पाकिस्तान क्रिकेट टीम का जश्न अभी होना बाक़ी था क्योंकि मोहम्मद नवाज़ वहां मौजूद नहीं थे। जैसे ही विजयी बाउंड्री लगी पहले वह बाउंड्री पर प्रशंसकों के पास गए और उन्हें चिल्लाने और नारे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद जब पुरस्कार समारोह शुरू हुआ तो वह लोकल ग्राउंड स्टाफ़ और सिक्योरिटी में लगे सदस्यों के पास चले गए और उनके साथ तस्वीरें लेने की मांग को स्वीकार किया।
इसके बाद नवाज़ विराट कोहली की लंबी पत्रकार वार्ता के समाप्त होने के बाद पत्रकारों से मिले। अब तक जश्न पाकिस्तान के ड्रेसिंग रूम में अगले दरवाजे़ पर होना चाहिए था, लेकिन उनका हीरो आसपास नहीं था।
हसन अली बेसब्री से नवाज़ को जल्द जश्न में शामिल होने का इशारा कर रहे थे लेकिन नवाज़ का फ़ोकस कैमरों पर सवालों पर था। जब नवाज़ ने हसन को नज़रअंदाज़ किया तो हसन ने गेट खोला और जश्न में चिल्लाने की आवाज़ आने लगी लेकिन इससे भी नवाज़ को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। वह अपने ही ज़ोन में थे जैसे वह मैदान पर थे। नवाज़ एक ब्लॉकबस्टर हीरो नहीं है, लेकिन अपनी छवि के अनुरूप वह निचले मध्य क्रम में कुछ तेज़ रन बनाने और चार अच्छे ओवर निकालने की क्षमता रखते हैं। मैदान पर वह हमेशा जीवंत रहते हैं, गोली की रफ़्तार से विकेटकीपर को थ्रो, मैदान पर बेहतरीन क्षेेत्ररक्षण,एक ऐसा खिलाड़ी जो हमेशा अवसरों की तलाश में रहता है और मौक़ा मिलते ही योगदान देता है।
यह ऐसे खिलाड़ियों की निशानी है जिन्हें खु़द पर विश्वास होता है, वह फिर भी जानता है कि उसे दोगुनी मेहनत करनी है क्योंकि यह एक ऐसी भूमिका है जो इतनी आसानी से किसी और को दी जा सकती है, क्योंकि आपके द्वारा किए गए योगदान आपकी तरफ़ ध्यान केंद्रित करने के लिए काफ़ी नहीं है।
सौभाग्य से नवाज़ के लिए रविवार उन अच्छे दिनों में से एक था। उनके चार ओवर एकदम सही थे। यह लेग स्पिनर शादाब ख़ान के साथ सही तालमेल में था, क्योंकि इस जोड़ी ने आठ ओवरों में सिर्फ़ 56 रन दिए, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बीच के ओवरों में उनके तीन विकेट लेने से भारत की गति धीमी हो गई, जहां एक बार स्कोर 200 के पार जाता दिख रहा था। नवाज़ को सूर्यकुमार का विकेट मिला जो ज़बरदस्त फ़ॉर्म में चल रहे हैं।
नवाज़ का ऐक्शन सहज और लयबद्ध है। वह कोण का अच्छा इस्तेमाल करते हैं और अपनी आर्म बॉल का अच्छे से मिश्रण करते हैं। वह हवा में गेंद को अच्छे से लूप देते हैं, लेकिन रविवार को वह फ़्लैट गेंद कर रहे थे। जब बल्लेबाज़ उन पर चार्ज कर रहे थे तो उन्होंने अपनी लेंथ को भी छोटा किया।
लेकिन नवाज़ का काम अभी ख़त्म नहीं हुआ था। भारत के दो लेग स्पिनर गेंदबाज़ी कर रहे थे और पाकिस्तान ने नौवें ओवर में जब स्कोर 67 रन पर दो विकेट था तो नवाज़ को नंबर चार पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजा। उस समय 68 गेंद में 115 रन चाहिए थे। उनकी 20 गेंद में 42 रनों की पारी ने भारत की मैच पर से पकड़ कमजोर कर दी। जबकि दूसरी ओर क्षेत्ररक्षण के दौरान चोटिल हुए मोहम्मद रिज़वान दर्द के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे।
नवाज़ की बल्लेबाज़ी का राज़ उनके शॉट्स को पहले से तय न करना था। वह आगे नहीं आ रहे थे और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि ठीक एक सप्ताह पहले भारत की शॉर्ट-बॉल योजना पाकिस्तान को कैसे गिरा दी थी, वह केवल गेंद को देख प्रतिक्रिया दे रहे थे। इससे उन्हें मदद मिली कि युज़वेंद्र चहल और हार्दिक पंड्या अपनी लेंथ को मिस करते रहे।
रवि बिश्नोई की गूगली और स्लाइडर को खेलने में भी उन्होंने अलग रुख़ अपनाया। इससे उन्हें उन पर लेग साइड में लंबा छक्का लगाने में मदद मिली। जब वह आउट हुए तब तक पाकिस्तान को 27 गेंद में 46 रन चाहिए थे और उनके हाथ में सात विकेट थे।
नवाज़ ने कहा, "हम दायें और बायें हाथ का संयोजन बनाए रखना चाहते थे। अगर बायें हाथ का बल्लेबाज़ [फ़ख़र ज़मान] फेल होता है तो मुझे जाना था। मैं अपने दिमाग़ में यह साफ़ रखना चाहता था कि मैं क्या करना चाहता हूं। हमें 10 से ज़्यादा रन प्रति ओवर बनाने थे। एक युवा के तौर पर आप ऐसे मैच खेलना चाहते हो और दबाव में प्रदर्शन करना चाहते हो। यह अत्यधिक दबाव वाला मैच था और इस तरह की पारी खेलने से मुझे अधिक आत्मविश्वास मिला है जो मेरे करियर के उत्थान के लिए अच्छा है। मैं लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए मेहनत करता रहूंगा।"
वह टी20 प्रारूप में एक विशुद्ध ऑलराउंडर बनना चाहते हैं। उन्होंने छह साल पहले पदार्पण किया था, लेकिन वह रविवार को खेले मुक़ाबले सहित केवल 32 मैच ही खेल पाए हैं। उनके करियर के 25 प्रतिशत रन इस 42 रनों की अकेली पारी की वजह से हैं, लेकिन इस पारी के दौरान उनके दृष्टिकोण का एक तरीक़ा था, आक्रामकता जो अनियंत्रित नहीं थी और सबसे बढ़कर, किसी भी दबाव से दूर रहने वाला संयम था।
नवाज़ ने कहा, "मैं दबाव महसूस कर रहा था, लेकिन यह सकारात्मक दबाव था। यह नकारात्मक दबाव नहीं था। मैं जानता था कि मैं कर सकता हूं। मुझे बस अपनी बल्लेबाज़ी पर फ़ोकस करना था और अपने कौशल के साथ जाना था।"
रविवार के दिन उनका फ़ोकस और स्पष्ट कार्यान्वयन साफ़ था। अपने साथियों के साथ अंत में उनके जश्न में देर ज़रूर हुई, लेकिन अंधेर नहीं।