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फ़ीचर्स

सूर्यकुमार यादव बस सूर्यकुमार यादव बने रहना चाहते हैं

इस भारतीय बल्लेबाज़ ने दिखाया कि उनका खेल अब विकसित हो चुका है

सूर्यकुमार यादव इस बात को सुनकर हंसने लगे कि लोगों ने उन्हें पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ बेवन की तरह एक फ़िनिशर कहना शुरू कर दिया है।
मुस्कुराते हुए उन्होंने जवाब दिया, "सर, मैंने अभी पांच या सात मैच ही खेले हैं। मुझे सूर्यकुमार यादव ही रहने दीजिए। मेरा उद्देश्य यही रहेगा कि मैं जिस भी स्थान पर और जिस भी स्थिति में बल्लेबाज़ी करूं, मैं वहां से टीम को जीत की ओर लेकर जाऊं। लेकिन मैं हमेशा इसी तरह निडर रहना चाहता हूं।"
रविवार को एक ताबड़तोड़ शुरुआत के बाद मात्र 31 रनों के भीतर तीन विकेट गंवाने के बाद सूर्यकुमार बल्लेबाज़ी करने उतरे। टीम ने एक ही ओवर में अर्धशतकवीर रोहित शर्मा और विराट कोहली को खो दिया था। तीन ओवर बाद इशान किशन भी डीप स्क्वेयर लेग पर कैच थमा बैठे।
इन दो विकेटों के बीच सूर्यकुमार को अपनी आईपीएल टीम के साथी कायरन पोलार्ड की नोक-झोंक का सामना भी करना पड़ा। समझा जा रहा है कि पोलार्ड ने उन्हें वैसी फ़्लिक लगाने की चुनौती दी जैसी वह आईपीएल के दौरान लगाते हैं। सूर्यकुमार ने न केवल गेंद को फ़्लिक किया बल्कि बिना किसी दबाव के रन बटोरने की कला का परिचय भी दिया।
इसके बाद सूर्यकुमार ने हंसते हुए कहा, "हालांकि मुझे उन्हें कुछ भी कहने का मौक़ा नहीं मिला क्योंकि वह बहुत जल्दी में थे।"
जब वह पूरी लय में होते हैं, तो सभी की नज़रें सूर्यकुमार पर होती हैं। उनके पास मैदान के चारों तरफ़ शॉट खेलने की क़ाबिलियत है जो कई सालों की कड़ी मेहनत का फल है। साथ ही अब वह अपने युवा दिनों की तरह आत्म संदेह और गुस्से से भरे हुए क्रिकेटर नहीं है, जो हमेशा ख़ुद को साबित करने के लिए खेलता था।
वह नीचे झुककर छोटी गेंद को थर्ड मैन की दिशा में अपर-कट कर सकते हैं या कीपर के सिर के ऊपर से सीमा रेखा की ओर भेज सकते हैं। साथ ही उनके पास उसी गेंद को शॉर्ट फ़ाइन लेग के ऊपर से स्कूप करने की क्षमता भी हैं। या फिर वह अपनी पहली गेंद को हूक के सहारे दर्शकदीर्घा में भेज सकते हैं, जैसा कि उन्होंने जोफ़्रा आर्चर के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहली गेंद पर किया था।
2011 में पहली बार बड़े मंच पर आने के बाद से लंबे समय तक सूर्यकुमार घरेलू क्रिकेट अथवा आईपीएल में टीम की ज़रूरत के हिसाब से बल्लेबाज़ी क्रम में कहीं भी खेलते थे। अब उन्होंने अपने खेल को इस तरह विकसिक किया है कि वह जिस भी टीम में जाते हैं, उसके मध्य क्रम के एक मज़बूत स्तंभ बन जाते हैं।
उनके खेलने के अंदाज़ में अब बदलाव आ गया है। वह ज़रूरत पड़ने पर रचनात्मक होने की जिज्ञासा पर क़ाबू पा सकते हैं और स्थिति के हिसाब से रन बनाने में माहिर हो गए हैं। वह शुरुआत झटकों के बाद टीम को संभाल सकते हैं, मध्य क्रम में आक्रामक रुख़ अपना सकते हैं और फ़िनिशर की भूमिका भी निभा सकते हैं।
जहां भारत ने चार विकेट गंवा दिए थे, इन सभी ख़ूबियों का मिश्रण हमें देखने को मिला जब उन्होंने 34 रनों की नाबाद पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई। डेब्यू कर रहे दीपक हुड्डा के साथ बतौर अनुभवी बल्लेबाज़ उन्होंने अर्धशतकीय साझेदारी निभाई।
सूर्यकुमार ने कहा, "चीज़ें बहुत साफ़ थी। उन्होंने (हुड्डा) ने काफ़ी समय तक घरेलू क्रिकेट खेला हैं और वह स्थिति को अच्छी तरह से जानते थे। (अपनी साझेदारी के दौरान) हम बातचीत कर रहे थे और छोटे-छोटे लक्ष्य तय कर रहे थे। उनका आत्मविश्वास सराहनीय था।"
उनके संयम और परिस्थितियों को समझने की क्षमता उन्हें और संपूर्ण बना दिया है। इतना संपूर्ण कि अब सीमित ओवर क्रिकेट में एक नियमित सदस्य होने के साथ-साथ उन्हें टेस्ट टीम में बैक-अप बल्लेबाज़ के रूप में देखा जा रहा है।
यह 31 वर्षीय सूर्यकुमार के लिए यह परिवर्तन उल्लेखनीय रहा है। दो साल पहले उन्होंने सोचना शुरू कर दिया था कि शायद भारतीय टीम के लिए खेलने का मौक़ा उनके हाथ से फिसल जाएगा। इसके बाद उन्होंने घोषणा की थी, "मुझे लगता है कि इस साल मैं सभी दरवाज़ों पर दस्तक दूंगा।" और आईपीएल और हर उपलब्ध अवसर पर उन्होंने दस्तक ज़रूर दी है।
बल्लेबाज़ी में बदलाव करने के बाद अब सूर्यकुमार नेट्स में अपनी गेंदबाज़ी पर काम कर रहे हैं। भारतीय टीम की नज़र ऐसे बल्लेबाज़ों पर हैं जो टॉप 6 में बल्लेबाज़ी करने के साथ-साथ थोड़ी बहुत गेंदबाज़ी भी कर सकें। वह भले ही इस समय मैच में गेंदबाज़ी करने के आसपास भी नहीं हैं, सूर्यकुमार को लगता है कि यह उनके लिए योगदान देने का एक और मौक़ा है।
चेहरे पर मुस्कान के साथ उन्होंने बताया, "मैं नेट में गेंदबाज़ी कर रहा हूं। जब भी मौक़ा मिलेगा, मैं उसके लिए तैयार रहूंगा।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।