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कृष्णास्वामी :राशिद ख़ान का जादू अनमोल है

क्वालिफ़ायर 1 में उन्होंने लेग स्पिन और गूगली के मिश्रण से राजस्थान रॉयल्स को बांधे रखा

मंगलवार को ईडन गार्डंस में हुए क्वालिफ़ायर में राशिद ख़ान ने ना तो कोई विकेट लिए और ना ही उनकी गेंदबाज़ी पर एक भी छक्का या चौका लगाया गया। इसका मतलब है जब आप इस मैच के हाइलाइट्स देखेंगे तब शायद उनकी गेंदबाज़ी का कोई अंश आपको नहीं दिखेगा। हालांकि अगर आप मैदान पर मौजूद थे औरअगर आपने उनकी गेंदबाज़ी सामने से देखी थी तो आप इसे एक लंबे समय तक याद रखेंगे।
आप को याद रहेगा राजस्थान रॉयल्स की पारी के नौवे ओवर की लेगब्रेक जिसने जॉस बटलर को बीट किया। मीडिया पटल से देखते हुए क्षणभर के लिए लगा की गेंद से ज़िंग बेल्स जल उठी लेकिन फिर समझ आया कि यह ऋद्धिमान साहा के ग्लव्स की चमक का असर था। अर्थात माया पर माया।
शायद बटलर ने राशिद को हाथ से पढ़ने में ग़लती कर दी थी और गूगली के लिए खेल गए थे। हालांकि उससे भी पहले उन्होंने लंबाई भांपने में भूल कर दी थी और फलस्वरूप उनके पैर सही दिशा में गए ही नहीं थे। दूसरे रिस्टस्पिनरों के विरुद्ध आप ऐसे में समायोजन कर सकते हैं लेकिन राशिद जिस गति से गेंद डालते हैं उनके ख़िलाफ़ ऐसा करना असंभव है।
राशिद ने इस स्पेल में दूसरी बार बटलर को बीट किया था। फिर अपने अगले ओवर में उन्होंने एक तेज़ गूगली से बाएं हाथ के देवदत्त पड़िक्कल को बीट किया। इस बार खब्बू बल्लेबाज़ के भी पैर क्रीज़ पर ही जमे रहे। मंगलवार को कुल 10 और गेंदबाज़ों ने 10.23 के दर से रन लुटाए और वहीं राशिद ने अपने पूरे ओवर 3.75 की इकॉनमी से डाले। चार ओवर में 15 रन और बल्ले के किनारे के साथ नियमित तौर पर छेड़खानी।
मैच के बाद गुजरात टाइटंस के कप्तान हार्दिक पंड्या ने कहा, "मैं जब उन्हें गेंद थमाता हूं तो बस आराम से उनका जादू देखता हूं।"
राशिद की गेंदबाज़ी में जादू ज़रूर है लेकिन और भी बहुत कुछ उनके हित में जाता है।
जब राशिद किसी मैच में अविश्वसनीय किफ़ायती गेंदबाज़ी करते हैं तो ऐसा लगता है कि बल्लेबाज़ों ने उन्हें अत्यधिक सम्मान दिया है। ऐसा कर के उन्होंने राशिद के रणनीति को सफल होने दिया है। हालांकि यह वह सम्मान है जिसे क्रिकेट में एक लंबे समय के आधार पर अर्जित किया जाता है।
मंगलवार के मुक़ाबले के पहले हिस्से में गेंद पिच पर रुक रही थी और गति में दोहरापन भी नज़र आ रहा था। ऐसे में अगर राशिद लंबाई में चूक नहीं करते तो वैसे भी उन्हें मारना मुश्किल था। राशिद निरंतर सटीक लेंथ पर गेंद को अच्छी गति से दोनों तरफ़ घुमा रहे थे और स्टंप्स को निशाना बनाते हुए बल्लेबाज़ों को हाथ खोलने का कोई मौक़ा नहीं दे रहे थे।
राशिद को डीप में फ़ील्डर की तरफ़ आसानी से एक रन देने में कोई परेशानी नहीं थी और ऐसे में अगर बल्लेबाज़ को बड़ा शॉट लगाना होता तो यह अपनी जोखिम पर ही कर सकते थे। अगर राजस्थान के बल्लेबाज़ों ने ऐसा नहीं किया तो इसकी वजह साफ़ थी। आप आर अश्विन के पारियों को अगर दिरकिनार करें तो वह केवल छह विशेषज्ञ बल्लेबाज़ों के साथ ही मैच में उतरे थे। बटलर क्रीज़ पर संघर्ष कर रहे थे और राशिद पर प्रहार करने से शायद उनके आउट होने के सिवाय और कोई परिणाम नहीं दिखता। यहां पर इस संयम का नतीजा था कि चार ओवर रहते क्रीज़ पर बटलर और शिमरॉन हेटमायर दोनों मौजूद थे।
हेटमायर जल्दी आउट हुए लेकिन बटलर ने शुरुआत में भाग्य का सहारा लिया और फिर धुआंधार बल्लेबाज़ी की। उन्होंने 16वें ओवर के अंत तक 38 गेंदों पर 39 बनाए थे लेकिन आख़िरी 18 गेंदों पर 50 रन ठोके।
राजस्थान ने 188 बनाए और उनके कप्तान संजू सैमसन के अनुसार पहली पारी में पिच के व्यवहार को देखते हुए यह एक अच्छा स्कोर था। दूसरी पारी में ओस का असर भी पड़ा लेकिन फिर भी गुजरात को जीतने के लिए आख़िरी ओवर में 16 रन चाहिए थे। अब यह सोचिए अगर राशिद का जादू ना चलता तो यह लक्ष्य और कितना बड़ा हो सकता था।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन ने किया है।