मैच (5)
IPL (2)
Women's One-Day Cup (1)
BAN vs ZIM (1)
PSL (1)
फ़ीचर्स

रांची में भारतीय टीम को ढूंढने होंगे कुछ मुश्किल सवाल के जवाब

बुमराह की अनुपस्थिति में भारतीय टीम के संयोजन में हो सकते हैं अहम बदलाव

Yashasvi Jaiswal, Rohit Sharma and Shubman Gill get their game faces on, Ranchi, February 21, 2024

अभ्यास के दौरान यशस्वी, रोहित और गिल  •  Getty Images

जसप्रीत बुमराह ने 13.64 की औसत से इस सीरीज़ में 17 विकेट लिए हैं। इस सीरीज़ में वह प्रति ओवर केवल 2.87 की इकॉनमी से रन देते हुए, भारतीय टीम के सबसे किफ़ायती गेंदबाज़ रहे हैं। इसमें कोई आशंका नहीं है कि वह इस सीरीज़ के सबसे प्रभावशाली खिलाडियों में से एक हैं। भारत अगर इस सीरीज़ में 2-1 से आगे है तो इसमें बुमराह का प्रदर्शन काफ़ी अहम रहा है। हालांकि रांची टेस्ट में बुमराह को आराम दिया गया है। इससे एक बात तो तय है कि इस टेस्ट में भारत को चयन के मामले में कई कठिन सवालों का जवाब देना होगा। क्या भारतीय टीम बुमराह के बदले टीम में किसी तेज़ गेंदबाज़ को शामिल करेगी या फिर वह स्पिनर के साथ जाना चाहेगी।
इसके अलावा भी कुछ ऐसे सवाल हैं, जो भारतीय टीम के लिए चिंता का सबब बन सकती है। आइए उन पर नज़र डालते हैं।
पिच कैसा खेलेगी?
बुधवार को पिच के बारे में बात करते हुए इंग्लैंड के उप कप्तान ओली पोप ने कहा था कि इसमें ढेर सारी दरारे हैं। इसके अलावा अगर पिच के एक हिस्से को देखा जाए तो इसमें कोई दरार नहीं थी लेकिन दूसरे हिस्से में कई दरारें थीं।
हालांकि रांची में इससे पहले जो भी टेस्ट हुए हैं, उन पिचों को देख कर भी जो अनुमान लगाए गए थे, उसके परिणाम बिल्कुल अलग साबित हुए थे। 2016-17 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जो मैच खेली गई थी, उसमें पिच दिखने में पूरी तरह से काली दिख रही थी। हालांकि जब मैच शुरु हुआ तो पिच काफ़ी धीमी और फ़्लैट थी। यह उस पूरी सीरीज़ की सबसे फ़्लैट पिच साबित हुई थी और ऑस्ट्रेलिया ने आख़िरी दिन उस टेस्ट को बचा लिया था।
2019-20 में साउथ अफ़्रीका की टीम भारत आई थी तो उस दौरान यहां दूसरा टेस्ट खेला गया था। उस टेस्ट की पहली पारी में काफ़ी ज़्यादा रन बने थे। भारत ने पहली पारी में 497 रन बना कर अपनी पारी घोषित कर दी थी और जवाब में साउथ अफ़्रीका की टीम ने पहली पारी में 162 और दूसरी पारी में सिर्फ़ 133 रन बनाए थे। उस मैच में मोहम्मद शमी और उमेश यादव ने 10 विकेट लिए थे।
हालांकि इस मैच की पिच को देख कर लगता है कि यहां स्पिनरों का बोलबाला रहेगा। इस सीरीज़ के पहले तीन टेस्ट मैच में पिच लगभग सपाट थी और स्पिनरों के लिए हल्की-फुल्की मदद थी। ऐसा हो सकता है कि बुमराह की अनुपस्थिति में भारतीय टीम ने इस तरह के पिच की मांग की होगी।
क्या भारत को अतरिक्त स्पिनर के साथ मैदान पर उतरना चाहिए?
इंग्लैंड की टीम का झुकाव, इस तरफ़ है कि वह अपनी प्लेइंग XI में पहले दो टेस्ट मैचों की तरह ही रखें और सिर्फ़ एक तेज़ गेंदबाज़ के साथ मैदान पर उतरें। शायद भारतीय टीम भी इस तरह की सोच कै साथ मैदान पर उतरे। अगर ऐसा होता है तो अक्षर पटेल को बुमराह की जगह पर भारतीय टीम में शामिल किया जा सकता है। जिस पिच पर गेंद पहले या दूसरे दिन से ही काफ़ी ज़्यादा टर्न करने लगे, वहां पर अक्षर पटेल की तेज़ गति के साथ की जाने वाली स्पिन भारतीय टीम के काफ़ी काम आ सकती है। साथ ही उनके आने से भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी क्रम भी लंबी हो जाएगी।
हालांकि एक स्पिन करने वाली पिच पर भी चार स्पिनर के साथ खेलना, उतना सही फ़ैसला नहीं हो सकता है। अगर किसी पिच पर तेज़ गेंदबाज़ों के लिए ज़्यादा मदद है तो वहां चार गेंदबाज़ों को प्लेइंग XI का हिस्सा बनाया जाना लगभग सही फ़ैसला है। इसका एक कारण यह है कि चार तेज़ गेंदबाज़ों के होने से गेंदबाज़ों को आराम मिल जाता है और वह छोटे-छोटे स्पेल में पूरी ताक़त के साथ गेंदबाज़ी करते हैं। हालांकि स्पिनरों के साथ ऐसा नही है, क्योंकि वे लंबे स्पेल डालने में सक्षम होते हैं।
अगर चार स्पिनर नहीं होंगे तो क्या भारत दो तेज़ गेंदबाज़ों के साथ जाएगा?
यह देखते हुए कि भारत के पास तीन विश्व स्तरीय स्पिनर हैं, ऐसा लगता है कि भारत हर स्थिति से निपटने के लिए दो तेज़ गेंदबाज़ों के फ़ॉर्मूले पर क़ायम रहेगा। रिवर्स स्विंग ने अब तक इस सीरीज़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही बुमराह और मोहम्मद सिराज दोनों ने दिखाया है कि वे पुरानी गेंद से कितने आक्रामक हो सकते हैं। नई गेंद में थोड़ी स्विंग की भी संभावना है। पहले तीन टेस्ट मैचों की तुलना में रांची में तापमान सबसे कम होगा। ऐसी उम्मीद है कि यहां अधिकतम तापमान केवल 25-26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। रविवार और सोमवार को बादल छाए रहेंगे और बारिश की भी थोड़ी संभावना है।
अगर ऐसा होता है तो तेज़ गेंदबाज़ी में सिराज का साझेदार कौन बनेगा। भारत की टीम के पास मुकेश कुमार और आकाशदीप का विकल्प है। मुकेश के पास तीन टेस्ट मैचों का अनुभव है और आकाशदीप ने अभी तक टेस्ट डेब्यू नहीं किया है।
मुकेश को उनकी सटीकता और सीधी सीम के साथ अच्छी गेंदबाज़ी करने के लिए जाना जाता है। इससे वह पिच पर मौजूद मदद को निकालने में सफल होते हैं। हालांकि उनकी गति थोड़ी कम है। आकाश तेज़ गेंदबाज़ी करते है। अभ्यास के दौरान वह गेंद को सीम कराने में भी सफल हो रहे थे।
मुकेश राजकोट में भारतीय टीम का हिस्सा थे, लेकिन उन्हें उसके बाद रिलीज़ कर दिया गया था ताकि वह बिहार के ख़िलाफ़ रणजी ट्रॉफ़ी मैच में बंगाल के लिए खेल सकें। उन्होंने उस मैच में दस विकेट लिए थे, लेकिन कोलकाता की जिस पिच पर गेंदबाज़ी की थी, उस पार घास थी और रांची की पिच उससे बिल्कुल अलग है।
वहीं आकाशदीप को राजकोट टेस्ट से पहले भारतीय टीम में चयनित किया गया था। उन्होंने इंडिया ए के लिए खेलते हुए, इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ 11 विकेट लिए थे। बुधवार को नेट्स में आकाश और मुकेश ने काफ़ी देर तक गेंदबाज़ी की। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भारत फिर से मुकेश को टीम में शामिल कर सकता है। हालांकि अगर उन्हें आकाश की अतिरिक्त गति चाहिए तो बात अलग हो सकती है।
क्या भारत दो तेज़ गेंदबाज़ और चार स्पिनरों का चयन कर सकता है?
अगर भारतीय टीम अक्षर या वॉशिंगटन सुंदर को बैटिंग ऑलराउंडर के तौर पर टीम में शामिल करती है तो चार स्पिनर और दो तेज़ गेंदबाज़ों का संयोजन बन सकता है। अगर ऐसा होता है तो रजत पाटीदारी को बाहर बैठना होगा। राजकोट में नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करते हुए, उन्होंने चार और शून्य का स्कोर बनाया था।
अक्षर और वॉशिंगटन दोनों ही शीर्ष छह में जगह बनाने में सक्षम हैं, लेकिन यह संभावना नहीं है कि भारत किसी विशेषज्ञ बल्लेबाज़ के आगे उन्हें टीम में रखेगा, क्योंकि उनके पास पहले से ही तीन स्पिनर हैं। पाटीदार ने भले ही राजकोट में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था लेकिन सिर्फ़ दो पारियों के स्कोर के आधार पर किसी भी बल्लेबाज़ का आकलन करना कठिन है। ख़ासकर जब वह दोनों पारियों में असामान्य तरीके से आउट हुआ हो। भारत को यह भी याद होगा कि विशाखापटनम में अपनी पहली टेस्ट पारी में उन्होंने 32 रन बनाए थे और बल्लेबाज़ी के दौरान वह काफ़ी आश्वस्त दिख रहे थे।
सामान्य तौर पर भारत एक ख़राब टेस्ट मैच के कारण खिलाड़ियों को बाहर नहीं करता है। साथ ही यदि खिलाड़ी सक्षम हैं तो उन्हें टीम में शामिल कर लिया जाता है। के एल राहुल के अनुपलब्ध होने से पाटीदार की जगह पर तत्काल कोई ख़तरा नज़र नहीं आ रहा है।