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क्रिकेट को अलविदा कहने से पहले बंगाल को रणजी ट्रॉफ़ी का ख़िताब दिलाना चाहते हैं मनोज तिवारी

उत्तर प्रदेश के ख़िलाफ़ मिली जीत में मनोज ने अपने बल्लेबाज़ी से अहम योगदान दिया

Manoj Tiwary tries to get his field right, Bengal vs Uttar Pradesh, Ranji Trophy 2022-23, Kolkata, 1st day, December 13, 2022

अभिमन्यु ईश्वरन की गैरमौजूदगी में मनोज इस सीज़न बंगाल की टीम की कप्तानी कर रहे हैं  •  CAB

रणजी ट्रॉफ़ी 2022-23 के पहले मुक़ाबले में उत्तर प्रदेश के ख़िलाफ़ छह विकेटों से मिली जीत के बाद बंगाल कप्तान मनोज तिवारी ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि यह उनका आख़िरी रणजी सीज़न हो और जाते-जाते वह बंगाल को एक रणजी ख़िताब देकर जाना चाहते हैं।
कोलकाता के ईडन गार्डंस में खेले गए इस मुक़ाबले में बंगाल को अपनी दूसरी पारी में मैच का सर्वाधिक टोटल 256 बनाने की आवश्यकता थी, जिसे उन्होंने सात विकेट शेष रहते बना लिया। पहली पारी में दोनों टीमों ने 200 से कम का स्कोर बनाया था। इसके बाद ऐसा प्रतीत हुआ था कि चौथी पारी में बंगाल के लिए 200 से ज़्यादा का स्कोर बनाने कहीं से भी आसान नहीं होने वाला है। हालांकि बंगाल के दो अनुभवी बल्लेबाज़, मनोज और अनुस्तुप मजुमदार के बीच हुई 97 रनों की साझेदारी ने उत्तर प्रदेश के पाले से मैच को दूर कर दिया।
इस मैच के बाद मीडिया से बात करते हुए मनोज ने कहा कि उनका लक्ष्य इस रणजी ट्रॉफ़ी को जीतना है और इसी मानसिकता के साथ वह आगे आने वाले मैचों में खेलना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने अपनी टीम के कमियों के बारे में भी चर्चा करते हुए कहा, "हमें एक चैंपियन की तरह ही खेलना होगा। आज हमें जीत मिल गई है, इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि हमने बहुत बढ़िया खेल दिखाया है। जैसे कि हमारी गेंदबाज़ी को भी अगर सेशन दर सेशन देखा जाए तो हमने काफ़ी ज़्यादा ख़राब गेंदें डाली है। इसके अलावा हमारे ओपनिंग जोड़ी को भी रन बनाना होगा। अगर हमें रणजी ट्रॉफ़ी जीतना है तो उसी स्तर का क्रिकेट खेलने की आवश्यकता है।"
हम ऐसे स्तर पर खेल रहे हैं, जहां पुराने समय को भूल कर हर मिनट, हर सेकेंड में हमें यह बताना होता है कि, 'मैं इशान पोरेल क्यों हूं, या मैं मनोज तिवारी क्यों हूं' और यही मानसिकता उन्हें चैंपियन बनने में मदद करेगी।
मनोज तिवारी
रणजी ट्रॉफ़ी के इतिहास में बंगाल की टीम ने दो बार इस ख़िताब को अपने नाम किया है। हालांकि ऐसा पिछली बार 1989-90 में हुआ था जब फ़ाइनल में सौरव गांगली ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट का डेब्यू मैच खेला था। इसके बाद बंगाल की टीम चार बार रणजी ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल ज़रूर पहुंची लेकिन ट्रॉफ़ी जीतने में सफल नहीं हो पाई। मनोज के टीम में रहते हुए बंगाल की टीम तीन बार उपविजेता रही है।
2006-07 के फ़ाइनल में उनकी टीम जीत के काफ़ी क़रीब थी लेकिन ज़हीर ख़ान और अजीत आगरकर जैसे गेंदबाज़ों ने मुंबई की टीम को एक बेहतरीन वापसी कराते हुए, ट्रॉफ़ी को अपने झोली में डाल दिया था।
मनोज का मानना है कि क्रिकेट में रणजी ट्रॉफ़ी को जीतना उनके सबसे बड़े सपनों में से एक है और वह इस बार के रणजी ट्रॉफ़ी में उस सपने को पूरा करना चाहते हैं। बांग्लादेश में भारतीय टेस्ट टीम से जुड़े अभिमन्यु ईश्वरन की अनुपस्थिति में उन्हे बंगाल की टीम की कमान भी सौंपी गई है।
उन्होंने कहा, "मैं बस आराम से अपनी टीम की कप्तानी कर रहा हूं। जब मैंने कप्तानी छोड़ा था तो मुझे कहा गया था कि मैं सीमित ओवर के क्रिकेट में कप्तानी करूं लेकिन तब मैंने कहा था कि अगर वह किसी युवा क्रिकेटर को कप्तान के तौर पर ग्रूम करना चाहते हैं तो उनको पूरा मौक़ा देना बेहतर है। हालांकि अभी वह नहीं हैं तो मुझे यह भार लेना पड़ेगा क्योंकि निर्णयन इस खेल का अहम हिस्सा है।"
वहीं उत्तर प्रदेश के ख़िलाफ़ जीत में सात विकेट लेकर प्लेयर ऑफ़ द मैच रहे तेज़ गेंदबाज़ इशान पोरेल के बारे में उन्होंने कहा, "पोरेल की वापसी काफ़ी ख़ास रही है। विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में वह मौजूद नहीं थे। हालांकि उन्होंने अपनी क़ाबिलियत को साबित कर के दिखाया है। हमने उनसे बात की है। हम ऐसे स्तर पर खेल रहे हैं, जहां पुराने समय को भूल कर हर मिनट, हर सेकेंड में हमें यह बताना होता है कि, 'मैं इशान पोरेल क्यों हूं, या मैं मनोज तिवारी क्यों हूं' और यही मानसिकता उन्हें चैंपियन बनने में मदद करेगी।"

राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं