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रूट : मेरे क्रिकेट जीवन में इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया है

पूर्व कप्तान आने वाले समय में इस इंग्लैंड टेस्ट टीम की संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं

अपने क्रिकेट जीवन का खुलकर लुत्‍फ़ ले रहे हैं जो रूट  •  Getty Images

अपने क्रिकेट जीवन का खुलकर लुत्‍फ़ ले रहे हैं जो रूट  •  Getty Images

साउथ अफ़्रीका के ऊपर इंग्लैंड की नौ विकेटों से जीत के बाद जब पूर्व कप्तान जो रूट से नए कप्तान बेन स्टोक्स और कोच ब्रेंडन मक्कलम के आने के बाद शैली में बदलाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ना सिर्फ़ यह बात मानी बल्कि एक विशेष समय की बात की जिसे देखकर वह अवाक रह गए थे।
इस सीज़न जीते गए छह टेस्ट मैचों में दूसरा ट्रेंट ब्रिज में चल रहा था। इंग्लैंड को 50 ओवर में 299 चाहिए थे. और ऐसे में जॉनी बेयरस्टो (136) और स्टोक्स (75 नाबाद) के बीच केवल 121 गेंदों पर 179 रनों की साझेदारी से इंग्लैंड ने मैच आसानी से जीत लिया।
रूट ने बताया, "ट्रेंट ब्रिज के आख़िरी सत्र में ज़ैक क्रॉली और मैं साथ बैठकर एक क्रॉसवर्ड करने लगे थे। हमने एक जवाब ढूंढा लेकिन तीन ओवर बाद हमें उसे छोड़कर मैच देखना ही पड़ा। टेस्ट छोड़िए, ऐसा लग रहा था टी20 मैच के हाइलाइट्स चल रहे थे। यह नज़ारा अद्भुत था। हमने कुछ ऐसी चीज़ों को एक सूक्ष्म अंतराल में देखा जो आम तौर पर टेस्ट क्रिकेट में नहीं दिखती। हमें अपनी क्षमता का अंदाजा लगा। मैं तुलना नहीं करना चाहता लेकिन मुझे उन दिनों की याद आ गई जब हम सफ़ेद गेंद टीमों के साथ बड़े स्कोर खड़ा करते थे। यही रोमांचक बात थी कि हम कहां तक जा सकते हैं? अगर आप देखें कि हमने क्या हासिल किया है तो यह लगभग सफ़ेद-गेंद क्रिकेट वाली ऊर्जा जैसा लगने लगा है मुझे।"
ऐसा कहना ग़लत नहीं कि इंग्लैंड के पुरुष टेस्ट टीम के साथ ऐसा माहौल पहले कभी नहीं बना है। यह खिलाड़ी ना सिर्फ़ दर्शकों में टेस्ट क्रिकेट के लिए उत्साह बढ़ा रहे हैं बल्कि एक दूसरे को भी प्रेरित करने का काम कर रहे हैं। और परिणाम झूठ नहीं बोलते। इंग्लैंड ने न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ सीरीज़ जीते और भारत को हराकर पिछले साल शुरू हुए टेस्ट सीरीज़ को 2-2 पर ख़त्म किया।
रूट ने कहा, "इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना बहुत मज़ेदार रहा है। सात में छह मैच जीतना हमारे क्रिकेट की गुणवत्ता को स्पष्ट करता है। इससे आने वाले टेस्ट मैच और भविष्य के बारे में एक आशावादी सोच आती है। यह टीम अभी भी कई चीज़ों में बेहतर बन सकती है। लेकिन इतने कम समय में इतना ज़्यादा बेहतर खेलना एक आंदोलित करने वाली बात है।"
रूट ख़ुद कप्तानी के भार में परेशान नज़र आते थे। ऐसा लगता था उनकी इकलौती ख़ुशी पिच के बीचों-बीच रहने से होती थी। अपने कप्तानी के आख़िरी 20 टेस्ट में जहां उन्होंने ख़ुद 54 के औसत से आठ टेस्ट शतक जड़े, वहीं 2021 के शुरुआत से इस दौरान उनकी टीम केवल चार टेस्ट में विजयी रही। रूट एकांत पसंद करने लगे थे और पूरी टीम में एक नकारात्मक शारीरिक भाषा दिखने लगी थी।
रूट ने इस सीज़न के बारे में कहा, "मेरे पेशेवर क्रिकेट जीवन में इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया है। इसको शब्दों में डालना कठिन है। आप रोज़ मैदान पर आते हैं और खेल के बारे में उत्साहित रहते हैं। यह एक रहस्य है। आप 120 के अधिक मैच खेलने के बावजूद हर गेम के लिए प्रतिबद्ध और प्रेरित रहते हैं। ऐसे में आप औरों के ऊर्जा से भी प्रेरणा ले सकते हैं।"
हालांकि इस पूरे सफ़र के आख़िरी पड़ाव में रूट के व्यक्तिगत योगदान में भारी गिरावट आई। साउथ अफ़्रीका के विरुद्ध सीरीज़ में उनके बल्ले से केवल 46 रन ही निकले। हालांकि न्यूज़ीलैंड और भारत के ख़िलाफ़ उनकी बल्लेबाज़ी के चलते पूरे सीज़न के लिए उन्होंने 68.33 के औसत से 615 रन बनाए और तीन शतकों के साथ उस योग को अब 28 तक ले जा चुके हैं।
रूट ने कहा, "जीतने में ज़रूर एक आनंद है लेकिन मेरा काम है रन बनाना। हालांकि मैं औरों के सफलता को देख कर भी उत्साहित हूं। रविवार को ही दो खिलाड़ी (क्रॉली और ऐलेक्स लीस) मैच ख़त्म कर सकते थे। शायद उन्होंने किसी भी पारी में बड़ा स्कोर नहीं खड़ा किया लेकिन उनके दिए गए शुरुआत से आनेवाले बल्लेबाज़ों का काम आसान बना है। पोपी (ऑली पोप) ने कुछ अच्छे योगदान दिए हैं और आप नंबर तीन पर उनका आत्मविश्वास देख सकते हैं। और पिछले हफ़्ते फ़ोक्सी (बेन फ़ोक्स, जिन्होंने ओल्ड ट्रैफ़र्ड में शतक जड़ा) ने बेन के साथ ज़बरदस्त बल्लेबाज़ी की। ऐसा लग रहा है सब सही बैठ जा रहा है और सीनियर बल्लेबाज़ होने के नाते यह देखना एक अच्छा अनुभव है।"
इंग्लैंड की सबसे बड़ी चुनौती होगी इसी गतिशीलता को अपने घरेलू मैदानों के बाहर बरक़रार रखना। पहला पड़ाव पकिस्तान है, जहां परिस्थितियां अधिक धैर्य और एकाग्रता की मांग करेंगी।
रूट ने कहा, "हम कोशिश ज़रूर करेंगे। आप देखिए हम ओल्ड ट्रैफ़र्ड में कैसे खेले (जहां इंग्लैंड ने 107 ओवर में 415 पर नौ विकेट खोए और फिर पारी की जीत हासिल की) तो आप मानेंगे कि यह सोच सिर्फ़ ताबड़तोड़ खेल की बात नहीं है। असली बात यह है कि आपको मैच में वह मौक़ा ढूंढना है जब आप आगे निकल सकते हैं और तब आप उसका पूरा फ़ायदा उठाएं। ओल्ड ट्रैफ़र्ड में हमें दबाव सोकना पड़ा और इस टीम ने दिखाया कि यह अलग शैली से भी खेल सकती है। टेस्ट क्रिकेट में आपको स्थिति को समझकर संभालना पड़ता है। हमने सात में छह इसीलिए जीते हैं क्योंकि हमने इस बात को ठीक से निभाया है।"

विदुशन एहंतराजा ESPNcricinfo में एसोसिएट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo में स्‍थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।