भारत 231 (शेफ़ाली 96, मांधना 78, एकलस्टन 4/88, नाइट 2/7) और 344/8 (राणा 80*, वर्मा 63, दीप्ति 54, तानिया 44*, एकलस्टन 4/118) ने इंग्लैंड 396/9 (नाइट 95, डंकली 74*, बोमॉन्ट 66, राणा 4/131, दीप्ति 3/65) के साथ ड्रॉ खेला।
अगर आप स्कोरलाइन को देखेंगे तो आपको यह एक 'ड्रॉ' और नीरस मैच नज़र आ सकता है, लेकिन इसके बिल्कुल उलट यह एक बेहद मज़ेदार मैच था। मैच के आख़िरी सत्र तक इस मैच का रोमांच बना रहा और दोनों टीमें कभी मैच बचाने और कभी मैच जीतने की नूरा-कुश्ती करती रहीं।
ब्रिस्टल के स्थानीय समयानुसार दोनों टीमें जब 6 बजकर 13 मिनट पर ड्रॉ के लिए सहमत हुईं, उस समय भारत अपनी दूसरी पारी में 8 विकेट पर 344 रन बनाकर खेल रहा था। स्नेह राणा और तानिया भाटिया ने नौवें विकेट के लिए नाबाद 104 रन जोड़े थे और फ़ॉलोऑन झेलने के बाद मैच को बचाने उतरी भारतीय टीम 179 रन की बढ़त के साथ बेहतर स्थिति में थी।
इससे पहले दिन की शुरूआत में सोफ़ी एकलस्टन ने 4 विकेट लेकर भारत को बैकफ़ुट पर धकेल दिया। लेकिन आठवें विकेट के लिए स्नेह राणा और शिखा पांडे ने 41 रनों की साझेदारी कर भारत की वापसी और मैच के ड्रॉ होने की नींव रख दी। इसके बाद स्नेह राणा ने 154 गेंदों में नाबाद 80 और विकेटकीपर तानिया भाटिया ने नाबाद 44 रन बनाकर इंग्लैंड के जीत के किसी भी मंसूबे पर पानी फेर दिया।
पिच से तेज़ गेंदबाज़ों को कोई मदद नहीं मिल रही थी और इंग्लैंड टीम की एकमात्र उम्मीद लेफ़्ट आर्म स्पिनर सोफ़ी एकलस्टन थीं, जो लगातार गेंदबाज़ी कर रही थीं। पहली पारी में 26 ओवर फेंकने वाली एकलस्टन ने दूसरी पारी में 38 ओवर फेंकें। उनका साथ देने के लिए ऑफ़ स्पिनर कप्तान हेदर नाइट ने भी 15 ओवरों तक गेंदबाज़ी की, लेकिन ये दोनों मिलकर भी तानिया और राणा की जोड़ी को नहीं तोड़ पाईं। पहली पारी में चार विकेट लेने वाली एकलस्टन इससे पहले दूसरी पारी में भी चार विकेट ले चुकी थीं।
दिन की शरूआत में जब सोफ़ी ने शेफ़ाली वर्मा (63 रन) का विकेट लिया, तो फिर लगा कि इंग्लैंड यह मैच आसानी से जीत जाएगा। शेफ़ाली का कैच लेने के बाद कैथरीन ब्रंट जोर से चिल्लाईं, साथ ही मैदान पर बैठे दर्शक भी उछल पड़ें। उस समय मैदान पर लगा डिस्प्ले स्क्रीन भी बता रहा था कि यह मैच का एक बेहद ही 'महत्वपूर्ण और निर्णायक पल' है। शायद इनमें से किसी को भी नहीं पता था कि यह मैच ड्रॉ होने वाला है।
ऐसा इसलिए था क्योंकि पहली पारी में शेफ़ाली के आउट होने के बाद भारतीय टीम ताश के पत्तों की तरह बिखर गई थी। उस दौरान दूसरे छोर पर दीप्ति शर्मा (29* पहली पारी) विकेटों को गिरता हुआ देख रही थी। वही दीप्ति दूसरी पारी में शेफ़ाली के आउट होने के बाद भारतीय टीम की संकटमोचक साबित हुई।
शेफ़ाली के आउट होने के बाद दीप्ति ((54 रन, 168 गेंद) ने ने पिच पर अंगद की तरह पांव जमाए। उन्होंने तीसरे विकेट के लिए पूनम राउत के साथ 72 रन की साझेदारी की और किसी भी कोलैप्स की संभावना को खत्म कर दिया और भारत की पारी के हार को भी टाला। हालांकि वह लंच से बिल्कुल पहले अंतिम गेंद पर आउट हुईं। उस समय भारत को सिर्फ छह रन की बढ़त मिली थी। उस समय तक भी ऐसा लग रहा था कि भले ही भारत ने पारी की हार टाल दी हो लेकिन हार टालना बहुत ही मुश्किल होगा।
दीप्ति के आउट होने के बाद कप्तान मिताली राज (4 रन) और पूनम राउत (39 रन) भी सिर्फ चार रनों के अंतराल पर आउट हो गईं। तब फिर ऐसा लगा कि अब विकेटों का सिलसिला शुरू हो गया है। पूजा वस्त्रकर को इस पारी में नंबर 10 से नंबर 7 पर प्रमोट किया गया और उन्होंने एकलस्टन के एक ओवर में तीन चौके लगाकर मैच में थोड़ा रोमांच लाने की कोशिश की। लेकिन हेदर नाइट ने उन्हें अगले ओवर में ही पवेलियन भेज दिया। इसके तीन ओवर बाद उपकप्तान हरमनप्रीत कौर भी एक खराब शॉट खेल एकलस्टन का शिकार हो गई।
भारत की बढ़त उस समय तक सिर्फ 34 रन हुई थी और उसके सात विकेट गिर चुके थे। इसके बाद शिखा पांडे (18 रन) ने स्नेह राणा के साथ 41 रनों की साझेदारी की। इंग्लैंड की उपकप्तान नैट सीवर ने लेग साइड से बाहर जा रही गेंद पर शिखा पांडे को विकेट के पीछे लपकवाया। इसके बाद भी इंग्लैंड की जीत संभव लग रही थी। लेकिन डेब्यू कर रही खिलाड़ियों स्नेह राणा (80 रन, 13 चौके) और तानिया भाटिया (44 रन, 6 चौके) ने ना सिर्फ शतकीय साझेदारी की बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि भारत हार की संभावना से कोसो दूर हो जाए। अंत में यह महज़ एक 'ड्रॉ मैच' था।