मैच (8)
आईपीएल (3)
Pakistan vs New Zealand (1)
WT20 Qualifier (4)
फ़ीचर्स

गॉल टेस्ट में फिर उजागर हुई ऑस्ट्रेलिया की उपमहाद्वीपीय कमज़ोरी

अगर ऑस्ट्रेलिया को अगले साल भारत में सफल होना है तो इन कमज़ोरियों से पार पाना होगा

ट्रेविस हेड पाकिस्तान और श्रीलंका के दो दौरों पर एक भी अर्धशतक नहीं लगा पाए  •  AFP/Getty Images

ट्रेविस हेड पाकिस्तान और श्रीलंका के दो दौरों पर एक भी अर्धशतक नहीं लगा पाए  •  AFP/Getty Images

गॉल में श्रीलंका के हाथ मिली पारी से हार पैट कमिंस के लिए बतौर टेस्ट कप्तान पहली हार है। कप्तान कमिंस के लिए 10 टेस्ट मैचों में यह पहली शिकस्त थी और नए कोच ऐंड्र्यू मक्डॉनल्ड के लिए भी यह पांच टेस्ट मैचों में पहली हार थी। अच्छी टीमें भी कभी न कभी हारती हैं और अगर आप फ़रवरी में पाकिस्तान के लिए रवाना हो रही ऑस्ट्रेलियाई टीम को पांच टेस्ट में दो जीत, दो ड्रॉ और केवल एक हार का स्कोर देते तो वह ख़ुश ही होती।
हालांकि इस टेस्ट के दूसरी सुबह पांच विकेट पर 329 रन पर खेल रही ऑस्ट्रेलिया को शायद इससे संतुष्टि नहीं मिले। मैच के बाद कमिंस ने कहा, "यह परिणाम हमारे लिए वास्तविकता से परिचय कराने वाला है। यहां का दौरा हमेशा कठिन होता है। एक हार से हमें बहुत ज़्यादा परिवर्तन करने की ज़रूरत नहीं है।"
कमिंस की बात में सच्चाई तो है। एक हार पर भावनात्मक प्रतिक्रिया करना ठीक नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि इस हार ने ऑस्ट्रेलिया के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में खेलते हुए कुछ परिचित कमज़ोरियों को साफ़ दर्शाया है। पाकिस्तान और पहले गॉल टेस्ट में मिली सफलताओं के बाद यह टेस्ट ऐसा था जैसे कि टीम ने दो क़दम आगे बढ़ने के बाद एक बड़ा क़दम पीछे लिया हो।
प्रभात जयसूर्या को डेब्यू पर 12 विकेट लेते देख रवींद्र जाडेजा अगले साल होने वाले सीरीज़ के लिए बेताब हो रहे होंगे। ऑस्ट्रेलिया ने पहले टेस्ट में लसिथ एंबुलडेनिया को इतने अच्छे से खेला था कि उन्हें दूसरे टेस्ट में श्रीलंका ने कई खिलाड़ियों के कोविड पॉज़िटिव हो जाने के बाद भी नहीं खिलाया। जयसूर्या ने दर्शाया कि उनका प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अनुभव टेस्ट में सफल होने के लिए पर्याप्त है।
ख़ासकर उनकी गेंदों पर कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी स्वीप करते हुए आउट हुए। पहले टेस्ट में स्वीप और रिवर्स स्वीप मेहमान टीम के लिए असरदार शॉट थे लेकिन यहां कैमरन ग्रीन, मार्नस लाबुशेन, डेविड वॉर्नर और नेथन लायन स्वीप करते हुए पगबाधा आउट हुए। इसकी तुलना में दिनेश चांदीमल ने 206 नाबाद बनाते हुए सिर्फ़ तभी स्वीप का उपयोग किया जब वह अपने फ़्रंटफ़ुट को ऑफ़ स्टंप के लाइन के बाहर ले जा सकते थे और टर्न के साथ स्वीप कर सकते थे।
स्वीप और रिवर्स स्वीप ऐलेक्स कैरी के लिए मज़बूत हथियार हैं लेकिन पहली पारी में उनका विकेट भी रिवर्स स्वीप के कारण गिरा। भारत में स्वीप और रिवर्स स्वीप को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं लेकिन उनके इस्तेमाल में चतुराई की ज़रूरत पड़ेगी। कमिंस के अनुसार, "सब अपने तरीक़ों से रन बनाते हैं। हमें बैठकर सोचना होगा कि हम इसमें क्या बदलाव कर सकते हैं क्योंकि कई बार आप एक योजना के तहत मैदान पर उतरते हैं लेकिन नए परिवेश में पाते हैं कि उसका असर अपेक्षाकृत नहीं है।"
दोनों दौरों से पहले ट्रैविस हेड की स्पिन गेंदबाज़ी को खेलने की क़ाबिलियत पर सवालिया निशान थे और उन्होंने अपने खेल से कोई ख़ास जवाब नहीं दिए। वह अपने ऑफ़ स्टंप पर कई बार बीट हुए और सहजता से रन बनाने में भी असमर्थ थे। दोनों दौरों में मिलाकर वह अकेले बल्लेबाज़ थे जिन्होंने अर्धशतक भी नहीं जड़ा और उनका सर्वाधिक स्कोर 26 था। एशिया में सात टेस्ट में उनका औसत केवल 21.30 का हैऔर उन्होंने 50 का आंकड़ा सिर्फ़ एक ही बार पार किया है।
उनकी जगह ग्लेन मैक्सवेल को खिलाने की मांग होगी। लेकिन मैक्सवेल न भी एशिया में सात टेस्ट में 26.07 के औसत से ही रन बनाए हैं। रांची टेस्ट में एक शानदार शतक उनके लिए एशिया में 50 से अधिक का इकलौता स्कोर है। और तो और उन्होंने तीन साल से एक भी प्रथम श्रेणी मैच नहीं खेला है।
वॉर्नर का फ़ॉर्म भी चिंता का विषय है। उन्होंने इन दो दौरों में मिलाकर कुल जमा सिर्फ़ दो अर्धशतक लगाए। अब उनके नाम एक अजीब रिकॉर्ड यह है कि वह टेस्ट इतिहास में तीन ऐसे खिलाड़ियों में शुमार हैं जिन्होंने भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में शीर्ष चार में खेलते हुए कम से कम 25 पारियों के बावजूद एक भी शतक नहीं जड़ा। इन तीन देशों में उन्होंने सर्वाधिक 71 बनाते हुए केवल 26.13 की औसत से रन बनाए हैं। एशिया में उनके तीन शतक हैं लेकिन इसमें से दो बांग्लादेश में बने हैं और एक यूएई में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आए हैं। उन्होंने सिर्फ़ एक ही पारी में 200 से अधिक गेंदें खेली हैं।
इन दोनों दौरों पर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ सिर्फ़ दो बार ही 20 विकेट ले पाए हैं और तीन बार विपक्षी टीम 160 ओवर से अधिक खेलने में सफल हुई है। रावलपिंडी में एक पाटा पिच पर ऐसा होना आश्चर्य की बात नहीं थी लेकिन कराची और गॉल में विपक्ष ने उसी पिच पर 170 से अधिक ओवर खेले जहां अन्य पारियों में 10 विकेट 54 ओवर के भीतर गिर गए।
ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाज़ी क्रम पर सवाल होंगे लेकिन गॉल में ख़राब फ़ील्डिंग और रिव्यू प्रणाली को भी दोषी ठहराया जा सकता है। श्रीलंका के 10 विकेट लेने के लिए गेंदबाज़ों ने 19 साफ़ मौक़े बनाए। लायन और मिचेल स्वेप्सन ने कुल आठ विकेट लेने के मौक़े बनाए - तीन स्टंपिंग, एक कैच और चार पगबाधा फ़ैसले जो अंपायर्स कॉल अलग होने या रिव्यू बचने पर उनके पक्ष में जाते। मिचेल स्टार्क भी चांदीमल को 30 रन पर विकेट के पीछे कैच आउट करवा चुके थे लेकिन मैदानी अंपायर का फ़ैसला उनके पक्ष में नहीं गया। ऑस्ट्रेलियाई समर्थक अंपायरिंग की बात कर सकते हैं लेकिन उल्लेखनीय है कि श्रीलंका ने भी इस टेस्ट में तीन ग़लत फ़ैसले रिव्यू से ही अपने हित में बदलवाए थे।
जयसूर्या ने सिद्ध किया कि उपमहाद्वीप में बाएं हाथ का स्पिनर होना कितना कारगर होता है। अगर पिच सपाट हो तो ऐसा गेंदबाज़ अपने कोण के चलते दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए ख़ासा प्रभावशाली बन जाता है। ऑस्ट्रेलिया के लिए इकलौता विकल्प है ऐश्टन एगार जिसका औसत है 41.28 और स्ट्राइक रेट 80.7 का है। कमिंस ने मैच के बाद कहा, "मैं मानता हूं कि स्पिन गेंदबाज़ों का सही उपयोग और उनके लिए यथोचित फ़ील्ड सेट करना मुझे अभी सीखना है। ऑस्ट्रेलिया के बाहर 180 के क़रीब ओवर डालना अक्सर होता है और ऐसे में स्कोरबोर्ड पर नियंत्रण रखना ज़रूरी होता है। मुझे लगता है मैंने इस बारे में भी बहुत कुछ सीखा है।"
अब ऑस्ट्रेलिया घर में वेस्टइंडीज़ और साउथ अफ़्रीका के साथ कुल पांच टेस्ट खेल कर सीधे अगले साल भारत में भारत को टक्कर देगा। श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया की कुछ कमज़ोरियों को उजागर किया है लेकिन भारत में यह क़ाबिलियत है कि वह इनका इस्तेमाल करते हुए ऑस्ट्रेलिया को लोहे के चने चबवाए।

ऐलेक्स मैल्कम ESPNcricinfo में एसोसिएट एडिटर हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के प्रमुख और सीनियर असिस्टेंट एडिटर देबायन सेन ने किया है