शारजाह की एक धीमी पिच पर
हॉन्ग कॉन्ग के ख़िलाफ़ पाकिस्तान ने 193 का स्कोर खड़ा किया, जो परिस्थितियों के हिसाब से काफ़ी विशाल स्कोर था।
मोहम्मद रिज़वान ने अपने परिचित अंदाज़ में गर्मी में संघर्ष करते हुए भी 57 गेंदों में अविजित 78 रनों की पारी खेली। 41 गेंदों पर 53 बनाने वाले
फ़ख़र ज़मान के साथ उन्होंने एक मज़बूत बुनियाद बनाई और इस पर
ख़ुशदिल शाह ने ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करते हुए चार चांद लगा दिए। पारी की आख़िरी चार गेंदों को सीमा रेखा के ऊपर उड़ाते हुए उन्होंने टीम को एक ऐसे टोटल पर पहुंचाया जिसके सामने हॉन्ग कॉन्ग के लिए जीत की उम्मीद कम ही थी।
इसके बाद पाकिस्तान के गेंदबाज़ों ने भी उन्हें राहत की सांस नहीं लेने दी। हॉन्ग कॉन्ग का 38 ऑल आउट पाकिस्तान के विरुद्ध टी20आई में सबसे कम स्कोर है और 155 रनों की जीत उनके लिए इस प्रारूप में सबसे बड़ा अंतर।
सच पूछिए तो सब कुछ योजना के अनुसार गया। हालांकि इस मैच में जो पाकिस्तान ने किया उससे कहीं ज़्यादा उत्साहवर्धक बात यह है कि उनकी टीम ने यह दिखाया कि वह क्या कुछ कर सकते हैं। यह इस साल पाकिस्तान के लिए टी20 क्रिकेट में पहली जीत थी। और भी बड़ी अचरज की बात यह है कि इस साल यह उनके लिए तीसरा ही टी20 मुक़ाबला था।
पिछले साल टी20 विश्व कप में पाकिस्तान का सेमीफ़ाइनल तक का सफ़र मनोरंजन से भरपूर था। एक साल बाद ऐसा लगता है कि टीम में कोई भी बदलाव नहीं आया है। ना ही खिलाड़ियों में कोई बड़ा परिवर्तन है और ना ही उनके रणनीति में। शायद हॉन्ग कॉन्ग जैसे कमज़ोर विपक्षी टीम के विरुद्ध ऐसी योजना रंग लाती है लेकिन इसमें ख़ास विश्लेषण की ज़रूरत नहीं है कि विश्व की मज़बूत टीमें इस पूर्वकथनीयता का फ़ायदा उठा सकते हैं।
शुक्रवार को पाकिस्तान के लिए चौथे नंबर पर खेलने वाले ख़ुशदिल 16.1 ओवरों के बाद खेलने आए। पिछले विश्व कप की शुरुआत के बाद से पाकिस्तान के शीर्ष तीन बल्लेबाज़ हर पारी में औसतन 87 गेंदों का सामना करते हैं। हॉन्ग कॉन्ग के ख़िलाफ़ उन्होंने 106 गेंदें खेलीं। 193 रनों में से केवल 35 रन ऐसे बल्ले से निकले जो शीर्ष तीन के बल्लेबाज़ों ने नहीं पकड़ रखा था। हालांकि जहां शीर्ष तीन ने 132.07 के स्ट्राइक रेट से रन बनाया, यही आंकड़ा ख़ुशदिल के लिए 233.33 था।
पिछले विश्व कप के शुरुआत के बाद पाकिस्तान के शीर्ष तीन बल्लेबाज़ों में रन और गेंदों के बीच का अंतर सबसे कम है जबकि मिडिल ऑर्डर का स्ट्राइक रेट दुनिया में सर्वाधिक है। टीम के सबसे आक्रामक बल्लेबाज़ सबसे कम गेंदें खेल पा रहे हैं। सरल शब्दों में पाकिस्तान उतने बड़े स्कोर नहीं बना रहा जिसकी संभावना है।
यह एक तरह से आलोचना ज़रूर है लेकिन पाकिस्तान ख़ेमे में इसे एक अवसर के रूप में देखने की ज़रूरत है। हॉन्ग कॉन्ग जैसी टीम के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के सबसे ज़बरदस्त हिटर को केवल 15 गेंदों का सामना करने को मिला। डगआउट में बैठे इफ़्तिख़ार अहमद, शादाब ख़ान और आसिफ़ अली की बल्लेबाज़ी ही नहीं आई। ख़ुशदिल ने 15 गेंदों पर पांच छक्के लगाए जबकि और तीन बल्लेबाज़ों ने 106 गेंदों पर केवल तीन छक्के मारे। 10 ओवर के बाद पाकिस्तान ने 64 पर एक बनाए थे, और केवल छह चौके लगाए थे।
काफ़ी समय तक पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी परेशानी थी मिडिल ऑर्डर में बड़े शॉट लगाने वाले बल्लेबाज़ों का ना होना। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अगर उनके बल्लेबाज़ों को तेज़ खेलने से कोई रोक रहा है तो वह है उनकी नैसर्गिक प्रवृत्ति।
कहते हैं आप अपनी जीत से कहीं ज़्यादा अपनी हार से सीखते हैं। अगर यह पूरा सच होता तो पिछले साल ऑस्ट्रेलिया से सेमीफ़ाइनल हारने के बाद पाकिस्तान अपनी बल्लेबाज़ी शैली में सुधार लाता। भारत से सुपर 4 में एक और बाद मुक़ाबले से पहले बाबर आज़म की टीम को यह बात समझनी होगी।
ऐसा नहीं है कि यह पाकिस्तान बल्लेबाज़ी क्रम और बड़े स्कोर नहीं बना सकता। बस हैंडब्रेक को नीचे करने की ज़रूरत है। पाकिस्तान और उनके समर्थकों के लिए इससे बेहतर ख़बर क्या हो सकती है।
दानयल रसूल ESPNcricinfo के सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन ने किया है।