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चार मैच जिन्होंने इस आईपीएल की दशा-दिशा बदली

इन मैचों ने आईपीएल के प्लेऑफ़ में पहुंचने वाली टीमों का मार्ग तय किया

राशिद ने पुणे में चेन्नई के जबड़े से मैच छीना था  •  BCCI

राशिद ने पुणे में चेन्नई के जबड़े से मैच छीना था  •  BCCI

आईपीएल 2022 के प्लेऑफ़ का दौर आ चुका है। गुजरात टाइटंस, राजस्थान रॉयल्स, लखनऊ सुपर जायंट्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु प्लेऑफ़ में पहुंचने वाली चार टीमें हैं। चारों टीमें अलग-अलग तरीक़ों से टूर्नामेंट के इस दौर में पहुंची हैं। सबकी ताक़त अलग हैं और सबने अपनी कमज़ोरियों पर भी काम किया है। यहां हम ऐसे चार मैचों का ज़िक्र करेंगे, जिससे टूर्नामेंट का रुख़ बदला।
सीज़न की शुरुआत से पहले किसी ने भी गुजरात टाइटंस पर दांव नहीं लगाया था कि यह टीम शीर्ष चार में पहुंचेगी। बल्लेबाज़ी में कमी होने के बावजूद यह टीम शीर्ष पर रहते हुए प्लेऑफ़ में पहुंची है। मज़बूत गेंदबाज़ी क्रम, निचले मध्य क्रम में मैच जिताऊ खिलाड़ी और भाग्य का टीम के पक्ष में रहना, इस टीम की तीन सबसे बड़ी ख़ासियत है।
वैसे तो गुजरात को अपने रास्ते में कोई ख़ास बाधा नहीं मिली है फिर भी चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ पुणे में हुआ मैच काफ़ी रोमांचक था। चेन्नई ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पहले 14 ओवरों में सिर्फ़ दो विकेट खोकर 124 रन बना लिए थे। लेकिन अल्ज़ारी जोसेफ़, मोहम्मद शमी, यश दयाल और राशिद ख़ान ने अंतिम पांच ओवरों में सिर्फ़ 27 रन दिए और एक समय 190 के तरफ़ बढ़ रही चेन्नई को 170 पर ही रोक दिया।
इस मैच में चोट के कारण गुजरात के सबसे प्रमुख बल्लेबाज़ और कप्तान हार्दिक पंड्या खेल नहीं रहे थे, इसलिए यह 170 का स्कोर भी आसान नहीं होने जा रहा था। 13वें ओवर में गुजरात का स्कोर 87 रन पर पांच विकेट था। इसके बाद राशिद आए और डेविड मिलर के साथ मिलकर कमाल कर दिया। अंतिम तीन ओवरों में गुजरात को 48 रन की ज़रूरत थी। राशिद ने क्रिस जॉर्डन के ओवर में 6, 6, 4, 6 का हिट लगाकर मैच को गुजरात के पक्ष में मोड़ दिया। इस जीत ने दिखाया कि गुजरात को सिर्फ़ भाग्य के सहारे अंतिम ओवरों में जीत नहीं मिल रही बल्कि वे मैच के किसी भी मोड़ पर हार नहीं मानते हैं।
सीज़न की शुरुआत से ही पता था कि राजस्थान रॉयल्स के पास इस टूर्नामेंट के प्रमुख पांच बल्लेबाज़ और पांच विशेषज्ञ गेंदबाज़ हैं, लेकिन उनके पास ऐसे उपयोगी खिलाड़ियों की कमी थी जो ज़रूरत पड़ने पर अपनी विशेषज्ञता से इतर योगदान दे सकें। हालांकि सीज़न के चौथे मैच में लखनऊ सुपर जायंट्स के ख़िलाफ़ उन्होंने दिखाया कि वे पारंपरिक तरीक़े से इतर भी सोच सकते हैं।
पहले 10 ओवर में राजस्थान ने सिर्फ़ 67 रन बनाए थे और चार विकेट गिर गए थे। राजस्थान ने आर अश्विन को रियान पराग से पहले छह नंबर पर उतारा ताकि वह पराग का अंतिम ओवरों में प्रयोग कर सकें। यह इस बात का भी संकेत था कि अगर ज़रूरत पड़ती है तो वह अश्विन को पावरप्ले में भी भेज सकते हैं ताकि उनकी बल्लेबाज़ी क्षमताओं का सही समय पर संपूर्ण उपयोग किया जा सके। अश्विन ने अपनी इस भूमिका को बेहतरीन तरीक़े से निभाया और जब टीम को ज़रूरत पड़ी तो नए नियमों के मुताबिक़ ख़ुद को रिटायर आउट भी कर दिया।
सीज़न से पहले ही लखनऊ सुपर जायंट्स के उपयोगी ऑलराउंडर्स को उनका प्रमुख हथियार बताया जा रहा था। इस टीम में कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं, जो ज़रूरत पड़ने पर अपनी विशेषज्ञता से इतर अपना योगदान दे सकते हैं और टीम के संतुलन को भी लचीला बनाए रखते हैं। दिल्ली के ख़िलाफ़ जब टीम 195 रन के स्कोर का बचाव कर रही थी, तब कुछ ऐसा ही हुआ।
अंतिम चार ओवरों में दिल्ली को 50 रन की ज़रूरत थी और उनके प्रमुख गेंदबाज़ों के सिर्फ़ तीन ओवर ही बचे हुए थे। हालांकि उनके पास मार्कस स्टॉयनिस जैसा भी नाम था, जो ज़रूरत पड़ने पर मध्यम तेज़ गति की गेंदबाज़ी कर सकता था। स्टॉयनिस ने इस मैच का अंतिम महत्वपूर्ण ओवर फेंका और अंतिम चार गेंदों में 13 रनों का सफलतापूर्वक बचाव किया।
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु इस आईपीएल की सबसे ख़राब पावरप्ले टीम साबित हुई। उन्होंने गेंदबाज़ी के दौरान पावरप्ले में 8.05 की रनगति से रन दिए और बल्लेबाज़ी के दौरान सिर्फ़ 6.40 की रनगति से रन बनाए। जहां पावरप्ले उनकी कमज़ोरी थी, वहीं डेथ ओवर उनके लिए सबसे बड़ी मज़बूती साबित हुई और इस दौरान दिनेश कार्तिक उनके लिए सबसे बड़े हीरो साबित हुए।
दिल्ली के ख़िलाफ़ इस मैच में भी पावरप्ले में ख़राब शुरुआत करते हुए बेंगलुरु ने सिर्फ़ 40 रन बनाए और दोनों सलामी बल्लेबाज़ों को गवां दिया। विराट कोहली भी पावरप्ले के बाद दूसरी गेंद पर आउट हो गए। हालांकि इसके बाद ग्लेन मैक्सवेल (55 रन) और शाहबाज़ अहमद (32 रन) ने महत्वपूर्ण पारियां खेली। कार्तिक ने ताबूत में आख़िरी कील ठोकते हुए नाबाद 66 रन बनाकर अपनी टीम को 190 के विजयी स्कोर तक पहुंचा दिया।
डेविड वॉर्नर ने दिल्ली को बढ़िया शुरुआत दिलाई थी। इसके बाद हर्षल पटेल, वनिंदु हसरंगा और शाहबाज़ ने रन गति पर अंकुश लगाया और दबाव बनाया। इस दबाव ने वॉर्नर को कुछ अलग करने पर मजबूर किया और वह रिवर्स स्वीप लगाने के प्रयास में चलते बने। यहां से विकेटों की झड़ी लग गई और मैच दिल्ली के हाथ से फिसल गया।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं