांधे रखने का अच्छा प्रयास किया। ऐसे में रज़ा ने मुस्तफ़िज़ुर रहमान की गेंद पर एक सीधा छक्का लगाकर मैच के रुख़ को पलट दिया।
रज़ा ने कहा, "मुझे लगता मेरे छक्के मारने की क़ाबिलियत के पीछे मेरे बल्लों का बड़ा हाथ है। मैं एक या दो ऐसी गेंदें ढूंढता हूं जिनपर मैं बाउंड्री मार सकूं। मेरा ध्यान टाइमिंग पर रहता है। अगर मैं अच्छे से टाइम करूं तो अल्लाह ने मुझे इतनी ताक़त दी है कि मैं सीमारेखा के पार गेंद को भेज सकता हूं। अगर आपके पास आत्मविश्वास है और फिर आपको अपने मनचाहे जगहों में गेंद मिलती है तो आपका काम आसान हो जाता है। यह कोई बड़ा रहस्य नहीं है।"
रज़ा ने अपने साथ 192 रनों की साझेदारी निभाने वाले काइया की भी तारीफ़ की और कहा, "उन्होंने बहुत ही अच्छे दर्जे की पारी खेली। मैं उनके साथ फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट खेल चुका हूं और मैंने उनके साथ काफ़ी समय बिताया है। मैंने उनसे हमेशा कहा है कि जब उनका सही समय आएगा तो वह ज़बर्दस्त प्रदर्शन देंगे। दूसरे छोर से उनकी पारी का साक्षी होना एक विशेष ख़ुशी थी।"
रज़ा ने 19 वनडे मैचों के हार के बाद पहली जीत का महत्व बताया लेकिन बांग्लादेश के पलटवार से बचने की चेतावनी दी।
उन्होंने कहा, "इस कड़ी को तोड़ने का सही वक़्त था। वह हमारे विरुद्ध नौ साल में 19-0 का रिकॉर्ड लेकर खेल रहे थे। इसके बाद भारत यहां आएगा। फिर ऑस्ट्रेलिया में विश्व कप है। यह ज़िम्बाब्वे के लिए अच्छा समय है। लेकिन बांग्लादेश एक बड़ी टीम है।
विश्व कप सुपर लीग तालिका में वह पहले या दूसरे स्थान पर हमेशा होते हैं। वह वेस्टइंडीज़ में 2-1 से जीते। वह एक शक्तिशाली क्रिकेट टीम है और ज़िम्बाब्वे रविवार को सीरीज़ जीतना चाहेगा। हमें सही मानसिकता के साथ खेलना होगा।"
मोहम्मद इसाम ESPNcricinfo के बांग्लादेशी संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन ने किया है।