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वापसी पर वॉशिंगटन ने दिखाया कि वह बहुत कुछ कर सकते हैं

वह इलेवन को अधिक संतुलन भी देते हैं, क्योंकि साउथ अफ़्रीका में बल्लेबाज़ी की गहराई में कमी दिखी थी

2017 में, जब राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स के कोचिंग स्टाफ़ के सदस्य ऋषिकेश कानितकर ने आर अश्विन के प्रतिस्थापन के रूप में वॉशिंगटन सुंदर की सिफ़ारिश की, तो यह माना गया कि एक बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर एक प्रमुख स्पिनर की जगह ले रहा है। उस समय तक, वॉशिंगटन आयु-वर्ग क्रिकेट में शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ थे और उन्होंने अंडर-19 विश्व कप में भी भारत के लिए ऐसा किया था। उस समय तमिलनाडु को भी कोचिंग देने वाले कानितकर ने ​वॉशिंगटन की गेंदबाज़ी में कुछ ऐसा देखा था जो उन्हें लगता था कि वह टी20 क्रिकेट में महत्वपूर्ण बन सकते हैं।
जबकि वॉशिंगटन एक ऐसे गेंदबाज़ थे जो विकेट लेने की बजाय अपनी गेंदबाज़ी से मैच को कसने के लिए जाने जाते थे। उस वर्ष तमिलनाडु ने विजय हजारे ट्रॉफ़ी जीती थी, वॉशिंगटन सिर्फ़ चार विकेट ही ले सके, लेकिन छह मैचों में 3.27 की उनकी इकॉनमी ने उनकी प्रभावशीलता दर्शाई। इन गुणों ने उन्हें अपने पहले आईपीएल सीज़न में साबित कर दिया, जहां वह टूर्नामेंट के बीच में उभरे और पुणे के फ़ाइनल में पहुंचने में उनका अहम योगदान रहा। 11 पारियों में उन्होंने आठ विकेट लिए, लेकिन बड़े पैमाने पर पावरप्ले में गेंदबाज़ी करते हुए उनकी इकॉनमी मात्र 6.16 की रही।
लेकिन यह अतीत की बाते हैं। अब, वॉशिंगटन का खेल एक परिवर्तन के बीच में है, जहां वह ज़बरदस्त जागरूकता के साथ-साथ परिस्थितियों को बेहतर ढंग से पढ़ने की क्षमता रखते हैं। सपाट और तेज़ गेंदबाजी करने वाले एक ऑफ़ स्पिनर होने के नाते उन्होंने अधिकतर पावरप्ले में नई गेंद से काफ़ी हद तक रन रोकने का प्रयास किया। लेकिन अब वह ख़ुद को हर परिस्थिति में तैयार रखने पर काम कर रहे हैं।
टी20 में उनके अंदर का रन रोकने वाला गेंदबाज़ उनकी जगह लेता है। वह विकेट-टू-विकेट गेंदबाज़ी करते हैं, स्टंप्स पर अधिक आक्रमण करते हैं और स्कोरिंग पर रोक लगाने की कोशिश में रहते हैं। लंबे प्रारूपों में वह बहुत सारी तरक़ीबों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। वह अपनी गति बदलते हैं, गेंद को बहुत धीमा करते हैं, कभी-कभी बल्लेबाज़ों को फ़्लाइट से भी ललचाते हैं, जैसे कि उन्होंने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ रविवार को पहले वनडे के दौरान किया, जहां वह लगभग एक साल बाद भारत की एकादश में वापसी कर रहे थे।
संयोग से, रविवार से पहले उनका पिछला अंतरराष्ट्रीय मैच पिछले साल मार्च में अहमदाबाद में ही था। फिर, एक ओस भरी शाम को, जहां गेंद हर बार आउटफ़ील्ड में जाने पर साबुन की टिकिया में बदल जाती थी, उन्होंने वहां पर 13 रन देकर केवल एक ओवर फ़ेंका। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ उंगली की चोट ने उन्हें चार महीनों के लिए टीम से बाहर कर दिया, जिसका मतलब था कि वह अक्टूबर-नवंबर में टी20 विश्व कप के लिए चुने जाने के लिए पर्याप्त फ़िट नहीं है। जब वह अंत में खेलने के लिए तैयार हुए, तो उनको कोरोना हो गया, जिससे वह साउथ अफ़्रीका में वनडे टीम से बाहर हो गए।
उनकी अनुपस्थिति से टीम का संतुलन भी प्रभावित हुआ। अश्विन ने उनके टीम में नहीं रहते चार साल बाद वनडे क्रिकेट में वापसी की। हालांकि उन्होंने बहुत बुरा नहीं किया, लेकिन वह सबसे प्रभावी भी नहीं थे। भारत तीन मैचों में दो में हार गया, जहां निचले क्रम की बल्लेबाज़ी क्षमता का टेस्ट लिया गया। यहीं पर वॉशिंगटन की अहमियत और भी बढ़ गई थी, क्योंकि वह एक पैकेज के रूप में आते हैं, जहां पर आपको एक साफ़ सुथरा स्पिनर और निचले मध्य क्रम का संपूर्ण बल्लेबाज़ मिलता है। रविवार को रोहित शर्मा ने ओस की उम्मीद के चलते लक्ष्य का पीछा करने का फ़ैसला किया। इससे स्पिनरों को अपने आप को साबित करने का शानदार मौक़ा मिला।
आठवें ओवर में वॉशिंगटन को आक्रमण में लाया गया और मैच में आने के लिए उन्हें केवल एक गेंद लगी। डैरन ब्रावो को तीखी स्पिन का सामना करना पड़ा, जो बल्ले के चेहरे से घूमते हुए बाहर की ओर निकली। वॉशिंगटन ने तुरंत बल्लेबाज़ों को सोचने पर मजबूर कर दिया। दो गेंदों के बाद उसी ओवर में उन्होंने ब्रावो को एक ललचाने वाली धीमी गेंद पर दोबारा बीट किया जो बल्ले के सामने से तेज़ी से घूमती हुई बाहर की ओर निकली। फिर वह क्रीज़ के कोने का उपयोग करने लगे। इस बार वह क्रीज़ के बिल्कुल कोने पर गए और मिडिल और ऑफ़ पर गेंद की और ब्रावो दोबारा फंस गए।
जब तक वॉशिंगटन अपना दूसरा ओवर करने के लिए आए, तब तक ब्रावो पहले से ही भटक चुके थे। फ़्लाइट का संकते मिलते ही उन्होंने कवर की ओर एक रन निकाला। ब्रावो अधिक अनुमानित ना हो जाएं इसीलिए वॉशिंगटन दोबारा से लेंथ गेंदों पर चले गए। पिछले दो ओवरों में उन्होंने जितने भी सवाल पूछे थे, उनका इनाम उनके तीसरे ओवर में मिला।
उन्होंने ब्रैंडन किंग को मैच में केवल एक ही गेंद की और उस पर विकेट निकाल लिया। वह टर्न और उछाल भरी गेंद को मिडविकेट पर खेलने गए और वहां पर लपके गए। फिर तीखे टर्न से ब्रावो को 10 लाखवीं बार हराकर उन्होंने उनको पगबाधा कर दिया। जहां किंग एक लेंथ गेंद पर आउट हुए तो वहीं ब्रावो अंदरूनी किनारे से चूके और गेंद सीधा पैड पर जाकर लगी। लंबे विचार-विमर्श के बाद, भारत ने रिव्यू लिया और रीप्ले में पता चला कि गेंद स्टंप्स पर जाकर लगती। तीन ओवर में उन्होंने फ़ॉर्म में चल रहे दो बल्लेबाज़ों को आउट किया और वेस्टइंडीज़ को मुश्किल में डाला।
यह इन शुरुआती विकेटों का परिणाम था जिसने युज़वेंद्र चहल को दूसरे छोर पर अपना काम करने दिया। पूरी दोपहर वॉशिंगटन ने अपनी गति को अच्छी तरह से बदलना जारी रखा, तब भी जब वह अच्छी लेंथ या उसके आसपास गेंद करते रहे। उनकी 54 में से 51 गेंदें इसी स्थान पर थी। अपने पहले स्पेल में उन्हें जो विकेट मिले, वे गति से अधिक लंबाई में इन सूक्ष्म परिवर्तनों के कारण आए। एक ऐसी सतह पर स्पिन प्राप्त करना अलग बात है, लेकिन अपनी ख़ूबियों का इस्तेमाल करना एक अलग बात है। जिसे वॉशिंगटन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी पर 30 रन देकर तीन विकेट लेकर दिखाया। उनके जुड़ने से भारत की एकादश में बेहतर संतुलन आ गया है।
भारत शीर्ष छह में एक बल्लेबाज़ के लिए तरस रहा है जो गेंदबाज़ी कर सके। वॉशिंगटन किसी भी तरह से बल्ले से तैयार उत्पाद नहीं है, लेकिन वह सिर्फ़ 22 साल के हैं और उन्होंने आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त क्षमता दिखाई है। यदि वह गेंद के साथ समान प्रभावशीलता बनाए रखते हुए ऐसा करना जारी रख सकते हैं, तो संभावनाएं बहुत हैं।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।