लीजिए, भारतीय क्रिकेट टीम का कारवां आगे बढ़ता जा रहा है एक बबल से दूसरे बबल की ओर। जैसा कि इन दिनों हम सभी कोविड-19 महामारी के साथ लड़ रहे हैं, ठीक इसी तरह खिलाड़ी भी इससे अलग नहीं हैं। भारत कोविड की वजह से हुए फेरबदल को भी उम्मीद के साथ देख रहा होगा ताकि वनडे टीम का एक नया टेंपलेट सेट किया जा सके, क्योंकि 2023 विश्वकप में अब ज़्यादा दिन नहीं बचे हैं।
अगर सभी खिलाड़ी फ़िट होते तो ज़ाहिर है प्लेइंग-XI में सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका में रोहित शर्मा के साथ शिखर धवन ही नज़र आते। लेकिन अब सलामी बल्लेबाज़ी का बैकअप तलाशने का ये अच्छा मौक़ा भी कहा जा सकता है।
शिखर धवन कोविड संक्रमित होने की वजह से फ़िलहाल बाहर हैं तो रविवार को अहमदाबाद में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ होने वाले पहले वनडे में पारिवारिक कारण की वजह केएल राहुल भी नहीं खेलेंगे।
धवन की ही तरह ऋतुराज गायकवाड़ भी कोविड-19 की वजह से बाहर हैं, लिहाज़ा चयनकर्ताओं ने सलामी बल्लेबाज़ी के लिए मयंक अग्रवाल को भी दल में शामिल किया है। साथ ही साथ इशान किशन जो पहले वनडे दल का हिस्सा नहीं थे, उन्हें भी पहले वनडे के लिए भारतीय दल में बुला लिया गया है।
आपको लग सकता है कि ये भारत के लिए झटका है, लेकिन शायद ऐसा है नहीं। क्योंकि दूसरे खिलाड़ियों के लिए ये किसी मौक़े से कम नहीं। विराट कोहली, ऋषभ पंत और राहुल ने हाल के दिनों में मध्यक्रम में भारत के लिए काफ़ी रन बनाए हैं। लेकिन अगर आप शीर्ष क्रम पर नज़र डालें तो आप पाएंगे कि वहां बल्लेबाज़ी में सुराक्षत्मक रवैया अपनाया गया है, जहां बल्लेबाज़ों की नज़र नींव तैयार करने पर रहती है फिर चाहे भारत पहले बल्लेबाज़ी कर रहा हो या फिर रनों का पीछा कर रहा हो।
ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि पिछले कुछ समय से भारत के लिए रवींद्र जाडेजा और हार्दिक पंड्या बतौर फ़िनिशर अपनी भूमिका अच्छे से अदा कर रहे थे। लेकिन इस सीरीज़ में ये दोनों ही खिलाड़ी टीम का हिस्सा नहीं हैं, जाडेजा जहां घुटने की चोट से उबर रहे हैं तो पंड्या अभी तक गेंदबाज़ी के लिए पूरी तरह से फ़िट नहीं हैं। श्रेयस अय्यर भी कोविड की ही वजह से बाहर हैं, लिहाज़ा ये तय है कि कम से कम पहले मैच में भारतीय मध्यक्रम का संतुलन बिगड़ सकता है। सूर्यकुमार यादव के अलावा दीपक हुड्डा डेब्यू कर सकते हैं और शार्दुल ठाकुर फ़िनिशर या ऑलराउंडर की भूमिका में दिख सकते हैं। जो ज़ाहिर तौर पर बतौर सलामी बल्लेबाज़ रोहित के लिए बहुत आदर्श स्थिति नहीं होगी।
एक नज़र मयंक पर डालते हैं, जो जल्दी ही 31 वर्ष के हो जाएंगे। उन्होंने अब तक भारत के लिए पांच वनडे खेला है, इस दौरान उन्होंने 86 रन बनाए हैं जिसमें 32 उनका उच्चतम स्कोर रहा है। हालांकि मयंक भारत के साथ पिछले कुछ महीनों से लगातार अलग-अलग बायो-बबल का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने पांच टेस्ट खेला है (दो घर में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ और तीन साउथ अफ़्रीका में)। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में तो मयंक का स्ट्राइक रेट राहुल से भी तेज़ रहता है, यही कारण है कि पंजाब किंग्स ने उन्हें टीम में रिटेन किया है। मयंक के करियर की शुरुआत सफ़ेद गेंद से ही हुई थी लेकिन धीरे-धीरे वह लाल गेंद में विशेषज्ञ बन गए।
अब नंबर आता है इशान का, जो मयंक से आठ साल छोटे हैं और उनको पहली ही गेंद से बड़ी-बड़ी हिट मारने की ख्याति हासिल है। वह जोखिम उठाना पसंद करते हैं, कई बार तो उन्हें इसके लिए कोच से डांट भी सुननी पड़ी है तो कई बार इसके लिए उनकी पीठ भी थपथपाई गई है।
इशान ने जब पहली बार भारत के लिए वनडे खेला था तो इतिहास ही रच दिया था, डेब्यू पारी की पहली ही गेंद पर वह आगे निकलकर आए थे और छक्के के साथ खाता खोला था। इतना ही नहीं अगली ही गेंद पर उन्होंने एक्सट्रा कवर की दिशा से चौका बटोरा था। इस समय अगर हम स्टैट्स की बात न करें तो क्या इशान को छोटे फ़ॉर्मैट में खिलाते हुए एक अलग रवैया नहीं बनाया जा सकता।
क़रीब एक साल पहले अहमदाबाद में ही इशान ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टी20 अंतर्राष्ट्रीय में भी डेब्यू किया था, और पहली ही गेंद पर उन्होंने जोफ़्रा आर्चर को फ़्लिक करते हुए चौका बटोरा था। बेन स्टोक्स की गेंद पर उन्होंने लंबा छक्का जड़ा तो स्पिनर के ख़िलाफ़ तो ऐसा लगा था कि इशान ने हल्ला ही बोल दिया हो। इशान की आक्रामक बल्लेबाज़ी से दूसरे छोर पर खड़े बल्लेबाज़ के ऊपर से भी दबाव कम हो जाता है।
आईपीएल में तो इशान ऐसा सालों से करते आ रहे हैं, अलग-अलग क्रम पर बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने रन बनाए हैं। उनके खेलने की शैली धवन या रोहित से बिल्कुल अलग और सिंपल है, वह एक रॉकेट लॉन्चर की तरह हैं, बस जाना है और दनादन गेंदबाज़ों पर टूट पड़ना है। हालांकि ऐसा करने से उन्हें कितनी क़ामयाबी मिलेगी ये कहना मुश्किल है लेकिन उनका ये रवैया टीम के काम आ सकता है।
भारत के लिए शीर्ष क्रम में धीमा खेलना या सधी हई शुरुआत दिलाना 2019 विश्वकप में भी इंग्लैंड के ख़िलाफ़ महंगा पड़ गया था। जहां भारतीय टीम 338 रन का पीछा करते हुए पहले दस ओवर में सिर्फ़ 28 रन ही बना पाई थी, इस दौरान बल्लेबाज़ों ने कुल 42 डॉट गेंदें खेली थीं। लिहाज़ा अगर ऐसा बल्लेबाज़ टीम में रहे जो विश्व स्तरीय गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ पहली ही गेंद से टूट पड़े, इससे टीम एक अलग अंदाज़ में खेल सकेगी। हालांकि टीम मैनेजमेंट की क्या सोच है और वह इशान किशन को कैसे देखते हैं, ये नहीं कहा जा सकता। प्रमुख कोच राहुल द्रविड़ भी इशान को क़रीब से जानते हैं, ठीक वैसे ही जैसे वह पंत या वॉशिंगटन सुंदर की क़ाबिलियत को समझते हैं। क्या वह अब इशान पर एक जुआ खेलेंगे ?
एक सवाल ये भी रहेगा कि जब राहुल टीम में वापस आएंगे तो फिर वह कैसे प्लेइंग-XI को रखेंगे, हालांकि एक बात ये भी है कि राहुल ने हाल के दिनों में नंबर-5 पर काफ़ी शानदार बल्लेबाज़ी की है। लिहाज़ा एक मौक़ा ज़रूर रहेगा कि इशान बतौर सलामी बल्लेबाज़ एक अलग पहचान बना सकें, ख़ास तौर से विश्वकप को ध्यान में रखते हुए।