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कराची में लेग स्पिनर मिचेल स्वेप्सन को ऑस्ट्रेलिया दे सकता है मौक़ा

2009 के बाद से ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में किसी विशेषज्ञ लेग स्पिनर ने पदार्पण नहीं किया है

Mitchell Swepson gets in some middle practice, Australia vs England, Men's Ashes, 4th Test, 5th day, Sydney, January 9, 2022

अभ्यास करते हुए स्वेप्सन  •  Getty Images

अगर एक बार के लिए मान लिया जाए कि रावलपिंडी टेस्ट में शेन वार्न ऑस्ट्रेलिया टीम में होते और अपने सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में रहते, तब भी ऑस्ट्रेलियाई टीम उस टेस्ट में 20 विकेट लेने में क़ामयाब नहीं हो पाती। यह एक ऐसा टेस्ट पिच था, जिस पर पांच दिनों में 14 विकेट गिरे।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया दूसरे टेस्ट में अपनी टीम में स्पेशलिस्ट लेग स्पिनर मिचेल स्वेप्सन के साथ मैदान पर उतरने की योजना बना रही है। अगर ऐसा हुआ तो ऑस्ट्रेलियाई टीम साल 2009 के बाद टेस्ट क्रिकेट में पहली बार किसी लेग स्पिनर को अपनी टीम में पदार्पण करने का अवसर देगा। ऐसे भी स्वेप्सन काफ़ी दिनो से अपने पहले टेस्ट का इंतेजार कर रहे हैं।
कप्तान पैट कमिंस ने रावलपिंडी टेस्ट के बाद कहा, "मुझे लगता है कि हम स्वेप्सन को टीम में शामिल करने के मन बनाने से पहले अपनी योजनाओं पर नज़र डालेंगे। निश्चित रूप से टीम में एक कलाई का स्पिनर होना सौभाग्य है। वह नेट्स में ख़ूबसूरती से गेंदबाज़ी कर रहे हैं। हम कराची जाएंगे और देखेंगे की टीम में दो स्पिनर की जगह बनती है या नहीं। अगर ऐसा होता है तो यह स्वेप्सन के लिए बड़ा मौक़ा होगा।"
पाकिस्तान में ऑस्ट्रेलिया ने अपना आख़िरी टेस्ट रावलपिंडी में साल 1998 में जीता था। उस मैच में ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण में एक ऑफ़स्पिनर और एक लेगस्पिनर शामिल था। उस मैच में लेगस्पिनर स्टुअर्ट मैकगिल ने मैच के लिए नौ विकेट लिए थे और कॉलिन मिलर ने तीन। हालांकि एक बात यह भी थी कि अपना पहला मैच खेल रहे मिलर ने सीम और ऑफ़स्पिन, दोनों गेंदबाजी की।
ऑस्ट्रेलिया रावलपिंडी में तीन तेज़ गेंदबाज़ों के साथ उतरा था और हाल में खेले गए मैचों में जिस तरीक़े के परिणाम आए थे, उससे भी यही पता चलता है कि इस पिच पर तेज़ गेंदबाज़ों को मदद मिल सकती है।
हालांकि कमिंस ने यह भी कहा कि रावलपिंडी के पिच को इस तरीक़े से बनाया गया था कि उनके तेज़ गेंदबाज़ों को कोई मदद ना मिले। इसी कारणवश देखा गया कि गेंद और बल्ले के बीच कोई ख़ास संघर्ष नहीं हुआ।
पाकिस्तान की टीम में दो स्पिनर और एक स्पिनिंग ऑलराउंडर को शामिल किया गया था। हालांकि ऑस्ट्रेलिया कप्तान ने यह कहा कि उन्हें इस बात पर कोई खेद नहीं है कि उन्होंने टीम में लेग स्पिनर को शामिल नहीं किया।
कमिंस ने कहा, "मुझे लगता है कि यह यहां एक लेग स्पिनर को टीम में शामिल करना मददगार हो सकता था, लेकिन इससे बहुत अधिक फ़र्क़ नहीं पड़ता। इस पिच पर हम शायद दोहरा उछाल और रिवर्स स्विंग की उम्मीद कर रहे थे, जो स्पिनरों की तुलना में तेज़ गेंदबाज़ों के लिए ज़्यादा उपयुक्त होता है। हमारी जानकारी के अनुसार कराची और लाहौर में शायद हम एक और स्पिनर के साथ मैदान पर उतर सकते हैं।"
जब वॉर्न की मौत हुई तो पहला टेस्ट चल रहा था। उस वक़्त यह वैश्विक क्रिकेट के लिए सबसे बड़ी ख़बर थी। हालांकि इस घटना ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को यह याद दिलाने का काम किया है कि 2007 में टेस्ट टीम से संन्यास लेने के बाद ऑस्ट्रेलियाई लेग स्पिन आक्रमण में कितना बड़ा गैप आया है।
इस भविष्यवाणी के बावजूद कि 16 साल के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वॉर्न की प्रतिभा उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए ऑस्ट्रेलियाई लेगस्पिनरों की एक पीढ़ी को जन्म देगी, ऐसा नहीं हुआ है। अगर स्वेप्सन कराची में खेलते हैं, तो 2009 में ब्राइडस मकगेन के बाद वह ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले पहले विशेषज्ञ लेगस्पिनर होंगे।
28 वर्षीय स्वेप्सन ने 51 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और 33.45 के औसत से 154 विकेट लिए हैं, जिसमें चार बार उन्होंने अपना पंजा भी खोला है। उनमें से तीन शेफ़ील्ड शील्ड प्रतियोगिता के दौरान लगातार तीन पारियों में अक्टूबर-नवंबर 2020 में 13-दिन की अवधि में आए। उस दौरान उन्होंने तीन मैचों में 23 विकेट लिए थे

ऐलेक्स मैल्कम ESPNcricinfo असोशिएट ए़डिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।