आईसीसी मीडिया राइट्स बिक्री की प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर चिंतित प्रसारक
भारतीय कंपनियां 2023-31 के आईसीसी आयोजनों की बोलियों को सार्वजनिक नहीं किए जाने को लकर असहज हैं
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो स्टाफ़
18-Aug-2022
2023 से 2031 तक की ब्रॉडकास्टिंग अधिकारों के लिए लगाए जाने वाली बोली में हुआ विवाद • Gareth Copley/ICC/Getty Images
आईसीसी के प्रसारण अधिकारों के लिए बोली जमा करने की तारीख़ में अब एक सप्ताह से भी कम का समय बाक़ी है लेकिन भारत में मीडिया कंपनियों के बीच चिंताएं बनी हुई हैं। इसके कारण आईसीसी के द्वारा आयोजित मॉक नीलामी में चार प्रमुख प्रसारक अनुपस्थित थे।
डिज़नी स्टार*, ज़ी, सोनी और वायकॉम जैसी कंपनियों ने हाल ही में आईपीएल अधिकारों के ई-नीलामी में भाग लिया था। ये कंपनियां आईसीसी द्वारा कराई जा रही प्रशिक्षण सत्रों में शामिल नहीं हुईं। इन प्रशिक्षण सत्रों का उद्देश्य बोली लगाने वालों को उस मंच से परिचित कराना है, जिसके माध्यम से बोलियां प्रस्तुत की जाएंगी।
हालांकि कई कंपनियों ने इस प्रशिक्षण सत्र को पूरा कर लिया है और कुछ कंपनियां गुरुवार को ऐसा करने जा रहे हैं। आईसीसी उम्मीद कर रहा है कि बाक़ी की कंपनियां भी जल्द ही इस सत्र को पूरा करने के लिए अपना स्लॉट बुक कर लेंगी।
जो कंपनियां इन सत्रों से दूर रही हैं, उन्होंने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता के बारे में चिंता व्यक्त की है। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को पता चला है कि सभी चार ब्रॉडकास्टर इस बात से असहज हैं कि बोलियों को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा या प्रक्रिया में भाग लेने वालों के बीच भी साझा नहीं किया जाएगा।
आईसीसी ने शीर्ष बोलियों के क़रीब होने या आईसीसी की अपेक्षाओं को पूरा नहीं करने की स्थिति में ई-नीलामी आयोजित करने का अधिकार सुरक्षित रखा है। माना जाता है कि ब्रॉडकास्टर्स इसी अपारदर्शिता से नाख़ुश हैं। उनका मानना है कि यह जानने की अपेक्षा करना उचित है कि लगाई गई बोलियों में कितना अंतर होने से आईसीसी इस नीलामी के दूसरे दौर में प्रवेश करेगा।
हालांकि ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो समझता है कि अगर अब दूसरे दौर की बोली लगाने की ज़रूरत है तो वह ई-नीलामी के रूप में होगी। ब्रॉडकास्टर्स आईसीसी से इस बारे में और स्पष्टता चाहते हैं कि चार साल के पैकेज और आठ साल के पैकेज के लिए बोली को एक-दूसरे के ख़िलाफ़ कैसे आंका जाएगा। यह समझा जाता है कि आईसीसी के पास एक एल्गोरिदम है जो विभिन्न अवधियों और प्लेटफार्मों में बोलियों की तुलना करने में सबसे अच्छा बेंचमार्क आंकड़ा तैयार करता है। हालांकि यह एल्गोरिदम सार्वजनिक नहीं है।
ये बोलियां 22 अगस्त तक प्रस्तुत की जानी हैं, जब तकनीक से जुड़े मुद्दों का आकलन किया जाएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए उचित परिश्रम किया जाएगा कि प्रत्येक आईसीसी की आवश्यकताओं को पूरा किया जाए। बोली के वित्तीय पहलू को एक स्वतंत्र निकाय के पास रखा जाएगा और 26 अगस्त तक नहीं खोला जाएगा।
आईसीसी बोलीदाताओं के साथ स्पष्टीकरण के माध्यम से काम करना जारी रखा है, लेकिन यह संभावना नहीं है कि बोली प्रक्रिया का कोई भी हिस्सा अब बदल जाएगा। जैसा कि बोलीदाताओं ने अलग-अलग प्रक्रियाओं का सुझाव दिया है, अब इसे बदलने से ऐसा लग सकता है कि एक बोली लगाने वाले को दूसरे के पक्ष में पसंद किया जा सकता है। ऐसे में एक ऐसी परिस्थिति बनेगी जिससे आईसीसी बचना चाहता है।
डिज़्नी स्टार और ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो वॉल्ट डिज़्नी कंपनी का हिस्सा हैं।