बतौर कप्तान
स्मृति मांधना के लिए WPL 2025 जितना ख़राब रहा उतना ही उनकी टीम के लिए भी रहा। मांधना बल्ले के साथ कुछ ख़ास नहीं कर पाईं जबकि पिछले वर्ष की विजेता रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को भी अंक तालिका में चौथे स्थान से संतुष्ट होना पड़ा। सबसे अंतिम पायदान पर आई यूपी वॉरियर्ज़ (UPW) से ही RCB ऊपर थी वो भी सिर्फ़ बेहतर नेट रन रेट के चलते।
मुंबई इंडियंस (MI) के ख़िलाफ़ मिली
11 रनों की जीत के बाद सीज़न की अंतिम प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मांधना दार्शनिक जवाब देतीं नज़र आईं और उन्होंने कहा कि अगर उनकी टीम ने कुछ अहम पल जीत लिए होते तो इस सीज़न उनकी टीम अंक तालिका को शीर्ष पर रहते हुए भी समाप्त कर सकती थी।
लगातार पांच मैच हारने से पहले गतविजेता ने इस सीज़न की शुरुआत लगातार दो जीत के साथ की थी। लेकिन इसके बाद मिली लगातार हार ने RCB को प्लेऑफ़ की दौड़ से बाहर कर दिया।
मंगलवार को मुक़ाबले के बाद मांधना ने कहा, "हां, हम भी मज़ाकिया अंदाज़ में यह चर्चा कर रहे थे कि हमने शुरुआत अच्छी की थी, अंत भी अच्छा किया लेकिन हम बीच में बस कहीं खो गए। यह इस सीज़न की हमारे प्रदर्शन का सार है। हां लेकिन, नीलामी के बाद हमने कई खिलाड़ियों को खो दिया, हमारे पास नीलामी और सीज़न के शुरू होने तक सोचने का भी समय था और जिस तरह से हमने शुरुआत की थी उसे देखकर यही लगा था कि हम बेहतर स्थिति में हैं।"
आशा शोभना, श्रेयंका पाटिल और सोफ़ी मोलिन्यू जैसी खिलाड़ियों के चोट के चलते अनुपलब्ध रहने के साथ ही RCB के लिए बड़ा झटका यह भी था कि वह इस सीज़न घर पर खेले अपने चार मुक़ाबलों में से एक भी नहीं जीत पाए, जबकि पिछले सीज़न उन्होंने बेंगलुरु में खेले पांच मुक़ाबलों में तीन में जीत दर्ज की थी। इस सीज़न घर पर RCB ने दो ऐसे मुक़ाबले हारे जिन्हें वो जीत सकते थे।
MI के ख़िलाफ़ एक गेंद शेष रहते उन्हें चार विकेट की हार झेली पड़ी जबकि UPW के ख़िलाफ़ मैच टाई होने के बाद उन्हें
सुपर ओवर में हार का मुंह देखना पड़ा।
मांधना ने कहा, "मुझे लगता है कि बेंगलुरु में चीज़ें हमारे पक्ष में नहीं गईं। लेकिन जिस तरह से टीम ने प्रयास किया मुझे इस पर गर्व है। क़रीबी मैच हारना टीम के लिए मुश्किल रहता है और मुझे लगता है कि हम पहले दो तीन ऐसे मैच हारे जो कि काफ़ी क़रीबी थे। लेकिन हर कोई सकारात्म बना हुआ था जो कि बतौर कप्तान मेरे लिए सुखद है। आप कभी जीतते हैं तो कभी हार मिलती है। फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट में यह चीज़ें आपके पक्ष में जाती हैं और आप मैच जीत जाते हैं। लेकिन जब यह हमारे पक्ष में नहीं जातीं तो टीम एक टीम के तौर पर मेरे साथ खड़ी रहती है।"
RCB के लिए इस सीज़न घर पर एक और जो चीज़ काम नहीं की वो था टॉस फ़ैक्टर, टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला कर रही थी क्योंकि वडोदरा से लेकर बेंगलुरु और लखनऊ से लेकर मुंबई तक इस सीज़न पहली पारी में ओस कम था और पहली पारी में टीमें बड़ा स्कोर नहीं खड़ा कर पा रही थीं। इसके परिणाम स्वरूप लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम अधिकतर मैच जीत रही थी।
घर पर चारों मैचों में RCB टॉस हार गई और मांधना का ख़राब फ़ॉर्म यहां भी जारी रहा। जिसके चलते टीम को अधितकर समय
एलिस पेरी पर निर्भर रहना पड़ा लेकिन यह टोटल पर्याप्त नहीं थे। पेरी के इस सफल सीज़न ने उन्हें इस सीज़न अब तक सर्वाधिक रन बनाने वाली बल्लेबाज़ों की सूची में
दूसरे स्थान पर पहुंचा दिया जबकि टूर्नामेंट के इतिहास में
सर्वाधिक रन अब उनके ही खाते में हैं।
मांधना ने कहा, "आप काफ़ी चीज़ें सही करते हैं लेकिन अंतिम दो तीन ओवरों में चिज़ें आपके पक्ष में नहीं जाती। पिछले सीज़न हमने इन पलों को जीता था इसलिए ख़िताब जीत पाए थे। और इस साल बेंगलुरु में, ख़ास तौर पर पहले दो मैचों में हम इन पलों को अपने पक्ष में नहीं भुना पाए। ख़ासतौर पर पहले दो मैचों में यही टर्निंग प्वाइंट रहा। पीछे की ओर देखते हुए मैं इसका ठीकरा किसी एक पर नहीं फोड़ना चाहूंगी। एक टीम के तौर पर हम और बेहतर कर सकते थे। एक बल्लेबाज़ के तौर पर मैं ख़ुद मध्य चरण में अधिक स्कोर नहीं खड़ा कर पाई।
बेंगलुरु चरण में हर टीम पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 160 से अधिक का स्कोर नहीं खड़ा कर पाती लेकिन हम ऐसा करने में इसलिए सक्षम हो पाए क्योंकि उन्होंने (पेरी) इतनी बेहतरीन बल्लेबाज़ी की। भारतीय खिलाड़ियों के इर्द गिर्द उनकी मौजूदगी काफ़ी अहम है क्योंकि उनसे सीखने के लिए काफ़ी कुछ है। और मुझे लगता है कि इससे भारतीय क्रिकेट को भी काफ़ी लाभ मिलेगा क्योंकि ऐसे खिलाड़ियों की मौजूदगी आपको कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।"
RCB के लिए एक और सकारात्मक पहलू
ऋचा घोष और उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी रही। घोष ने इस सीज़न 175.57 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए जो कि उनकी टीम में कम से कम 30 गेंदों का सामने करने वाले बल्लेबाज़ों में सर्वाधिक था। घोष ने 13 छक्के और 25 चौके जड़ते हुए 131 गेंदों पर 230 रन बनाए। WPL सीज़न का अंत भी उन्होंने कुछ इसी अंदाज़ में किया, जब उन्होंने शबनिम इस्माइल और हेली मैथ्यूज़ के ख़िलाफ़ आक्रामक अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करते हुए 22 गेंदों पर 36 रन बनाए।
मांधना ने कहा, "उनको खेलता देखने में आनंद आता है। पिछले तीन WPL सीज़न से और भारतीय टीम में भी मैंने उन्हें ख़ुद के खेल में लगातार सुधार लाते देखा है। जिस तरह से वह अकेले दम पर मैच का रुख़ मोड़ देती हैं वो देखने लायक होता है। जब वह बल्लेबाज़ी कर रही होती हैं तो दूसरी टीम शांति के साथ नहीं बैठ पाती और उनके लिए कोई भी समीकरण कम या ज़्यादा नहीं होता।
UPW के ख़िलाफ़ ही 223 रनों का पीछा करते हुए हमें ऋचा की बल्लेबाज़ी का कारण ही सिर्फ़ 10 रनों से हार मिली। मेरे जैसी बल्लेबाज़ मैदान के छोटे साइड को खोजती हैं लेकिन ऋचा के लिए यह मायने नहीं रखता वो सिर्फ़ गेंद को देखती हैं और उस पर प्रहार करती हैं। उन्होंने अलग-अलग शॉट्स पर भी काम किया है, लोग ऋचा को बस पावर हिटिंग और कट शॉट्स के लिए जानते हैं लेकिन आज ही उन्होंने कुछ दर्शनीय रिवर्स स्वीप भी खेले। पिछले साल से उन्होंने अपने वर्क एथिक पर भी काम किया है। मैं उनके लिए काफ़ी ख़ुश हूं, मैं उम्मीद करती हूं कि वो ऐसे ही आगे भी बल्लेबाज़ी करती रहेंगी जो कि भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा संकेत है।"