मैच (16)
GSL (3)
ENG-W vs IND-W (1)
ENG-U19 vs IND-U19 (1)
ज़िम्बाब्वे T20I त्रिकोणीय सीरीज़ (1)
SL vs BAN (1)
Vitality Blast Men (2)
Vitality Blast Women (3)
MAX60 (4)
फ़ीचर्स

नियंत्रित आक्रामकता और क्रिकेट से मोहभंग: राधा यादव की सफल वापसी की कहानी

राधा अब जब क्रिकेट नहीं खेलतीं, तो क्रिकेट के बारे में सोचती भी नहीं हैं

Daya Sagar
Daya Sagar
29-Sep-2024
फ़रवरी 2023 में साउथ अफ़्रीका में हुए पिछले T20 विश्व कप के बाद राधा यादव भारतीय टीम से बाहर हो गई थीं। WPL 2024 में अच्छे प्रदर्शन के बाद ही उनकी भारतीय टीम में वापसी हुई, जब अप्रैल 2024 में हुए बांग्लादेश दौरे के लिए उन्हें भारतीय टीम में चुना गया। तब से अब तक राधा ने 13 T20 में सिर्फ़ 6.27 की इकॉनमी से रन देते हुए 22 विकेट लिए हैं। अब UAE में होने वाले T20 विश्व कप में राधा भारतीय टीम की एक अहम सदस्य हैं।
राधा ने इस सफल वापसी को तकनीकी से अधिक मानसिक बदलाव बताया। ESPNcricinfo से हाल ही में दिल्ली में QUA ब्रांड शूट के मौक़े पर बात करते हुए राधा ने कहा, "अब मैं टीम में जगह बनाने की कोशिश नहीं करती हूं। मेरा ऐसा मानना है कि अगर मेरे पास स्किल और टीम को जिताने की क्षमता है, तो ही मैं टीम में रहूं। मेरे दिमाग़ में अब सिर्फ़ यही चलता है कि मैं अपने आप को कितना बेहतर करूं कि अपनी टीम को किसी भी परिस्थिति में जीत दिला सकूं।"
"अगर आप बुरे समय से गुजरे हो तो उसके बाद वापसी करने के लिए भी आपका माइंडसेट काफ़ी अच्छा होना चाहिए ताकि आप सारी चीजों को स्वीकार कर सको और ख़ुद को एक्सप्रेस कर सको। मुझे लगता है कि मैंने यह माइंडसेट बदला है, स्किल में कुछ अधिक बदलाव नहीं आया है। थोड़ी-बहुत तो चीज़ें बदलती रहती हैं, लेकिन मानसिक रूप से मैं अब बहुत शांत रहने की कोशिश करती हूं। मुझे अमोल सर ने इस 'नियंत्रित आक्रामकता' के बारे में बताया था और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है," राधा आगे कहती हैं।
" यह सीखना-सिखाना सिर्फ़ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहता है, हम उनसे एक इंसान के तौर पर भी बहुत कुछ सीखते हैं। हम देखते हैं कि कोई बड़ा खिलाड़ी कैसे खेल रहा है, उनका अप्रोच क्या है या कोई क्या गलतियां कर रहा है। तो फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।"
राधा यादव
अगले महीने होने वाले T20 विश्व कप में UAE की पिचों पर स्पिनर्स अहम भूमिका निभा सकती हैं। दीप्ति शर्मा और राधा भारत की स्पिन चौकड़ी की सीनियर सदस्य हैं और उनसे भारत को काफ़ी उम्मीदें होंगी। बाएं हाथ की स्पिनर राधा ने कहा कि पिच और परिस्थितियां कैसी भी हों, बड़े मैच का कितना भी दबाव हो, उनकी स्पिन चौकड़ी तैयार है।
राधा ने कहा, "टीम कॉम्बिनेशन कैसा भी हो, हम सारे स्पिनर्स तैयार हैं। हमारे बीच हमेशा बात-चीत होती रहती है कि वहां हमें कैसी पिच मिलेगी और उन पिचों पर कैसी गेंदबाज़ी करनी है, कितना टर्न कराना है, कौन सा वैरिएशन डालना है। हम चारों में एक अच्छी बॉन्डिंग है, भले ही यह स्पिन चौकड़ी नई हो।"
राधा ने बताया कि हालिया समय में उन्होंने क्रिकेट से अलग रहना भी सीखा है। उन्होंने बताया, "पहले मैं बस क्रिकेट के बारे में ही सोचती रहती थी। लेकिन मेरे दोस्तों ने मुझे समझाया कि कभी-कभी बाहर भी जाना होता है, ज़िंदगी को इन्जॉय करना होता है। क्रिकेट बस ज़िंदगी का एक हिस्सा है, पूरी ज़िंदगी नहीं है। यह चीज़ अब मुझे समझ आ गई है। अब जब क्रिकेट नहीं होता है, तो मैं क्रिकेट के बारे में उतना नहीं सोचती हूं। अपने मां-पिता के साथ रहती हूं, दोस्तों के साथ कैफ़े हॉपिंग करती हूं, फीफा खेलती हूं, कभी-कभी डांस भी कर लेती हूं और लंबी ड्राइव पर जाती हूं। पहले यह सब बहुत कम होता था, अब मैं ये सब बहुत अधिक करने लगी हूं।"
लेकिन क्या यह सिर्फ़ मानसिक बदलाव है या फिर राधा ने अपनी गेंदबाज़ी में कुछ तकनीकी बदलाव किए हैं, जिससे वह हालिया समय में अधिक प्रभावी गेंदबाज़ नज़र आ रही हैं। राधा ने बताया कि वह अब मैदान और जिम में अधिक पसीना बहाती हैं, लेकिन परिणामों की तरफ़ उन आशा भरी निगाहों से नहीं देखतीं, जैसे पहले देखती थीं।
उन्होंने कहा, "मैं हमेशा देखती हूं कि मैं कितना और इम्प्रूव कर सकती हूं। मैं कितना फ़िटनेस कर सकती हूं, मैं कितना जिम में पसीना बहा सकती हूं। बस ये सब चीज़ें मेरे हाथ में है। अब कोई ये नहीं कह सकता कि चलो मैंने ये सब किया, अब मुझे परिणाम भी मिलेगा। परिणाम अपने हाथ में नहीं है। हमारे हाथ में बस हमारा प्रोसेस है और वो मैं बहुत ईमानदारी से करती हूं। इसके बाद जो भी परिणाम आता है, उसको भी मैं स्वीकार करती हूं।"
"थोड़ा बहुत तो स्किल चेंज होता ही रहता है क्योंकि आप एक ही स्किलसेट से हर बार मैदान में नहीं उतर सकते। आपको बदलाव करना पड़ता है। अगर आप किसी बदलाव में सफल रहे हो तो उसे आप आगे भी जारी रख सकते हो, लेकिन आपका बेसिक मज़बूत होना चाहिए तभी आप एक खिलाड़ी के तौर पर इवॉल्व हो सकते हो।" राधा का मानना है कि महिला क्रिकेट में फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट और ख़ासकर WPL से यह बदलाव अधिक संभव हो पाया है। उनका कहना है कि इससे भारत में महिला क्रिकेट के सुधार और विकास में अधिक मदद मिली है।
उन्होंने कहा, "फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट में बहुत सारे खिलाड़ी एक साथ आते हैं। हमारे घरेलू खिलाड़ी विदेशी खिलाड़ियों से बहुत कुछ सीखते हैं, वहीं हम अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी भी उनसे बहुत चीज़ें सीखते हैं। लेकिन यह सीखना-सिखाना सिर्फ़ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहता है, हम उनसे इंसान के तौर पर भी बहुत कुछ सीखते हैं। हम देखते हैं कि कोई बड़ा खिलाड़ी कैसे खेल रहा है, उसका अप्रोच क्या है या कोई क्या गलतियां कर रहा है। तो वहां से काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है।"

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95