ऋद्धिमान साहा ने कहा है कि वह क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल (CAB) के साथ अतीत की अपनी कड़वी यादों को भुलाकर उस टीम के साथ एक नई शुरुआत करना चाहते हैं जिसका उन्होंने 2007 से लेकर 2022 तक प्रतिनिधित्व किया था।
ईडन गार्डेन्स पर मीडिया से बातचीत के दौरान साहा ने कहा कि वह अतीत के बारे में चर्चा करना नहीं चाहते और उनका ध्यान अब अपने बचे हुए करियर में बंगाल की सेवा करने पर है। 39 वर्षीय साहा ने कहा कि वह एक क्रिकेटर के तौर पर बंगाल के साथ जुड़ने के लिए बेक़रार थे लेकिन वह भविष्य में कोचिंग की भूमिका के लिए भी उपलब्ध रहेंगे।
साहा ने कहा, "मैं अतीत और भविष्य के बारे में ज़्यादा नहीं सोचता बल्कि वर्तमान में रहने की कोशिश करता हूं। इस समय मैं सिर्फ़ बंगाल के लिए खेलने के बारे में ही सोच रहा हूं। अतीत में जो कुछ भी हुआ मैं अब उसे भुला चुका हूं। मैं किसी भी भूमिका में बंगाल के लिए योगदान देने के लिए तैयार हूं। चूंकि मैं एक क्रिकेटर हूं ऐसे में प्रशासनिक भूमिका के इतर कोचिंग में बंगाल के लिए योगदान देना मेरे लिए अधिक बेहतर होगा।"
साहा ने 2022-23 के घरेलू सीज़न से पहले CAB के संयुक्त सचिव देबब्रत दास के साथ हुए मतभेद के बाद बंगाल के साथ अपनी राहें जुदा कर ली थीं। दास ने अपने एक बयान में साहा को लेकर कहा था कि वह बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफ़ी ना खेलने के लिए हर तरह का बहाना बना रहे हैं।
साहा ने उस समय माफ़ीनामे की मांग की थी लेकिन इसके बावजूद उन्हें CAB ने कुछ मुक़ाबलों के लिए चयनित कर लिया था। हालांकि वह अड़े रहे और वह त्रिपुरा का खिलाड़ी और मेंटॉर के रूप में हिस्सा बनने के लिए ज़रूरी NOC लेकर ही माने।
यह घटना उसी समय हुई थी जब राहुल द्रविड़ की अगुवाई वाले भारतीय टीम मैनेजमेंट ने जनवरी 2022 में साउथ अफ़्रीका दौरे से लौटने के बाद साहा को बताया था कि वह अब आगामी टेस्ट दल में भारतीय टीम का हिस्सा नहीं होंगे।
साहा की टोपी पर "नेवर गिव अप" लिखा हुआ था। जब उनसे आगे मीडिया में काम करने और अन्य T20 लीग में खेलने के विचार के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, "मैं इस समय संन्यास लेने की सोच रहा हूं। जब मैं संन्यास लूंगा तब मैं हर तरह की क्रिकेट और उसके हर प्रारूप से विदाई ले लूंगा। लेकिन इस समय मेरा ध्यान लाल गेंद और सफ़ेद गेंद क्रिकेट और IPL पर है। मैं हर चीज़ के लिए उपलब्ध हूं। मेरी ख़ुद की एक नज़र भले ही अपनी उम्र के हिसाब से अपना वर्कलोड मैनेज करने पर ज़रूर रहेगी लेकिन मेरे अंदर क्रिकेट खेलने का जज़्बा अभी भी बचा हुआ है और मैं बंगाल को बेहतर करता देखना चाहता हूं।"
CAB के अध्यक्ष स्नेहाशीष गांगुली ने साहा को बंगाल की कप्तानी दिए जाने के सवाल पर चुप्पी ज़रूर साध ली लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मनोज तिवारी के जाने के बाद रिक्त हुए स्थान को भरने के लिए साहा जैसे अनुभवी खिलाड़ी की आवश्यकता थी। गांगुली ने कहा कि CAB साहा के अलावा पूर्व उपकप्तान सुदीप चटर्जी की वापसी को लेकर भी उत्साहित है जिन्होंने साहा के बंगाल छोड़ने के दौरान ही त्रिपुरा का रुख़ किया था।
साहा की वापसी की स्थिति में बंगाल के पास उनके और अभिषेक पोरेल के रूप में दो उच्चस्तरीय विकेटकीपर होंगे। हालांकि साहा ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि पोरेल को ख़ुद की प्रतिभा का विकास करने का पर्याप्त अवसर मिले और सिर्फ़ सीनियर खिलाड़ी की जगह बनाना एक युवा खिलाड़ी के विकास के आड़े नहीं आ पाए।
साहा ने कहा, "बंगाल छोड़ने से पहले भी मैं अभिषेक को ग्रूम कर रहा था और मैं यह करना जारी रखूंगा। मैंने बहुत छोटी उम्र से ही उसे आगे बढ़ते हुए देखा है और उसके साथ मेरी काफ़ी चर्चा होती रही है। मुझे भरोसा है कि मैनेजमेंट भी अभिषेक को अधिक से अधिक अवसर देना चाहेगा।"
बंगाल पिछले चार वर्षों से रणजी ट्रॉफ़ी के ख़िताब की दहलीज़ तक पहुंच रहा है। इस दौरान दो बार (2019-20 और 2022-23) वह फ़ाइनल में पहुंचा है लेकिन दोनों ही बार उसे सौराष्ट्र के हाथों हार झेलनी पड़ी है। हालांकि बंगाल क्रिकेट के प्रशंसकों के बीच बंगाल की टीम में बंगाल के खिलाड़ियों की कमी चिंता का सबब बना हुआ है।
मोहम्मद शमी, शाहबाज़ अहमद, मुकेश कुमार और आकाश दीप बाहरी राज्यों से आकर बंगाल की टीम का हिस्सा बने और बाद में यह सभी भारतीय टीम के लिए खेले। लेकिन साहा भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का प्रतिनिधत्व करने वाले अंतिम बंगाली हैं। हालांकि साहा ने यह स्पष्ट किया कि खिलाड़ियों को इस आधार पर खेलने का मौक़ा नहीं दिया जाएगा।
साहा ने कहा, "जब आप एक बार भारतीय टीम के लिए चयनित हो जाते हैं तब नॉर्थ ज़ोन, साउथ ज़ोन, ईस्ट ज़ोन या वेस्ट ज़ोन जैसे किसी भी कोटा का अस्तित्व नहीं रहता। अगर आप अच्छा खेलेंगे तब आपको अवसर मिलेगा और बंगाल में भी ऐसा ही होता आया है। अगर कोई खिलाड़ी बाहरी राज्य से आया है या बंगाली नहीं भी है तब भी इसका यह मतलब नहीं है कि वह टीम का हिस्सा नहीं है। शाहबाज़, आकाश और (अभिमन्यु) ईश्वरन को मैंने यहां काफ़ी छोटी उम्र से अभ्यास करते देखा है। वे यहां रातों रात नहीं पहुंचे हैं। यह सभी बंगाल के दल का हिस्सा हैं।"
"मैं यह समझ सकता हूं कि कुछ लोग चाहते होंगे कि बंगाल की टीम में अधिक बंगाली होने चाहिए लेकिन मैं इसे ठोस वजह नहीं मानता क्योंकि अंत में योग्यता और मेहनत ही मायने रखती है। क्योंकि अगर आप उस तरह से सोचेंगे तब तो आप कहेंगे मनोज तिवारी भी बंगाली नहीं हैं, जो की ज़ाहिर तौर पर सच नहीं है। तो मुझे नहीं लगता कि बंगाल क्रिकेट में यह चीज़ें वास्तव में उतना मायने रखती हैं और वो भी तब जब आप इतना अच्छा प्रदर्शन कर रहे हों। जैसा कि हम पिछले चार पांच वर्षों से देखते आ रहे हैं।"
पिछले सीज़न बंगाल की टीम ग्रुप स्टेज से आगे जाने में असमर्थ रही थी। वह अपने ग्रुप में (ग्रुप बी) में मुंबई और आंध्रा के बाद तीसरे स्थान पर रही थी। लिस्ट ए विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में बंगाल की टीम क्वार्टर फ़ाइनल में बाहर हो गई थी। सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में यह टीम प्रीलिमिनरी क्वार्टर फ़ाइनल में बाहर हो गई थी।