कुलदीप यादव और युज़वेंद्र
चहल को "वापस एक साथ" लाने की रणनीति नए कप्तान
रोहित शर्मा के दिमाग की उपज है और उन्हें उनके प्रदर्शन के आधार पर तुरंत नहीं आंका जाएगा। नए वनडे कप्तान के रूप में अपनी पहली पूर्ण सीरीज़ खेलने जा रहे रोहित, कुलदीप की स्थिति को सावधानी से संभालने के प्रति भी सचेत हैं क्योंकि उन्होंने पिछले अक्टूबर में घुटने की सर्जरी के बाद प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में वापसी की है।
कुलदीप को ठीक होने में क़रीब चार महीने का समय लगा है। उनका रिहैबिलिटेशन नवंबर-दिसंबर में भारत के सफ़ेद गेंद की घरेलू टूर्नामेंट के साथ हुआ। इसका मतलब है कि हाल ही में बमुश्किल ही किसी भी प्रकार का क्रिकेट खेलने वाले कुलदीप वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ में वापसी करेंगे। और तो और भारतीय टीम रविवार को मैदान पर उतरने तक सिर्फ़ दो प्रशिक्षण सत्र में हिस्सा ले पाएगी।
कुलदीप इस दौरान एकमात्र बार जनवरी में मैदान पर उतरे, जब वह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मेरठ में आयोजित एक प्रदर्शनी मैच का हिस्सा थे। इस मैच में राज्य के कई रणजी ट्रॉफ़ी खिलाड़ी शामिल थे। चोट के कारण आईपीएल 2021 से पूरी तरह बाहर रहने के बाद वापसी कर रहे कुलदीप एक मायने में वापसी की दिशा में हल्के क़दम लेंगे।
अप्रैल में आईपीएल के पहले चरण में केकेआर ने कुलदीप को टीम से बाहर ही रखा था क्योंकि उन्होंने वरुण चक्रवर्ती की मिस्ट्री को प्राथमिकता दी थी और बाद में संयुक्त अरब अमीरात में घुटने की चोट सामने आने के बाद कुलदीप को दूसरे चरण से हटना पड़ा। इन दोनों के बीच वह श्रीलंका में सीमित ओवरों की सीरीज़ खेलने वाली भारत की दूसरे दर्जे की टीम का हिस्सा थे।
इस जोड़ी को शायद फिर से ख़ुद को खोजने का मौक़ा देने का एक कारण उनकी पिछली सफलता है। 2017 की चैंपियंस ट्रॉफ़ी के बाद और 2019 विश्व कप की समाप्ति की अवधि के बीच कुलदीप (21.74 की औसत से 87 विकेट) और चहल (25.68 की औसत से 66 विकेट) सभी वनडे क्रिकेट में
शीर्ष दो विकेट लेने वाले खिलाड़ी थे।
रविवार को अहमदाबाद में होने जा रहे पहले मैच से पहले रोहित ने कहा, "वे आगे जाकर महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। ये दोनों अतीत में हमारे लिए शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं, उन्होंने निश्चित रूप से उन वर्षों में एक प्रभाव पैदा किया जब भी वे एक साथ खेले। बीच में टीम संयोजन के कारण उन्हें बाहर किया गया। उस समय हम एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ और एक अतिरिक्त तेज़ गेंदबाज़ लाना चाहते थे। शायद यही कारण है कि दोनों में से एक को बाहर रखना पड़ा। लेकिन यह निश्चित रूप से मेरे दिमाग में है कि उन्हें एक साथ वापस लाया जाए।"
रोहित ने कुलदीप को बार-बार "अपनी लय में आने" और "अपनी लय खोजने" पर ज़ोर दिया है, और साथ ही कहा है कि टीम, कुलदीप को अपना आत्मविश्वास वापस पाने का हर मौक़ा देगी भले ही उसने अपना समय लिया हो। रोहित ने कहा, "वह आईपीएल के बाद से नहीं खेला है, उस दौरान वह चोटिल हो गया था और तब से बाहर था। कुलदीप ने उसके बाद ज़्यादा मैच नहीं खेले हैं, इसलिए हम उसे धीरे-धीरे वापस लाना चाहते हैं। हम चीज़ों में जल्दबाज़ी नहीं करना चाहते। यह टीम या उसके लिए अच्छा नहीं होगा। आपको उसे अपनी लय में आने के लिए, अपने आत्मविश्वास को वापस पाने के लिए कुछ समय देना होगा और इसमें थोड़ा समय लगने वाला है।"
रोहित ने आगे कहा "हम सीधे कुलदीप को ऐसी स्थिति में नहीं डालना चाहते जहां हम उससे बहुत अधिक पूछ रहे हों। मुझे लगता है कि हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम उस स्थिति को सावधानी से संभालें। हमारे लिए ये दोनों खिलाड़ी बहुत महत्वपूर्ण हैं।"
चहल का एक और अजीब मामला है। पिछले चार वर्षों में सफ़ेद गेंद से एक प्रमुख खिलाड़ी होने के बाद भी उन्होंने अचानक ख़ुद को चौराहे पर पाया है क्योंकि टीम प्रबंधन उनसे परे देख रहा है। सबसे पहले टीम प्रबंधन राहुल चाहर के पास गया। अब दूसरे विकल्प की तलाश ने उन्हें युवा रवि बिश्नोई तक पहुंचा दिया है। चहल का अंदाज़ जहां पुराना है- वह फ़्लाइट और ड्रिफ़्ट पर निर्भर हैं - वहीं बिश्नोई का बोलिंग एक्शन काफ़ी तेज़ है, वह हवा में तेज़ हैं और उन्हें अधिक उछाल मिलता है।
रोहित ने यह तो नहीं बताया कि कौन खेलने जा रहा है और कौन नहीं, लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि सभी खिलाड़ियों को उनकी भूमिका स्पष्ट की जाएगी और उन्हें पर्याप्त मौक़े भी दिए जाएंगे।