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युवा खिलाड़ियों को पूरे मौक़े देने के पक्ष में बाबर

"कुछ भी एक दिन या एक हफ़्ते में बदल नहीं सकता और ऐसे में मैं नए लड़कों को थोड़ा वक़्त देने के हित में हूं"

"आपको टेस्ट क्रिकेट में अनुभव की ज़रूरत पड़ती है और हमारे सारे अनुभवी खिलाड़ी या तो चोटिल थे या फ़ॉर्म में नहीं थे"  •  Getty Images

"आपको टेस्ट क्रिकेट में अनुभव की ज़रूरत पड़ती है और हमारे सारे अनुभवी खिलाड़ी या तो चोटिल थे या फ़ॉर्म में नहीं थे"  •  Getty Images

मंगलवार को पाकिस्तान ने घर पर चौथा लगातार टेस्ट मैच हारा और साथ ही इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सीरीज़ में उन्हें 3-0 की क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा। दोनों चीज़ें पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार हुई हैं और कप्तान बाबर आज़म ने इसका कारण अपने टीम की अनुभवहीनता को ठहराया।
बाबर ने कहा, "इस सीरीज़ में हमारे कई खिलाड़ी डेब्यू पर थे। आपको टेस्ट क्रिकेट में अनुभव की ज़रूरत पड़ती है और हमारे सारे अनुभवी खिलाड़ी या तो चोटिल थे या फ़ॉर्म में नहीं थे। हमारी टीम काफ़ी अनुभवहीन थी और केवल अज़हर अली एकमात्र अनुभवी खिलाड़ी थे। ऐसे में आपको समय देना होता है। कुछ भी एक दिन या एक हफ़्ते में बदल नहीं सकता और ऐसे में मैं नए लड़कों को थोड़ा वक़्त देने के हित में हूं। सऊद [शकील], आग़ा [सलमान], अबरार [अहमद] और वसीम जूनियर अभी आए हैं, फ़हीम [अशरफ़] टीम से अंदर बाहर होते रहे हैं और शान [मसूद] वापसी कर रहे हैं। यह नई टीम है और इन्हें सुधार लाने का मौक़ा तभी मिलेगा जब आप उन्हें लगातार खिलाएंगे।"
कुछ खिलाड़ियों को मिले चोटों के चलते पाकिस्तान ने तीन मैचों के सीरीज़ में छह खिलाड़ियों को पहली बार टेस्ट खिलाया। इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच अनुभव के फ़ासले को इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि सीरीज़ शुरू होने से पहले पाकिस्तान दल के खिलाड़ियों ने कुल 254 टेस्ट खेले थे जबकि इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने 531 टेस्ट खेल रखे थे। जेम्स एंडरसन और जो रूट ने अकेले पूरे पाकिस्तान के ख़ेमे से अधिक टेस्ट मैच खेले थे।
बाबर ने कहा, "यह एक चुनौतीपूर्ण सीरीज़ रहा है। जब आपकी टीम में अनुभवहीन खिलाड़ी होते हैं तब विपक्ष आप पर अधिक दबाव बना लेता है। इस सब की आदत डालने में थोड़ा वक़्त लगता है। हमें अपने तेज़ गेंदबाज़ों का प्रबंधन बेहतर करना होगा क्योंकि इसके आगे और भी कड़े सीरीज़ हैं और विश्व कप भी है।"
ऐसा नहीं है कि पूरे सीरीज़ में पाकिस्तान ने कभी ख़ुद को अच्छे स्थिति में नहीं पाया। पहले दोनों टेस्ट मैचों में पाकिस्तान ऐसी स्थिति में था जब पांच विकेट रहते चौथी पारी का लक्ष्य 85 रन तक का था। लेकिन ऐसे में इंग्लैंड ने निचले क्रम की कमज़ोरी का पूरा फ़ायदा उठाया। यह कलैप्स करने की आदत हालिया समय में पाकिस्तान को कई बार भारी पड़ी है। इसी सीरीज़ में उन्होंने रावलपिंडी और मुल्तान में अपने आख़िरी पांच विकेट क्रमशः नौ और 38 रन बनाकर गंवाए। कराची में दूसरी पारी में आख़िरी सात विकेट केवल 52 रन जोड़ पाए।
बाबर ने कहा, "बतौर कप्तान यह काफ़ी निराशाजनक था कि हमने ख़ुद को ठीक से अप्लाई नहीं किया। इंग्लैंड के शैली की भी प्रशंसा होनी चाहिए। जब चीज़ें हमारी हाथ में थीं तब हम मैच को जीतने में नाक़ामयाब रहे। हमारी गेंदबाज़ी की कमज़ोरी की वजह से हम बल्लेबाज़ों पर निर्भर थे लेकिन हमारी बल्लेबाज़ी मैच जिताने में असफल रही।"
तीन प्रमुख गेंदबाज़ों को चोट लगने के कारण पाकिस्तान की गेंदबाज़ी पूरी सीरीज़ में कमज़ोर दिखी। शाहीन शाह अफ़रीदी पहले से ही चोटिल होकर बाहर थे, तो वहीं नसीम शाह और हारिस रउफ़ केवल पहला टेस्ट मैच ही खेल पाए। ऐसा समझा गया है कि टीम प्रबंधन हसन अली और मोहम्मद अब्बास के पांच दिवसीय क्रिकेट के लिए यथोचित फ़िटनेस के बारे में पूरी तरह सहमत नहीं थे और इसीलिए दोनों को ना खिलाकर युवा गेंदबाज़ों को डेब्यू करवाया गया।
बाबर बोले, "नए गेंदबाज़ों के लिए यह सीरीज़ कठिन था क्योंकि इंग्लैंड के बल्लेबाज़ हमें सेटल करने का अवसर ही नहीं दे रहे थे। आपको 20 विकेट निकालने वाले गेंदबाज़ों की दरकार होती है। फ़िटनेस का महत्व बढ़ जाता है अगर आपको तीनों टेस्ट खेलने होते हैं। आजकल मैच के बीच में आपको कम समय मिलता है। आपकी मानसिक तैयारी भी अहम बन जाती है। इस सीरीज़ में बहुत कुछ बड़ी जल्दी हो गया।"
इस सीरीज़ में बाबर की कप्तानी, ख़ासकर उनके गेंदबाज़ी के संसाधनों के प्रबंधन, काफ़ी आलोचनाओं के घेरे में रही। हालांकि इसका उनके बल्लेबाज़ी पर कोई असर नहीं पड़ा और 348 रनों के साथ वह अपनी टीम के सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। पाकिस्तान के लिए 58 का उनका औसत और 68.91 का उनका स्ट्राइक रेट भी अपनी टीम के लिए सर्वाधिक रहा। छह पारियों में एक सैकड़े के साथ उन्होंने तीन अर्धशतक भी बनाए, लेकिन इस सीरीज़ ने फिर से टीम का हर प्रारूप में अपने कप्तान पर अति निर्भरता को उजागर किया।
बाबर ने कहा, "मुझे दबाव पसंद है और इससे मेरे बल्लेबाज़ी पर कोई असर नहीं पड़ता। पाकिस्तान की कप्तानी करना गर्व की बात है। टीम हारी है और सबसे प्रमुख ज़िम्मेदारी मुझ पर ही पड़ती है। अगर आप अच्छा खेलेंगे लेकिन हारेंगे तो आपकी आलोचना होगी ही। ऐसे हार से दर्द ज़रूर होता है। एक या दो मैच में हमारे पास नियंत्रण था लेकिन हम जीत नहीं सके। पेशेवर खेल में आपको ऐसी चीज़ों को झेलना पड़ता है। इंग्लैंड ने अलग शैली की क्रिकेट खेला और हम पर हावी रहे। अब हमें यह देखना है हमने क्या ग़लतियां की और उनसे हम क्या कुछ सीख सकते हैं।"

दन्याल रसूल ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन ने किया है।