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इंग्लैंड घर में मज़बूत, विदेश में ख़राब और अब उनकी घरेलू ताक़त भी ख़तरे में

रूट उनके सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़, लेकिन इसकी काफ़ी हद तक वजह वही हैं

Joe Root leads his players off after another tough day, Australia vs England, 3rd Test, 1st day, MCG, December 26, 2021

इंग्‍लैंड के लिए एक साल में सबसे अधिक रन टेस्‍ट रन बनाने वाले बल्‍लेबाज हैं जो रूट  •  Getty Images

इसमें कोई संदेह नहीं है कि इंग्लैंड एक ख़राब तरह से चुनी गई टेस्ट टीम है, जिसका नेतृत्व ख़राब है और उसे एक बड़े बदलाव की ज़रूरत है। क्या उनकी अव्यवस्था भी टेस्ट क्रिकेट के भविष्य की झलक पेश करती है?
टेस्ट क्रिकेट अंततः आठ प्रमुख देशों के बीच होने वाले मैचों तक सीमित हो सकता है। भविष्य में कभी-कभी अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, आयरलैंड और ज़िम्बाब्वे लंबे प्रारूप के मैचों में शामिल नहीं होंगे। यह उन कारणों से कल्पना करना आसान है जिनमें क्षमता की कमी के साथ-साथ घरेलू मैदान की सुविधाओं की कमी शामिल है।
लेकिन बड़े देशों का क्या?
जब तक वेस्टइंडीज़ की वित्तीय स्थिति को मज़बूत करने के लिए कुछ नहीं किया जाता, तब तक कैरेबियाई भागीदारी पर सवालिया निशान बना रहेगा। वेस्टइंडीज़ टेस्ट टीम को निचले स्तर पर ले जाने के लिए क्रिकेट पहल की कमी आलोचना का पात्र है।
देश की अस्थिर राजनीतिक स्थिति के कारण साथ साउथ अफ़्रीका को लेकर चिंता बनी रहेगी। यह बात तब और भी स्पष्ट हो जाती है जब क्विंटन डिकॉक जैसा अत्यधिक सक्षम खिलाड़ी अपने चरम पर रहते हुए टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लेता है। श्रीलंका, पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड में राजनीतिक अनिश्चितता से लेकर खिलाड़ी-पूल की गहराई तक की समस्याएं हैं। फिर भी उनमें अच्छे खिलाड़ी पैदा करने का दम है, और पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड, विशेष रूप से प्रतिकूल परिस्थितियों में समृद्ध होते दिखाई देते हैं।
और फ‍़िर बड़े तीन देश बचते हैं : भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड।
भारत ने साबित कर दिया है कि वे घर से दूर जीत सकते हैं और अब वह सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंड टीम है, जिनके पास खिलाड़ियों का एक बड़ा पूल है और इसमें कोई कारण नहीं है यह बदलना चाहिए, लेकिन बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कप्तान विराट कोहली में टेस्ट क्रिकेट के लिए समान जुनून है या नहीं।
भविष्य के युवा बल्लेबाजों की चिंता के बावजूद ऑस्ट्रेलिया हमेशा एक उचित टेस्ट देश रहेगा। ऑस्ट्रेलियाई बुनियादी ढांचा गंभीर रूप से पतला है, उसके बावजूद अभी भी एक उद्देश्य की पूर्ति करता है और इसमें सक्षम कप्तानों को पैदा करने की प्रवृत्ति है। पैट कमिंस इसका अच्छा उदाहरण हैं। वह सामान्य ज्ञान के साथ नेतृत्व करता है और उसके अधीन एक टीम है जो जानती है कि पांच दिवसीय खेल में क्या ज़रूरी है। अनुभव कहता है कि एक टीम जो अपने कप्तान के लिए खेलना चाहती है, आमतौर पर अच्छे घरेलू परिणाम प्राप्त करेगी।
अब इंग्लैंड आता है। मौजूदा दौरा 0-5 से अपमानजनक हार में समाप्त हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया में 2006-07 की सीरीज़ से शुरू होने वाले 25 टेस्ट मैचों में 20 हार और केवल दो ड्रॉ के साथ लौटेगा। उनकी तीनों जीत 2010-11 के सफल दौरे पर आईं, जब एंड्रयू स्ट्रॉस ने एक बेहतर टीम का नेतृत्व किया। यह एक शर्मनाक रिकॉर्ड है और प्रेस कांफ्रेंस में किसी भी तरह की धज्जियां उड़ाकर इसकी पूरी तरह व्याख्या नहीं की जा सकती।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि इंग्लैंड घर पर खेलने वाली एक बेहतरीन टीम है, लेकिन जो रूट की कप्तानी में उनके विदेशी रिकॉर्ड को देखते हुए, वे शीर्ष स्तर के देश कहलाए जाने पर संघर्ष करते हैं। यह भारत में स्पष्ट था, जहां इंग्लैंड बुरी तरह से सीरीज़ 1-3 से हार गया था, और ऑस्ट्रेलिया में वे दस में से नौ टेस्ट हारने के ख़तरे में हैं और इसमें रूट ने ही इंग्लैंड का नेतृत्व किया होगा।
इंग्लैंड में भी, एक नेतृत्वकर्ता के रूप में रूट में प्रेरणा की कमी दिखाई देने लगी है। महामारी जैसे कुछ कठिन समय में इंग्लैंड एक ऐसी टीम के रूप में अपनी प्रतिष्ठा खोना शुरू कर रहा है जिसे घर पर हराना मुश्किल है। रूट को दोषी बनाना ग़लत है, क्योंकि वह आसानी से इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ हैं, लेकिन उन्हें कुछ दोष स्वीकार करने होंगे। वह कभी भी बेहतर नेतृत्वकर्ता नहीं रहे, क्योंकि कप्तान का कोई और उम्मीदवार नहीं था। उम्मीद की जाती थी कि वह कप्तानी करते हुए अनुभवी हो जाएंगे।
यह स्पष्ट हो गया है कि यदि इंग्लैंड सभी परिस्थितियों में हराने के लिए एक कठिन टीम के रूप में पहचाना जाना चाहता है तो रूट उस काम के लिए सही आदमी नहीं हैं। कार्यकाल को समाप्त करने का यह आसान समय है, जिससे एक सही कप्तान को ढूंढा जा सके। मौजूदा टीम में केवल बेन स्टोक्स को ही कप्तान के तौर पर देखा जा सकता है। उनमें एक अच्छे कप्तान के गुण हैं। वह आक्रामक हैं, प्रेरणादायक हैं और टीम को ऊपर उठाने की क्षमता रखते हैं।
एक ऑलराउंडर के रूप में उनकी पहले से बड़ी भूमिका को देखते हुए यह एक बेहद कठिन काम होगा। उसके पास काम करने की क्षमता है लेकिन यह उनकों अंदर से भी तोड़ सकता है। विचार करने के लिए अन्य प्रमुख बिंदु यह है कि ईसीबी की प्रतिष्ठा कठिन निर्णय लेने की नहीं है।

ऑस्‍ट्रेलिया के पूर्व कप्‍तान इयन चैपल कॉलमिस्‍ट हैं।