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क्या रहा IPL 2024 में MI के निराशाजनक प्रदर्शन का कारण?

एक ख़राब सीज़न में MI के लिए सकारात्मक पहलू क्या हैं?

Hardik Pandya and Jasprit Bumrah look like people whose team isn't doing too well, Lucknow Super Giants vs Mumbai Indians, IPL 2024, Lucknow, April 30, 2024

हार्दिक की वापसी भूलने योग्य रही  •  AFP/Getty Images

IPL 2024 में प्रवेश करने से पहले मुंबई इंडियंस (MI) के पास सभी संसाधन उपलब्ध थे। उनके पास भारतीय टीम का कप्तान (रोहित शर्मा) था, टी20 का नंबर एक बल्लेबाज़ (सूर्यकुमार यादव) था। उनके पास मौजूदा समय में दुनिया के सबसे सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाज़ों में से एक गेंदबाज़ (जसप्रीत बुमराह) भी था। और तो और पिछले साल नीलामी से पहले उन्होंने भारत के प्राइम तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर (हार्दिक पंड्या) को भी अपने दल में शामिल कर लिया था।
इस सीज़न की शुरुआत से पहले MI की बेंच को देखते हुए हर किसी ने यह संभावना जताई होगी कि यह टीम कम से कम प्लेऑफ़ तो खेलेगी ही लेकिन इस सीज़न इस टीम के साथ एकदम उलट हुआ। यह टीम प्लेऑफ़ की दौड़ से सबसे पहले बाहर होने वाली टीम बन गई।

हार्दिक की भूलने योग्य वापसी

MI के लिए 2015 से 2021 तक खेलने के दौरान हार्दिक पंड्या ख़ुद को एक तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर के तौर पर स्थापित किया था। गुजरात टाइटंस (GT) के लिए उन्होंने दोनों सीज़न में बेहतरीन कप्तानी करते हुए बल्ले और गेंद के साथ भी कमाल दिखाया था। हालांकि अहमदाबाद में इस सीज़न खेले गए पहले मैच में ही उन्हें बेवजह प्रशंसकों की नाराज़गी का सामना करना पड़ा। यह सिलसिला हैदराबाद में भी जारी रहा और यहां तक कि होम वेन्यू पर भी MI के प्रशंसकों ने हार्दिक को निशाना बनाया।
हालांकि ख़ुद बल्ले और गेंद के साथ भी हार्दिक का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। उन्होंने इस सीज़न नंबर चार से लेकर नंबर सात तक बल्लेबाज़ी की लेकिन अधिकतर मौक़ों पर वह बिना सेट हुए ही आउट हो गए। उन्होंने इस टूर्नामेंट में अब तक 11 विकेट ज़रूर लिए लेकिन इसके साथ ही उन्होंने 11 की इकोनॉमी से रन भी लुटाए।
क्या चोट से वापसी करते हुए IPL खेलने आए हार्दिक ख़ुद को बतौर गेंदबाज़ साबित करना चाहते थे? यह सवाल उठना इसलिए भी लाज़मी है क्योंकि इस सीज़न उन्होंने पांच बार अपने कोटे के पूरे ओवर किए जबकि पिछले दो सीज़न में ऐसा सिर्फ़ छह बार ही हुआ था जब हार्दिक ने एक मैच में चार ओवर डाले थे। उन्होंने कई बार जसप्रीत बुमराह की जगह ख़ुद नई गेंद के साथ गेंदबाज़ी भी की। इस सीज़न पावरप्ले में चौथे सबसे महंगे गेंदबाज़ भी रहे।
इस सीज़न हार्दिक की कप्तानी भी सवालों के घेरे में रही। सनराइज़र्स हैदराबाद (SRH) के ख़िलाफ़ रिकॉर्ड ब्रेकिंग मैच में बुमराह को आक्रमण में देर से लाना हो, GT के ख़िलाफ़ 26 गेंदों पर 40 रनों की दरकार होने की स्थिति में ख़ुद से पहले टिम डेविड को भेजना हो या चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के ख़िलाफ़ ख़ुद अंतिम ओवर करना हो। गेंदबाज़ों का विकेट लेने के बाद बुमराह या रोहित शर्मा की तरफ़ दौड़ना हो या फ़ील्ड पोज़िशन के लिए रोहित और बुमराह से पूछना हो, यह सब ऐसी तस्वीरें थी जिनसे बाहर अच्छा संदेश नहीं गया।

रोहित का उतार चढ़ाव भरा सीज़न

रोहित को कप्तानी से मुक्त किए जाने के पीछे मार्क बाउचर ने यह कारण दिया था कि इससे बतौर बल्लेबाज़ रोहित के ऊपर दबाव कम होगा। पिछले साल एकदिवसीय विश्व कप के दौरान रोहित ने लगातार भारतीय टीम को जिस तरह की शुरुआत दिलाई थी उसे देखते हुए बाउचर द्वारा दिया गया यह कारण तर्कसंगत भी प्रतीत हो रहा था।
रोहित ने पहले दो मैचों में MI को आक्रामक शुरुआत दिलाई भी और पहले छह मैचों के दौरान MI का पावरप्ले में रन रेट भी 10.66 का था जो कि दूसरा सर्वश्रेष्ठ था। रोहित आक्रामक क्रिकेट खेल रहे थे। हैदराबाद में पहली 12 गेंदों पर 26 रन बनाने से पहले रोहित ने IPL में सिर्फ़ दो बार ही इतनी गेंदें खेलकर इससे अधिक रन बनाए थे। इतना ही नहीं CSK के ख़िलाफ़ हारे हुए मैच में आया रोहित का शतक IPL में उनका सिर्फ़ दूसरा शतक था। हालांकि पिछले छह मैचों में रोहित का फ़ॉर्म एक बार फिर पटरी से उतर गया और इस दौरान उनके बल्ले से 8 की औसत और 88 से अधिक के स्ट्राइक रेट से ही रन निकल पाए।

नहीं मिल पाया विदेशी गेंदबाज़ों का साथ

MI के हर ख़िताबी सीज़न में एक चीज़ समान थी कि भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों को विदेशी तेज़ गेंदबाज़ों का भरपूर साथ मिला। MI के पास इस बार जेराल्ड कट्ज़ी, ल्युक वुड, नुवान तुषारा और अंडर 19 विश्व कप में अपनी छाप छोड़ने वाले क्वेना मफ़ाका जैसे गेंदबाज़ थे। लेकिन कोई भी गेंदबाज़ बुमराह का साथ नहीं दे पाया।
पहले छह मैचों में MI के गेंदबाज़ों ने 10.04 की इकोनॉमी से रन लुटाए, जोकि इस दौरान किसी भी अन्य टीम की तुलना में काफ़ी ख़राब था। उस दौरान उनका गेंदबाज़ी औसत 35.72 था जो कि तीसरा सबसे ख़राब औसत था और वह भी तब जब MI के गेंदबाज़ों ने 33 विकेट चटकाए थे। जबकि इसी दौरान 6 की इकॉनमी और 14 की औसत से बुमराह के नाम 10 विकेट थे।
MI को इस सीज़न एक स्पिनर की भी कमी खली। पीयूष चावला पर पूरी तरह भरोसा जताने से पहले उन्होंने श्रेयस गोपाल, शम्स मुलानी और मोहम्मद नबी को भी आज़माया लेकिन MI की यह योजना भी काम नहीं आई। जबकि चावला इस सीज़न 10 विकेट लेकर MI के दूसरे किफ़ायती गेंदबाज़ बने हुए हैं। पिछले सीज़न आठ मैच खेलकर पांच विकेट लेने वाले कुमार कार्तिकेय को मौक़ा ना दिया जाना भी एक आश्चर्यचकित करने वाला फ़ैसला था। जबकि उन्होंने सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में अपने प्रदर्शन से प्रभावित भी किया था।

बल्लेबाज़ी के इंटेंट में गिरावट

11 अप्रैल को खेले अपने पांचवें मैच से पहले MI का पावरप्ले में रन रेट (10.11) सिर्फ़ कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) से कम (10.55) था। लेकिन छठे मैच में CSK के हाथों मिली सीज़न की चौथी हार के बाद MI पावरप्ले में सबसे धीमी गति से रन बनाने वाली टीमों के मामले में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने पहले छह ओवर में अब तक 25 विकेट गंवाए हैं जो कि इस अवधि में सबसे ज़्यादा विकेट गंवाने के मामले में दूसरे नंबर पर है।
इशान किशन लंबे ब्रेक के बाद वापस आए थे लेकिन वह भी कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखा पाए। सूर्यकुमार यादव ने पहले कुछ मैच मिस किए लेकिन वापसी के बाद उन्होंने तीन अर्धशतक और एक शतक लगाया।
KKR के ख़िलाफ़ ईडन गार्डेंस में खेले गए मैच के बाद चावला ने कहा था, "टी20 क्रिकेट मोमेंटम का खेल है और हम शुरू से ही इसे प्राप्त नहीं कर पाए। कभी गेंदबाज़ी तो कभी बल्लेबाज़ी में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। ऐसा नहीं है कि ख़राब प्रदर्शन सिर्फ़ एक डिपार्टमेंट तक सीमित था। एक यूनिट के तौर पर भी हम कुछ मैचों में विफल साबित हुए।"
राजस्थान रॉयल्स (RR) के ख़िलाफ़ आकाश मधवाल का स्पेल, नेहाल वढेरा द्वारा खेली गई कुछ उपयोगी पारियों, अंशुल कंबोज का डेब्यू और तिलक वर्मा की निरंतरता इस सीज़न MI के लिए सकारात्मक पहलू हैं। हालांकि बड़ी नीलामी से पहले MI के सामने में सबसे बड़ी चुनौती एक बार फिर से नई टीम खड़ी करने की होगी।

एस सुदर्शनन ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं. @Sudarshanan7