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कृष्णस्वामी : शानदार शमी से चैंपियन गेंदबाज़ बनने का सफ़र

समान लाइन, बदलती लेंथ और दोनों तरफ़ गेंद को लहराना : यह मोहम्मद शमी के काम करने का अंदाज़ बन गया है

ऑफ़ स्टंप के बाहर आगे की गेंद, पड़कर अंतिम समय पर बाहर निकली, शरीर से दूर ड्राइव लगा रहे वियान मुल्डर के बल्ले का बाहरी किनारा लेती हुई जा समाई विकेटकीपर के दस्तानों में। पहली बार देखने पर आप इसे एक ख़राब शॉट कह सकते हैं। बल्लेबाज़ का पैर ना तो गेंद की लाइन में था और ना ही लेंथ पर, वह पूरी तरह खुल गए और गेंद से दूर रह गए।
हालांकि अगर आप उस ओवर में मुल्डर द्वारा खेली गई पिछली तीन गेंदों पर नज़र करेंगे तो आपको पता चलेगा कि कैसे मोहम्मद शमी ने बल्लेबाज़ को सेट किया है। पहली गेंद ऑफ़ स्टंप के बाहर फ़ुल थी जिसे मुल्डर ने जाने दिया। दूसरी गेंद गुड लेंथ से अंदर की ओर आ रही थी, जिसे उन्होंने क्रीज़ में रहकर बल्ले के अंदरूनी किनारे से स्क्वेयर लेग की दिशा में खेला। तीसरी गेंद पटकी हुई थी और ऑफ़ स्टंप और चौथे स्टंप के बीच अनिश्चितता के गलियारे में थी। मुल्डर ने इसे खेलने का कोई प्रयास नहीं किया था।
समान लाइन, बदलती लेंथ और दोनों तरफ़ गेंद को लहराना। यह शमी के काम करने का अंदाज़ है जिससे विकेट वाली गेंद पर बल्लेबाज़ के मन में संशय पैदा हो गया।
बड़े पैमाने पर शमी को लेकर लोगों में ऐसी छवि बन गई है कि वह लगातार चौथे स्टंप की लाइन में गेंदबाज़ी करते हुए विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों को तंग तो करते हैं लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगती है। इसके पीछे का मुख्य कारण है उनकी लेंथ जो घरेलू पिचों पर तो सटीक मानी जाती है लेकिन उछाल वाली पिचों पर उसे थोड़ा छोटा कहा जाता है। इस लंबाई से अधिकतर गेंदें बाहरी किनारे को छोड़ती हुई निकल जाती है। इस साल भारत के इंग्लैंड दौरे पर भी कॉमेंटेटर लगातार इसी बात पर चर्चा कर रहे थे।
हालांकि सभी शानदार प्रतिभाशाली क्रिकेटरों की तरह शमी समय के साथ विकसित हो गए हैं। उन्होंने पिछले साल अपने बदले हुए अंदाज़ का उदाहरण दिया जब एडिलेड में लेग साइड पर फ़ील्ड जमाकर उन्होंने स्टंप में गेंदबाज़ी की थी। इस रणनीति से वह स्टीवन स्मिथ को शांत रखने में सफल हुए थे। उस पारी में विकेट उनके हाथ नहीं लगी और 36 रनों पर सिमट गई भारतीय पारी में वह चोटिल होकर मैदान से बाहर चले गए थे। उस बात को मानो एक अरसा बीत गया है।
उस दौरे के बाद शमी न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल में भारत के सबसे सफल गेंदबाज़ रहे थे। आगामी इंग्लैंड सीरीज़ में उन्होंने 11 विकेट झटके लेकिन अपनी गेंदबाज़ी से ज़्यादा उन्हें अपने अर्धशतक के लिए याद रखा गया। शायद शमी के इस विकास के बारे में लोगों ने उतनी बात नहीं की क्योंकि उन्होंने मैच जिताऊ प्रदर्शन नहीं किया।
मंगलवार को उन्होंने लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। 69 गेंदों पर भारत द्वारा अपने अंतिम सात विकेट गंवाने के बाद सभी को विश्वास था कि शमी इस पिच पर बल्लेबाज़ों को तंग करेंगे। भारत में ऐसा अक्सर होते रहता हैं परंतु हमने साल 2018 में पर्थ और जोहैनेसबर्ग में भी देखा था कि असमतल उछाल वाली पिच पर शमी की लाइन और लेंथ और भी घातक हो जाती है।
इस टेस्ट की पहली पारी की बात करें तो ऐडन मारक्रम की विकेट सबसे बेहतरीन थी। अपने चौथे ओवर की शुरुआत में शमी ने एक छोटी गेंद पर अतिरिक्त उछाल के साथ मारक्रम को चौंकाया था। उस गेंद पर मारक्रम ने कैसे तैसे अपने बल्ले और ग्लव को लाइन से हटाया। इसके बाद ओवर की पांचवीं गेंद पर शमी ने लेंथ को हल्का सा आगे बढ़ाया। गेंद ने पड़कर कांटा बदला और नीचे भी रही। उछाल के लिए खेल रहे मारक्रम के दोनों पैर हवा में थे जब गेंद उनके बल्ले के बाहरी के पास से होकर ऑफ़ स्टंप पर जा लगी।
शमी से उम्मीद थी कि वह सेंचूरियन की पिच पर इस तरह की गेंदबाज़ी करेंगे। हालांकि यह इतना आसान था नहीं जितना नज़र आता है। जैसे जैसे गेंद पुरानी होती गई, उसने हरक़त करना कम कर दिया। इसी का नतीजा था कि पहले 15 ओवरों की तुलना में साउथ अफ़्रीकी बल्लेबाज़ छह प्रतिशत अधिक नियंत्रण के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे।
खिलाड़ियों की ही तरह परिस्थितियां भी बदलती रहती हैं। मंगलवार को शमी ने दिखाया कि वह बदलती परिस्थितियों में भी विकेट लेने की क्षमता रखते हैं। पहली दो सफलताएं तो शमी को सीम मूवमेंट के कारण मिली। लेकिन जब गेंद सीम पर ज़्यादा हरकत नहीं कर रही थी, शमी ने अपनी ग्रीप को बदला और स्विंग करवाने का प्रयास किया। इसी वजह से उनकी तीसरी और चौथी विकेट में सीम की बजाय लेट स्विंग देखने को मिली।
फिर आई 200वीं टेस्ट विकेट की घड़ी। राउंड द विकेट से क्रीज़ की गहराई का इस्तेमाल करते हुए गुड लेंथ की गेंद कोण के साथ अंदर आई। टप्पा खाकर गेंद सीधी रही और खड़े खड़े ऑफ़ साइड पर खेल रहे रबाडा के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर विकेटकीपर ऋषभ पंत के दस्तानों में जा समाई।
तीसरे दिन स्टंप्स पर होस्ट ब्रॉडकास्टर ने बताया कि शमी की 61 प्रतिशत गेंदें शॉर्ट पिच थी। यह सही आकलन था क्योंकि शमी ने दोहरे उछाल वाली इस पिच पर पटकी हुई गेंदों से बल्लेबाज़ों को पीछे धकेला ताकि फ़ुल गेंदों पर उनके पैर ठीक से ना चले। अंत में यह एक बढ़िया रणनीति साबित हुई।
और बात रही शमी की गेंदबाज़ी की तो 200 टेस्ट विकेट ग़लत लेंथ से नहीं मिलती है। और तो और 27.10 की औसत और 49.4 के स्ट्राइक रेट से तो ऐसा कतई नहीं होता है। 200 टेस्ट विकेट लेने वाले 80 गेंदबाजों में केवल आठ गेंदबाज़ों का स्ट्राइक रेट शमी से बेहतर हैं।
इसलिए तो शमी को एक महत्वपूर्ण और चैंपियन गेंदबाज़ कहा जाता हैं।

कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।