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समझदार ऋषभ पंत ने एजबेस्टन पर इंग्लैंड के छक्के छुड़ाए

111 गेंदों पर 146 रनों की पारी में उन्होंने सूझबूझ दिखाई और भारत की वापसी करवाई

ऋषभ पंत द्वारा खेली गई सूझबूझ भरी पारी के बारे में लिखने का सौभाग्य बहुत कम मिलता है। ऐसा नहीं है कि एजबेस्टन टेस्ट के पहले दिन उन्होंने अतरंगी चीज़े नहीं की। 23वें ओवर में 64 रन पर तीन विकेट गंवाने के बाद वह क्रीज़ पर आए और रन रेट तीन से भी नीचे जा चुका था। कुछ ओवर बाद विराट कोहली के आउट होने पर इसमें और गिरावट आई और भारत मुसीबत में था। हालांकि जब पंत अपनी शतकीय पारी खेलकर पवेलियन लौट रहे थे, भारत का रन रेट पांच से ऊपर जा पहुंचा था जो टेस्ट क्रिकेट में अमूमन देखने को नहीं मिलता है।
पंत ने 111 गेंदों पर 146 रन बनाए जो इंग्लैंड में किसी भारतीय खिलाड़ी द्वारा लगाया गया दूसरा सबसे तेज़ टेस्ट शतक है। उन्होंने अपनी पारी की शुरुआत जेम्स एंडरसन की पहली गेंद पर चहलक़दमी करते हुए की। वह गेंद बल्ले का अंदरूनी किनारा लेकर सिंगल के लिए गई जिसे इस साल टेस्ट क्रिकेट का सबसे मज़ेदार सिंगल कहा जा सकता है। पहली बाउंड्री भी पंत ने एंडरसन की गेंद को क़दमताल करते हुए सामने की तरफ़ लगाई। भारतीय उपमहाद्वीप में हमें बड़ों का सम्मान करने की शिक्षा दी जाती है लेकिन पंत यहां सब कुछ भूल चुके थे।
इसके अलावा पंत ने बेन स्टोक्स की गेंद को स्वीप करने का प्रयास भी किया था। अन्य बल्लेबाज़ इसके बाद अगली गेंद को रोकने का प्रयास करते लेकिन पंत उनमें से एक नहीं है। उन्होंने ऑफ़ स्टंप से इतनी दूर की गेंद को छेड़ने का प्रयास किया कि अगर उनके पास सात फ़ूट का बल्ला होता तब भी वह उस गेंद तक नहीं पहुंच पाते। कुछ हफ़्तों पहले रिवर्स स्कूप पर छक्का लगाने के बाद जो रूट ने बल्लेबाज़ी की नियमावली को बदलने की बात की थी लेकिन पंत को हर बार एक नई नियमावली के साथ बल्लेबाज़ी करने नज़र आते हैं।
पंत ने एक बार फिर एंडरसन की गेंद को रिवर्स स्कूप करने का प्रयास किया लेकिन इस बार उन्हें केवल दो रन मिले। अगर यह एक लापरवाह पारी होती तो गेंद दर्शकों के बीच जाकर गिरती लेकिन ऐसा नहीं था।
फिर आए जैक लीच जो इस मैच से पहले पंत के हाथों 59 गेंदों में 88 रन खा चुके थे। शायद इंग्लैंड को लगा कि सूझबूझ भरी बल्लेबाज़ी कर रहे पंत उनके ख़िलाफ़ अपना अंदाज़ बदलेंगे। पंत ने ऐसा बिल्कुल नहीं किया और भूखे शेर की तरह लीच पर टूट पड़े। 32 गेंदों के भीतर उन्होंने 59 रन बनाए जिसमें चौके-छक्के की बारिश हो रही थी। एक ओवर में तो उन्होंने 22 रन ठोक दिए। इंग्लैंड ने लॉन्ग ऑन पर एक खिलाड़ी को तैनात किया था और पंत उसके सिर के ऊपर से छक्के जड़ रहे थे। अब यह तो सूझबूझ वाली बात नहीं हुई, है ना?
मैं सच कह रहा हूं, इस पारी में हमें पंत ने सूझबूझ दिखाई। वह आक्रमण करने के लिए सही गेंदबाज़ का चयन कर रहे थे, शॉट लगाने के लिए सही क्षेत्र चुन रहे थे, तेज़ गति से दौड़ रहे थे और आसान रनों को कतई नहीं छोड़ रहे थे। गेंदों के बीच में वह चुपचाप अपना बल्ला कंधे पर लेकर अगली गेंद को तोड़ने के लिए खड़े हो जाते ठीक उसी तरह जिस तरह एक लकड़हारा लकड़े को तोड़ता है।
92 से 100 तक पहुंचने में पंत को चार शॉट खेलने पड़े जबकि वह विश्व क्रिकेट के उन बल्लेबाज़ों में से एक हैं जो किसी दिन आठ रनों वाला शॉट लगा देंगे। जब उन्होंने शतक पूरा किया, वह लंबी डाइव के साथ क्रीज़ में पहुंचने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें देखकर ऐसा लगा कि यह उनके जीवन का सबसे बड़ा पल था और हो भी क्यों ना? आख़िर वह छह बार 90 से 100 के बीच में आउट जो हुए हैं। यह थी सूझबूझ भरी बल्लेबाज़ी।
चाय के बाद के आंकड़े भी बताते है कि पंत ने हैरतअंगेज़ बल्लेबाज़ी की 32 गेंदों पर 53 रन बनाने के बाद उन्होंने अगली 59 गेंदों पर 93 रन बनाए। हालांकि इस दौरान उन्होंने कुछ ग़लत नहीं किया। वह सकारात्मकता और सही तरीक़े से गेंदबाज़ों को आड़े हाथों ले रहे थे। मैथ्यू पॉट्स के ख़िलाफ़ उन्होंने कवर ड्राइव, दो कट, नियंत्रण वाले पुल और मिडविकेट की तरफ़ फ़्लिक लगाई। इस दौरान उन्होंने किसी भी तरह का जोखिम नहीं लिया और बावजूद इसके इस सीज़न में इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ के विरुद्ध 17 गेंदों में उनके नाम छह बाउंड्री थी।
जब रूट ने उन्हें बाउंसर गेंद डाली और पंत ने पुल करते हुए चौका जड़ा, लापरवाह पंत नहीं बल्कि रूट थे। पंत ने उस गेंद पर सबसे सटीक शॉट लगाया। ठीक उसी समय मुझे यह एहसास हुआ कि पंत की सूझबूझ अन्य लोगों की सूझबूझ से काफ़ी अलग और काफ़ी जुदा है।

उस्मान समिउद्दीन ESPNcricinfo में सीनियर एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।