आर अश्विन लगभग निश्चिंत थे कि भारत
19 नवंबर को विश्व कप जीतेगा। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान
पैट कमिंस की "बेहतरीन रणनीति और उसे लागू करने की प्रतिभा" ने भारत को ख़िताब से दूर कर दिया। अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर फ़ाइनल मैच के बारे में काफ़ी गंभीरता से बात करते हुए, कई बातें स्पष्ट की है।
अश्विन ने कहा, "पैट कमिंस विश्व कप से पहले एक वनडे गेंदबाज़ के रूप में संघर्ष कर रहे थे, लेकिन फ़ाइनल से पहले पिछले चार या पांच मैचों में उन्होंने जो गेंदें फ़ेंकी उनमें से लगभग 50% कटर गेंदें थीं।"
उन्होंने आगे कहा "मुझे नहीं पता कि इस तथ्य के बारे में टीवी पर कितने लोगों ने बात की। लेग साइड में चार-पांच फ़ील्डर लगा कर कमिंस एक ऑफ़ स्पिनर की तरह गेंदबाजी कर रहे थे। साथ ही उनकी ज़्यादातर गेंदें स्टंप की लाइन में थी। अगर छह मीटर के दायरे की बात थी तो वहां उन्होंने अपने 10 ओवर के स्पेल में सिर्फ़ तीन गेंदें उसके ऊपर फ़ेंकी। उन्होंने ऑन साइड पर पांच क्षेत्ररक्षक रखे थे - स्क्वेयर लेग, मिडविकेट, मिड ऑन, डीप स्क्वायर लेग और लांग ऑन। इसके अलावा उन्होंने अपने पूरे दस ओवर बिना मिड ऑफ़ के फेंके।"
मिड ऑफ़ के बिना गेंदबाज़ी करते हुए कमिंस ने अपने 10 ओवर में एक भी चौका नहीं दिया और पूरे स्पेल में सिर्फ़ 34 रन देकर दो विकेट लिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि यह दोनों विकेट श्रेयस अय्यर और विराट कोहली की थी। जिस लेंथ गेंद पर श्रेयस अय्यर आउट हुए, उस गेंद पर उछाल अपेक्षाकृत काफ़ी कम थी। वहीं कोहली एक बैक ऑफ़ लेंथ गेंद को डीप थर्डमैन की दिशा में खेलने के प्रयास में प्लेडाउन हो गए। इन दोनों विकेटों का प्रभाव ऐसा था कि भारत सिर्फ़ 240 रनों का ही लक्ष्य दे सका।
अश्विन ने कहा, "कमिंस के प्रदर्शन की सराहना की जानी चाहिए। लेग साइड फ़ील्ड पर गेंदबाज़ी करने की योजना बनाना आसान है। टेस्ट मैच में उस तरह से गेंदबाज़ी करना आसान है क्योंकि अगर आप लेग स्टंप के बाहर भी कुछ गेंदें फेंकते हैं तो भी अंपायर वाइड कॉल नहीं करेंगे।
"लेकिन वनडे मैच में लेग स्टंप पर गेंदबाज़ी करने के बावजूद वाइड नहीं देना, बल्लेबाज़ों को ड्राइव करने का मौक़ा नहीं देना और अपने सभी योजनाओं को क्रियान्वित करना शानदार है। मैंने देखा है कि गेंदबाज़ ऐसे क्षेत्र में गेंदबाज़ी करने पर कम से कम एक या दो चौके ख़ाते हैं।
"यह पहली बार था जब मैंने वनडे मैच में किसी तेज़ गेंदबाज़ को बिना मिड ऑफ़ के ऑफ़़ स्पिनर की तरह गेंदबाज़ी करते देखा। शानदार रणनीति और उसे लागू करने की प्रतिभा ने ही हमें उस मैच में पीछे लाकर खड़ा किया था। "
ऑस्ट्रेलिया ने पहले गेंदबाज़ी क्यों चुनी?
अश्विन को कमिंस के फै़सले के पीछे का सटीक कारण तब समझ में आया जब वह ऑस्ट्रेलिया के मुख्य चयनकर्ता जॉर्ज बेली से मिले।
अश्विन ने कहा, "मैं इनिंग्स ब्रेक में पिच को देख रहा था तब बेली पिच के पास आए। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने पहले गेंदबाज़ी करने का फै़सला क्यों किया जबकि ऑस्ट्रेलिया आम तौर पर फ़ाइनल में पहले बल्लेबाज़ी करता है। बेली ने कहा, 'हमने कई वर्षों तक आईपीएल खेला है, द्विपक्षीय श्रृंखलाओं के लिए यहां का दौरा किया है। भारत में हमारे अनुभव के अनुसार, काली मिट्टी फ्लड लाइट्स के नीचे बल्लेबाज़ी करने के लिए बेहतर हो जाती है।
साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ लखनऊ में पिच लाल मिट्टी वाली थी। फ्लड लाइट में गेंद न केवल सीम करती थी बल्कि स्पिन भी करती थी। यहां तक कि ओस का भी लाल मिट्टी पर ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है जबकि काली मिट्टी पर गेंद दोपहर में टर्न होती है लेकिन और बाद में यह पाटा बन जाती है। यही हमारा अनुभव है।'"
'द्विपक्षीय सीरीज़ और आईपीएल में आईसीसी इवेंट की तरह ही कूकाबुरा गेंदों की ज़रूरत'
अश्विन ने आईसीसी आयोजनों में इस्तेमाल की जाने वाली गेंदों की तुलना में द्विपक्षीय श्रृंखला और आईपीएल के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सफे़द कूकाबुरा गेंद की गुणवत्ता पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और आईपीएल में इस्तेमाल होने वाले उपकरण आसानी से अपना आकार खो देते हैं और आईसीसी आयोजनों के विपरीत नमी भी सोख लेते हैं।
"मैंने आईसीसी आयोजनों में देखा है कि चाहे स्पिनर इसे घुमाए या चाहे तेज़ गेंदबाज गेंद करे, गेंद सीम पर गिरती है और अच्छा चलती है। जबकि द्विपक्षीय श्रृंखला या आईपीएल में गेंद [आकार खो देती है और] एक गोल बर्तन की तरह बन जाती है।"