वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़
पहले मैच से पहले नए कप्तान
रोहित शर्मा ने
युज़वेंद्र चहल के बारे में एक महत्वपूर्ण बात की। उन्होंने कहा कि साउथ अफ़्रीका में चहल की गूगली नहीं दिखी, जिसके लिए वह जाने जाते हैं और जो उनकी सफलता का मुख्य हथियार है।
जब कायरन पोलार्ड क्रीज़ पर आए, उस समय विराट कोहली एक्स्ट्रा कवर से तेज़ी से दौड़कर चहल के पास आए और उनके कान में कुछ कहा। अब फ़ील्ड पर एक स्लिप, एक लेग स्लिप, शॉर्ट मिडविकेट, मिड ऑन और मिड ऑफ़ तैनात थे। क्या कोहली ने चहल को कोई प्लान बताया? शायद या पता नहीं क्योंकि अगली गेंद पर जो हुआ वह बिल्कुल भी अप्रत्याशित नहीं था।
चहल ने चौथे स्टंप पर एक गूगली डाली। पोलार्ड इसे हल्के हाथों से लेग साइड में धकेलना चाहते थे, हालांकि गेंद उनसे काफ़ी दूर थी। गेंद हल्की सी अंदर की ओर आई, बल्ले को बीट किया और स्टंप उखाड़ कर चली गई। यह चहल का वनडे में 101वां विकेट था। एक गेंद पहले ही उन्होंने निकोलस पूरन को एक फ़ुल गेंद पर पगबाधा आउट किया था, जो लेंथ को बिना परखे ही स्वीप करने जा रहे थे।
चहल ने मैच के बाद बीसीसीआई.टीवी से बात करते हुए कहा, "अगर मैं अपनी लेंथ को थोड़ा सा भी ऊपर या नीचे करता तो 80% चांस था कि पोलार्ड छक्के के लिए जाते। मुझे भी महसूस हुआ कि अगर मैं अपनी गेंदबाज़ी में और विविधता लाऊंगा, गूगली थोड़ा अधिक करूंगा, तो यह मेरे लिए और बेहतर होगा।"
पोलार्ड के आउट होने के बाद अगली गेंद फिर से गूगली थी। चूंकि यह हैट्रिक विकेट लेने वाली गेंद थी इसलिए एक शॉर्ट लेग भी तैनात थे। जेसन होल्डर ने बिना आत्मविश्वास के फ़ुल और ऑफ़ स्टंप की गेंद को ड्राइव करने की कोशिश की, अंदर आती हुई गेंद ने बल्ले का मोटा किनारा लिया और शॉर्ट लेग के थोड़ा सा पहले ही गिरी। चहल अब पूरे फ़ॉर्म में दिख रहे थे। वह क्रीज़ और एंगल का भी बेहतर प्रयोग कर रहे थे। ख़ासकर उनका गूगली बेहतरीन ढंग से पिच हो रहा था।
साउथ अफ़्रीका में 29 ओवर फेंकने के बाद चहल ने सिर्फ़ 22 गूगली डाले थे और सिर्फ़ एक विकेट हासिल किया था। वह 6.27 की इकॉनमी से वहां ख़ासा महंगे भी साबित हुए थे। तीन मैच में उन्हें वहां सिर्फ़ दो विकेट ही मिले।
लेग स्पिनर के लिए ग़लतियां करने की गुंजाइश कम से कम होती है। यह गुंजाइश तब और भी कम हो जाती है, जब ओस पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में अच्छी गेंदबाज़ी करने के लिए आपको आत्मविश्वास की ज़रूरत होती है।
जब चहल को
टी20 विश्व कप टीम में जगह नहीं मिली थी, तब ऐसा लग रहा था कि चयनकर्ता फ़्लाइटेड लेग स्पिन और गूगली गेंदबाज़ी पर से अपना भरोसा खो चुके हैं। उन्हें ऐसे स्पिन गेंदबाज़ों की ज़रूरत है, जो हवा में तेज़ी से गेंद को उछाल सके। कम से कम 'चाहर बनाम चहल' के बहस में यही निकल कर सामने आया था।
जब विश्व कप शुरु हुआ तो चाहर भी बेंच पर थे। जब भारत प्रतियोगिता से बाहर हो गई थी, तब उन्हें खेलने का मौक़ा मिला। उन्होंने चार ओवर में 30 रन दिए और उन्हें एक भी विकेट हासिल नहीं हुआ। इसके बाद वह स्क्वॉड से बाहर हो गए। वह इंडिया ए के साथ साउथ अफ़्रीका के दौरे पर गए और उन्हें वहां
चार दिवसीय मैच में 28.3 ओवर में 125 रन देकर सिर्फ़ एक विकेट मिला।
वहीं दूसरी तरफ़ चहल की न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सीरीज़ में वापसी हुई। आईपीएल 2021 के पहले चरण में चहल को सात मैचों में 8.26 की इकॉनमी से सिर्फ़ चार विकेट मिले थे। जब आईपीएल का दूसरा चरण शुरु हुआ तब उन्होंने फिर से फ़ॉर्म में वापसी करते हुए 6.13 की इकॉनमी से आठ मैचों में 14 विकेट लिए।
रोहित शुरु से कहते आ रहे हैं कि खिलाड़ियों को उनकी भूमिका स्पष्ट पता होना चाहिए और उन्हें एक लंबा मौक़ा भी मिलना चाहिए ताकि वह अपने आप को साबित कर सकें। शायद यही वजह है कि उन्होंने चहल के अनुभव को एक और मौक़ा देना बेहतर समझा। टीम में चहल के अलावा वॉशिंगटन सुंदर और कुलदीप यादव भी शामिल हैं। इसके अलावा लेग स्पिन विकल्प के रूप में उनके पास रवि बिश्नोई भी हैं, जो चहल की तुलना में 'तेज़' गेंदबाज़ी करते हैं।
लेकिन चहल ने 4/49 का 'प्लेयर ऑफ़ द मैच' प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया है कि वह दल के एक अहम सदस्य रहने जा रहे हैं। उन्होंने यह भी साबित किया कि धीमी गेंदबाज़ी करने वाले कलाइयों के स्पिनर अब भी काफ़ी महत्वपूर्ण हैं।
रोहित ने भी कुछ ऐसी ही बात की। उन्होंने मैच के बाद चहल से कहा, "आप हमारे लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हो। आप अपने हिसाब से खेलो, भले ही कभी सफलता मिले या ना मिले। सही माइंडसेट होना बहुत ज़रूरी है।"
एक खिलाड़ी के रूप में आप अपने कप्तान से शायद यही सुनना भी चाहते हैं!
(आंकड़े- संपत बंडारुपल्ली)
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब ए़डिटर हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के दया सागर ने किया है