विश्व कप साल की शुरुआत होने से पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम को मेज़बान भारत और गत विजेता इंग्लैंड के साथ सबसे फ़ेवरिट माना जा रहा था। इसका कारण था कि उनके पास एक संतुलित टीम थी, उनके कुछ प्रमुख बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ अच्छे फ़ॉर्म में थे और उनके पास ऑलराउंडर्स की एक अच्छी कतार थी। लेकिन विश्व कप के ठीक पहले उनके कुछ प्रमुख खिलाड़ियों को चोट लगी, कुछ खिलाड़ियों का फ़ॉर्म ख़राब हुआ और वे साउथ अफ़्रीका और भारत से वनडे सीरीज़ हार गए। अब विश्व कप में भी उनकी शुरुआत ख़राब हुई है। मेज़बान भारत के बाद वह साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ मुक़ाबला हारकर अंक तालिका के सबसे निचले हिस्से में हैं।
सोमवार को ऑस्ट्रेलिया को श्रीलंका से भिड़ना है, जो ख़ुद भी अपने शुरुआती दो मुक़ाबले हारकर आ रहे हैं। इसके अलावा उनके
कप्तान दसून शानका भी चोटिल होकर विश्व कप से बाहर हो चुके हैं। मैच से पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान
पैट कमिंस वापसी करने के लिए आशातीत नज़र आए। उन्होंने कहा कि ऐसा 2019 विश्व कप में भी हुआ था, जब उनकी टीम को साउथ अफ़्रीका और भारत से हार मिली थी, लेकिन तब भी उनकी टीम सेमीफ़ाइनल तक पहुंचने में क़ामयाब रही थी।
कमिंस ने कहा, "हमारी शुरुआत आदर्श नहीं हुई है, लेकिन ड्रेसिंग रूम का माहौल बहुत अच्छा है। हमारे सभी खिलाड़ी अपने खेल को सुधारने में लगे हैं और सभी इस माहौल को बदलना चाहते हैं। 2019 में भी हम भारत और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ ग्रुप मैच हारे थे और हालिया समय में इन्हीं दो टीमों ने हमें परेशान किया है। अब हमारा मैच उन टीमों से है, जिसके ख़िलाफ़ हम सफल रहे हैं। हम यहां जीतने आए हैं और उम्मीद है कि अगला मैच हमारे लिए अच्छा जाएगा।"
इस विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाज़ी अभी तक कुछ ख़ास नहीं रही है और भारत व साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ अभी तक वे 200 रन का आंकड़ा भी नहीं पार कर सके हैं। कमिंस का इस बाबत कहना है कि वे अभी तक भारतीय विकेटों को समझ नहीं पाए हैं।
उन्होंने कहा, "हमें यहां के पिचों को पढ़ने में थोड़ी सी कठिनाई हो रही है। कई बार ये बहुत ख़राब दिखती हैं, लेकिन जब आप उस पर खेलो तो ये बहुत ही अच्छी विकेट नज़र आने लगती हैं। कई बार इसका उल्टा भी हुआ है और ये एकदम फ़्लैट विकेट दिखती हैं, लेकिन अंत में ये स्पिन होने लगती हैं। भारत एक बड़ा देश है और सभी जगहों की परिस्थितियां बहुत अलग-अलग हैं। इसलिए विकेट के बारे में कुछ भी कहना जोखिम है।"
हालांकि कमिंस को विश्वास है कि उनकी टीम जल्द ही वापसी करेगी। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ मैच के अंतिम ओवरों में हमने अच्छी गेंदबाज़ी की, जो हमारे लिए सबसे सकारात्मक बात रही। स्टार्क, जॉश और मैंने अच्छी गेंदबाज़ी की। 35 ओवर तक उनके सिर्फ़ दो विकेट गिरे थे और हमें 350 से अधिक का लक्ष्य मिल सकता था। इसलिए उन्हें 300 तक ही रोकना बेहतरीन था। हम ऐसा ही प्रदर्शन हर मैच में करना चाहते हैं। ऐसा लग रहा है कि यहां पर कटर्स काम करेंगे। विकेट बड़ा है, इसलिए स्लोअर गेंद यहां पर महत्वपूर्ण हैं। यहां पर शाम को फ़्लड लाइट्स के भीतर गेंदबाज़ों को मदद मिलती दिख रही है। हालांकि यहां टॉस पर बहुत कुछ निर्भर नहीं है।"
ऑस्ट्रेलियाई टीम की इस बात पर भी आलोचना हो रही है कि उनके पास एक संतुलित एकादश नहीं है। भारत जैसी परिस्थितियों में टीम के पास सिर्फ़ एक प्रमुख स्पिनर है, जबकि टीम में इतने तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर हैं कि वे एकादश को तय करने में गच्चा खा जा रहे हैं। हालांकि कमिंस इसे टीम की कमज़ोरी नहीं बल्कि मज़बूती मानते हैं। उन्होंने कहा, "हमारे टीम में जितने भी ऑलराउंडर्स हैं उनका प्राथमिक काम बल्लेबाज़ी है। मैं भाग्यशाली हूं कि हमारे पास स्टॉयनिस, मार्श, मैक्सवेल जैसे बल्लेबाज़ हैं, जो हमें कुछ ओवर भी दे सकते हैं। हम इस मामले में अच्छे स्थिति में हैं कि हमारे ऑलराउंडर्स टॉप-7 में बल्लेबाज़ी भी कर सकते हैं और शीर्ष-4 में गेंदबाज़ी भी। हमने अभी अपनी एकादश तय नहीं की है और यह हम टॉस के समय ही तय करेंगे। हां, मैं इतना ज़रूर कह सकता हूं कि अधिक बदलाव नहीं होगा।"
अंत में उन्होंने कहा कि अभी बहुत ही कम समय बीता है जब ऑस्ट्रेलिया विश्व की नंबर एक टीम थी और यह टीम अपना सर्वश्रेष्ठ देने से बस थोड़ा ही पीछे है।